‘स्टॉक की सीमा,न्यूनतम समर्थन मूल्य, किसानों को शहीद का दर्जा दे सरकार’ गौरव टिकेट
Report by: अस्मा खान
17 सितंबर 2020 तो आपको याद होगा ही। वो तारीख, जब संसद में खेती से जुड़े तीनों कानूनों को पारित किया गया . लोकसभा में सांसदों द्वारा बहुमत से पास होने के बाद राज्य सभा में विपक्ष के हंगामें के बीच ध्वनि मत से पास करा लिया गया , हवाला दिया गया की कोरोना काल में संसद अपनी नियमित सीट पर नहीं थे , कोरोना प्रोटोकाल के तहत समाजीक दूरी का पालन करना अनिवार्य था ऐसे में वोटिंग नहीं हो सकती थी इसलिए राज्य सभा में सत्ता पक्ष ने ध्वनि मत को चुना , किसनों की पीड़ा , कृषि और ग्रामीण मुद्दों पर कार्यरत प्रसिद्द पत्रकार श्री पी साईनाथ ने 25 नवम्बर को दिल्ली के प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कह चुके हैं की यह ध्वनि मत संविधान के विरुद्ध था , राज्य सभा की कार्यवाही के नियमों का उलंघन करता है, फिर भी सत्ता पक्ष ने तीनों कृषि कानून को लागो करने पर तुले रहे. दोनों सदनों से कानून के पारित होते ही पंजाब और हरयाणा के किसान आन्दोलन करने लगे , 26 नवंबर जिसे हम सब संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं किसानों ने अपनी विरोध के अधिकार का उपयोग करते हुए दिल्ली आकर अपना विरोध दर्ज करना चाहते थे , जिन्हें दिल्ली के सिंघू , टीकरी , गाजीपुर , चिल्ला और अन्य सभी बॉर्डर पर रोक दिया गया , प्रसाशन बल का प्रयोग कर कई किसानों को जख्मी भी किया , पानी की बौछारें और पोलिस की लाठी भी किसानों की दीर्घ इक्षा शक्ति को हिला नहीं पायी और तभी से सभी किसान दिल्ली के बॉर्डर को अपने विरोध अस्थल में तब्दील कर दिया. 26 नवंबर से आज तक किसान दिल्ली के बोर्डर पर बैठे हैं , गर्मी की तपती लू , हार कांपने वाली सर्दी और जून जुलाई माह की मुसलाधार वर्षा को झेलते हुए तीनों कृषि कानून की वापसी की मांग पर डेट रहे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi ) ने आखिरकार इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा 19 नवम्बर को गुरु पर्व के दिन क्षमा याचना के साथ कर दी , देश के नाम संबोधन में कहा की हम कुछ किसानों को कृषि कानून के लाभ को समझा नहीं पाए इसलिए हमारी सरकार ने इन तीनों कानून को वापस करने का निर्णय लिया है और आगामी संसद की शीतकालीन सत्र में लोकसभा में तीनों कानूनों की वापसी का संवैधानिक प्रक्रिया पूरी कर लिजाएगी और किसानों से घर वापस होने की गुहार लगायी .
आइए जानते हैं कि क्या है ये तीन कृषि कानून?
मुख्य रूप से कृषि कानूनों में तीन एक्ट हैं, जिनमें पहला है कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम -2020 (The Farmers Produce Trade and Commerce (promotion and facilitation) Act, 2020) दूसरा है, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Farm Services Act,2020) और तीसरा है, आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 (The Essential Commodities (Ammendment) Act 2020).
कैसे वापस होगा तीनों कृषि कानून?
प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद कृषि कानूनों को वापस लिया जाएगा। कानून बनाने के साथ-साथ कानून वापस लेने का अधिकार संसद को है। संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू होगा और 23 दिसंबर को खत्म होगा। संविधान के अनुच्छेद 245 के तहत संसद को कानून बनाने और इसे वापस लेने का अधिकार है। अगर कोई कानून अपने उद्देश्य की पूर्ति में नाकाम रहता है तो इसे वापस ले लिया जाता है। अमूमन जब नया कानून बनता है तो उस विषय पर पुराने कानून को वापस लिया जाता है। इसके लिए नए कानून में एक खास प्रावधान जोड़ा जाता है।
आन्दोलन की सफलता का और किसानों की मांग:
आन्दोलन की सफलता , दिल्ली के बॉर्डर पर आन्दोलन के एक साल और संविधान दिवस का जश्न मानते किसान संगठन और सरकार से कृषि , किसानी और अन्य मांगों को बुलंद करते मजदूर किसान संगठन. इस विडियो में आप समझेंगे क्या है किसानों की मांग? कैसे किसानों की आर्थिक , समाजिक और राजनितिक शक्ति को बेहतर किया जा सकता है गौरव टिकेट से जो भारतीय किसान यूनियन के युवा दल के अग्रणी और साल भर से किसानों की मांगों को लेकर देश भर में किसान पंचायतों के माध्यम से किसानों को संगठित कर सघर्षशील हैं.
किसानों के संघर्ष को आरम्भ से विभन्न मंचों के माध्यम से आप तक पहुंचा रही प्रगतिशील पत्रकार अस्मा खान लहर के मंच से किसानों की मांगों और आन्दोलन की एक और खास रिपोर्ट.