रिश्वतखोरी और दलाली के नए आयाम

सौमित्र रॉय
दलाली कई तरह से की जा सकती है। ज़रूरी नहीं कि इसके लिए सीधे पैसे मांगे जाएं। रिश्वतखोरी के लिए कांग्रेस को कोसती हुई सत्ता तक पहुंची नरेंद्र मोदी की सरकार ने न खाऊंगा, न खाने दूंगा का नारा दिया और राफाल डील में दलाली से बोहनी की।
लेकिन ज़रा रुकिए।
नरेंद्र मोदी सरकार ने सबसे पहली दलाली सितंबर 2014 में ही कर ली थी। सरकार ने तब देशभर के वाहनों के पंजीकरण का डेटा एक निजी फर्म को बेचकर दलाली परंपरा को नया आयाम दिया था। फ़ास्ट लेन ऑटोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड (FLA) नाम की इस फर्म को 20 पैसा प्रति वाहन की दर पर पूरे देश का डेटा बेच दिया गया। वह भी राष्ट्रीय सूचना केंद्र (NIC) की आपत्ति के बावजूद।
बीते 6 साल में FLA ने इस डेटाबेस की मदद से खूब दौलत कमाई। सोचिए तो कि कंपनी ने इस नाज़ायज़ दौलत की दलाली किसको दी होगी? अब अपने वाहन रजिस्ट्रेशन को निकालिये। पढ़िए कि उसमें कौन सी जानकारियां नहीं हैं। ये जानकारियां अब बैंक, बीमा कंपनियों, ऑटोमोबाइल से लेकर मार्केटिंग कंपनियों तक के पास मौजूद हैं। बेटी की शादी में करोड़ो की सकैनिया बस गिफ्ट में लेने वाले नितिन गडकरी ने पुरानी गाड़ियों की सेल यूँ ही नहीं लगाई हैं।
डेटाबेस मिलते ही FLA की दौलत 165 गुना बढ़ गई। 2019 में मोदी सरकार बल्क डेटा शेयरिंग की नीति लेकर आई।यानी आपकी निजी जानकारियों की खुलेआम नीलामी।
लेकिन पिछले साल निजता का बहाना बनाकर मोदी सरकार ने नीति रद्द कर दी। RTI से खुलासा हुआ है कि FLA के पास अभी भी पूरा डेटाबेस रखा हुआ है। 11 फरवरी को नितिन गडकरी ने लोकसभा में खुद इसकी पुष्टि की है। मोदी के कुर्सी संभालते ही 20 जून 2014 को सरकार ने वाहन और सारथी के डेटाबेस को सालाना 1 करोड़ में बेचने का प्रस्ताव तैयार कर लिया था। यानी रजिस्ट्रेशन के साथ ड्राइविंग लाइसेंस का डेटा भी बेच दिया गया।
यह डेटा राष्ट्रीय सूचना केंद्र (NIC) के पास हुआ करता था, जो इसे सुरक्षित रखता था। लेकिन FLA से डील में राष्ट्रीय सूचना केंद्र (NIC) को दरकिनार कर दिया गया। अब आप आसानी से समझ सकते हैं कि मोदी सरकार सिर्फ कंपनियां ही नहीं, बल्कि आम लोगों की निजी जिंदगी को भी बेचकर कितना मुनाफ़ा कमा रही है। आपको इस पोस्ट को पढ़कर फास्टैग का पूरा फण्डा भी समझ आ जाना चाहिए।
आपको ये भी बता दूं कि बीजेपी सरकार पुड्डुचेरी में चुनाव से पहले ही आधार कार्ड का डेटा भी बेच चुकी है, जिस पर मद्रास हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की थी। अब किसी दिन आप सुबह उठेंगे तो पता चलेगा कि आपकी इज़्ज़त सरेबाज़ार नीलाम हो चुकी है। फिर भी अगर आप नरेंद्र मोदी को भगवान और बीजेपी को सिर्फ मुल्ला टाइट करने वाली पार्टी मानते हैं तो बेहतर होगा कि आप नंगे हो जाएं।