समझना चाहते हैं कि स्टार्टअप आखिर कैसे काम करता है?

‘एक दिन एक प्रिविलेज्ड व्यक्ति एक चाय का आउटलेट लगाता है नाम रखता है ” अंडी मंडी सन tea”

वो अगले 3 महीने में एक नम्बर क्वालिटी चाय जिसकी लागत 25 है और 70 में बिकनी चाहिए, को 49 में बेचता है जबकि एक ग्राहक पकड़ने की उसकी लागत 25 रुपए है।

वो हर चाय पर औसतन 1 रुपया घाटा खाता है और अगले 90 दिनों में वह (सस्ती होने में कारण, हाई फुटफॉल इलाके में) 1 रुपया के नुकसान पर 3 लाख कप बेच डालता है।

उसके पास सेल्स के आंकड़े है, उसके पास रेपीटीटिव ग्राहक के आंकड़े है, उसके पास CAC ( consumer acquisition cost) है, उसके पास AOV ( AVERAGE ORDER VALUE) है उसके पास CVR (CONVERSION RATE) है उसके पास अदरक है उसके पास लहसुन है उसके पास है उसके पास भांग भड़ोसा भी है ….बटर चिकन….

वो सारा आंकड़ा लेकर इन्वेस्टर फर्म या इनवेस्टर फर्म ही उसी के पास आते है। वो इन्वेस्टर्स फर्म को बताता है उसकी अंडी मंडी सन TEA में कुछ तो ऐसा मसाला है कि 1 साल बाद इतने प्रतिशत लोग उसके आदि हों जाएँगे और जो 3 लाख कप पर 1 रुपया का LOSS हुआ है वह अगले 6 महीने तक अठन्नी का फायदा में बदल जायेगा।

( याद रखिये प्रिविलेज्ड स्टार्टअप वाले का कुल नुकसान अभी तक है एक ठिया बनाना 10 लाख और चाय बेच कर 3 लाख कुल 13 लाख)

इन्वेस्टर कहता है मैं तेरी कम्पनी में 6 लाख लगा रहा हूँ। मुझे इसका 1% इक्विटी दे। इस दर पर अंडी मंडी सन tea की valuation 6 करोड़ हो जाती है। 6 लाख प्रिविलेज्ड के पास आते है और इन्वेस्टर मज़ीद 5 लाख रुपया और अपनी PR एजेंसी को देता है जो 3-4 बड़े बड़े ब्लॉगर/ यूटूबर्स / खबरिया साइट्स को देते है।

( याद रखिये प्रिविलेज्ड स्टार्टअप वाले का कुल नुकसान अभी तक है एक ठिया बनाना 10 लाख और चाय बेच कर 3 लाख कुल 13 लाख ,इनवेस्टर का लॉस 15 लाख)

खबरिया साइट प्रिविलेज्ड से पूछते है ज़िन्दगी में सबसे छोटा काम क्या किया था। वो कहता है बिना बुलाये शादी में जाकर खाना खाया था।

अब अगले दिन देश की टार्गेटेड ऑडियंस के पास एक खबर आती है ” कभी भूख से तंग होकर खाया था बिन बुलाए शादी में खाना, आज है 6 करोड़ कम्पनी के मालिक”

हेडलाइन पढ़ते ही देश के लाखों चाय वालो की औलादे खुद अपने बाप से नफरत करने लगते है, युवा दौड़े चले आते है, एक भौकाली create होती है। 4 बड़े ब्लॉगर और युट्यूबर्स के चैनल पर यह खबर देख दर्जनों ब्लॉगर इस कहानी को आगे ठेल देते है ।फ्रेंचाइजी लेने वालों की भीड़ लग जाती है। अंडी मंडी सन tea का प्रिविलेज्ड स्टार्टप owner के इंटरव्यू आने लगते है।

अब राउंड 2 की फंडिंग होती है। पहले राउंड में 3 लाख कप का आंकड़ा लेकर गया था अब 90 दिन में 10 लाख कप बेचने का आंकड़ा लेजाता है और प्रति कप नुकसान अठन्नी हो चुका है पर वह इन्वेस्टर्स को समझा देते है कि यह अठन्नी का नुकसान 2 रुपए के लाभ में बदल जायेगा अगर आप इन्वेस्ट कर दो और हम काम बढ़ा ले।

राउंड 2 में 10% की इक्विटी के बदले 6 करोड़ मिलते है जिससे अब कम्पनी की वैल्यूएशन 6 से 60 करोड़ हो जाती है। राउंड 1 का निवेशक अपनी 1% इक्विटी देकर 6 के 60 लाख लेकर कट लेता है। 9% इक्विटी प्रिविलेजेड स्टार्टअप owner भी बेच कर 5 करोड़ 40 लाख ले लेता है, सैलरी अलग। राउंड 2 वाले फिर भौकाली बनाते है और अंडी मंडी सन tea के मालिक को मसीहा बनाते है।

इस तरह कुछ राउंड चलते है,कम्पनी में प्रॉफिट का नामोनिशान नही है पर पिछले राउंड वाले इन्वेस्टर अगले इन्वेस्टर्स को इसी तरह इक्विटी बेच बेच कट लेते है।

फिर एक दिन आता है जब किसी राउंड में इन्वेस्टर्स को लगता है कि अब सही समय है 2 काम करने का

  1. डंप करने का तो एक तगड़ी भौकाली के साथ IPO लांच होता है। सब इन्वेस्टर्स अपना 1 का 2 मार्जिन लेकर चलते है। जनता को मीडिया विश्वास दिलवाती है कि इस अंडी मंडी सन tea के साथ है कुमार विश्वास का विश्वास। IPO की तारीख आती है। 1 महीने पहले डीमैट खोले रिटेल निवेशक जो अब तक खुद को वारेन बफे का चाचा समझ चुके होते है,वह IPO इस आशा में सब्सक्राइब करते है कि मिलते ही 2-3% ऊपर तो जाएगा। IPO OVER सब्सक्राइब होजाता है जो IPO बेचते है उनका तो कोटा पूरा फिर जिनको IPO मिलता है वो भी SAME DAY या NEXT DAY बेच बाच के नक्की। अंत मे सारे शेयर डंप हो जाते है उसी अंतिम यूज़र के पास जिसने बहुत कूपन लगाकर अंडी मंडी सन TEA में चाय के साथ कैशबैक पाया था

या

  1. इस अंडी मंडी सन tea को उठाकर ऐसे कम्पीटिटर को बेच दिया जाए जो tea मार्किट पर अपना एक छत्र राज चाहता है

जब तक जनता समझती है तब तक यह सारे ( स्टार्टअप वाला, राउंड 1 वाला, मीडिया वाला, राउंड 2 वाला, ब्लॉगर्स) अगले स्टार्टअप की तैयारी करते है।

दुर्भाग्य से 2013-14 से ऐसा हो रहा है। 5-7 साल से लोस झेल रही कम्पनी का मालिक और सारे इन्वेस्टर्स हर बार प्रॉफिट में रहते है। दो बड़ी कम्पनी का ipo आया और एक बड़ी कम्पनी का ipo 3 बार पोस्टपोन हुआ क्योकि अब वो डर चुके है।

अच्छी खबर यह है कि यह टेक्निक अब सब जान चुके है और अब हर कम्पनी पर प्रॉफिटेबिलिटी का प्रेशर है। इसलिए बड़े बड़े स्टार्टअप ने छंटनी शुरू कर दी है। अब आपको बहुत कम स्टार्टअप्स में कैशबर्न दिखने वाला है क्योकि सब यह भी समझ गए कि जनता को जिस दिन कैश बैक बन्द किया जनता लॉयल ग्राहक नही रहेगी। इस खेल ने पिछले 10 सालों में बहुतो को करोड़पति बना दिया है। दुनिया भर में स्टार्टअप कल्चर इसी के आसपास घूम रहा है। कितने स्टार्टअप आये और गए पर उनका मालिक फिर किसी दूसरे स्टार्टप में करोड़ो लगाते दिख गया।

इससे पहले कोई इनको जज करे पैंक्रियास पर हाथ रखकर कसम खाइए कि अगर वही प्रिविलेजेड आपको होता, आपके जानपहचान में सीड इन्वेस्टर होते, एंजल इन्वेस्टर्स होते, आप 10-12 न्यूज़ पोर्टल को जानते तो क्या आप यह स्टार्टअप स्टार्टअप नही खेलते????

हम में से तो कुछ कनाडा के नागरिक तक हो जाते।

डॉ स्टार्टअप जॉन अब्दुलाह Girish Malviya की वाल से