जब खेली होली नंद ललन

जब खेली होली नंद ललन हंस हंस नंदगाँव बसैयन में
नर नारी को आनन्द हुए खुशवक्ती छोरी छैयन में
कुछ भीड़ हुई उन गलियों में कुछ लोग ठठ्ठ अटैयन में
खुशहाली झमकी चार तरफ कुछ घर-घर कुछ चैपय्यन में
डफ बाजे, राग और रंग हुए, होली खेलन की झमकन में
गुलशोर गुलाल और रंग पड़े हुई धूम कदम की छैयन में
जब ठहरी लपधप होरी की और चलने लगी पिचकारी भी
कुछ सुर्खी रंग गुलालों की, कुछ केसर की जरकारी भी
होरी खेलें हंस हंस मनमोहन और उनसे राधा प्यारी भी
यह भीगी सर से पांव तलक और भीगे किशन मुरारी भी
डफ बाजे, राग और रंग हुए, होली खेलन की झमकन में
गुलशोर गुलाल और रंग पड़े हुई धूम कदम की छैयन में
-नज़ीर अकबर आबादी