पूरक पोषाहार है शिशु के सम्पूर्ण विकास का आधार

धात्री माताओं की जागरूकता है जरूरी

मुजफ्फरपुर /22  अप्रैल :  छः माह की आयु के बाद से बढ़ते हुए शिशु की बढ़ती हुई आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु पूरक आहार अत्यन्त आवश्यक है। शिशु बहुत तीव्र गति से विकसित होते हैं। इस आयु में उनकी विकास दर की तुलना जीवन के अन्य किसी दौर के विकास दर से नहीं की जा सकती । छः माह में ही जन्म के समय तीन किलोग्राम वज़न के शिशु का वज़न दोगुना हो जाता है और एक वर्ष पूरा होने तक उसका वज़न तीन गुना हो जाता है तथा उसके शरीर की लम्बाई जन्म के समय से डेढ़ गुना बढ़ जाती है। जीवन के पहले दो वर्षों में तंत्रिक प्रणाली और मस्तिष्क का विकास पूर्ण हो जाता है। शिशु का आकार और उसके  कार्यकलापों में वृद्धि हो रही होती है। इस कारण इस आयु में शिशु की पोषाहरीय आवश्यकताओं में काफी वृद्धि हो जाती है।

एन एच एस एम के सर्वेक्षण के अनुसार ज़िले में 33 प्रति शत बचे माँ के दूध के साथ  अतिरिक्त अनुपूरक आहार लेते है । शिशु के  अतिरिक्त आहार के आधार पर हर माह के 22  तारीख को अनुपूरक आहार का वितरण ज़िले एवं गाव के सभी आगनवाड़ी केन्द्रों पर अन्नप्राशन दिवस के रूप मे मनाया जाता है ।

आज ग्राम नरौली आगनवाड़ी संख्या 162  पर   अन्नप्राशन दिवस का आयोजन किया गया । इस अवसर पर 5-12 माह के बचो के अभिभावक को बुलाकर पोषण  संबन्धित सभी जानकारी दी गयी । ज़िला कार्यक्रम पदाधिकारी ललिता ने बताया की “6-9 माह के शिशु को दिन भर 200 ग्राम खाना जैसे दो कटोरी भर के अतिरिक्त आहार जैसे दाल रोटी , चावल खिचरी इत्यादि देना चाहिए । 9-12 माह मे 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना , 12-24 माह के शिशु को 500 ग्राम तक खाना देना चाहिए । इसके अलावा खाने के हरी पत्तीदार सब्जी , और पीले नारंगी फल का समावेश भी होना चाहिए। धात्री माताओं के समझ और आकृष्ट को ध्यान में रखते हुए फलो और सब्जियों के रंगोली बनाकर समझाया गया।

इस दिवस पर स्वास्थय उत्प्रेरक अमर चन्द्र एवं केयर से संजीव कुमार के साथ आँगनवाड़ी केंद्र की सहायिका और धात्री माताएं एवं शिशु उपस्थित थे।