जहाँ इंसानियत वहशत के हाथों ज़ब्ह होती हो , जहाँ तज़लील है जीना वहाँ बेहतर है मर जाना ।।
लेखक: हाफिज़ किदवई यही तो अल्फ़ाज़ रह गए जो अब कानो में गूजेंगे । मनहूस…
लेखक: हाफिज़ किदवई यही तो अल्फ़ाज़ रह गए जो अब कानो में गूजेंगे । मनहूस…
जब देश में राजनितिक इमरजेंसी लगी हो , विरोध के स्वर नहीं सुने जारहे हैं…
वंचितों और अनदेखे लोगों के अपने वजूद को वचाने की अनूठी दास्तान , आप भी…