अंधा बहरा मुंसिफ

वकील हिंदी
पढ़ने,लिखने,रचने,कहने
और गाने पर भी पहरा है
जो बच्चों से भी घबराये
वो कैसा हाकिम ठहरा है
मज़लूम कहाँ पर अर्ज़ी दें
जब मुंसिफ अंधा बहरा है
खबरों ने बिगाड़ा ताना बाना
या राज़ कोई और भी गहरा है
वक़्त वक़्त की बात है सब
कल सागर था अब सहरा है
ये झूठों का दौर भी जायेगा
सदा हक़ का परचम फहरा है