खास लोगों से आम लोगों तक पहुंचायी स्वास्थ्य सेवाएं

  • किरण के प्रयास से चढ़ने लगा इंद्रधनुषी रंग
  • टीकाकरण पर राज्य के प्रतिनिधियों से पा चुकी हैं प्रशंसा

मुजफ्फरपुर। 21 जनवरी
एक किरण का अर्थ नया सवेरा और एक किरण बैरिया कोल्हुआ पैगंबरपुर पंचायत की एएनएम। दोनों ही रोशनी लाती हैं एक हमारी धरा पर तो दूसरी बच्चों और गर्भवतियों के जीवन में। अपनी सेवा को 31 वर्ष समर्पित कर चुकीं किरण ने अपने प्रयास से स्वास्थ्य के सुधार में अनेकों सफलताएं पायी है। तभी तो उनके एचएससी पर आने वाले प्रत्येक लोगों के चेहरे पर एक मोहक मुस्कान होती है। किरण कहती हैं कि 11 अगस्त 89 को जब मैं सेवा में आयी तब से लेकर अभी तक स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यापक बदलाव आया है। पैगबंरपुर पंचायत मैं 2016 में आयी। इस इलाके पर शहरी प्रभाव होने के कारण लोगों की रुचि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति न के बराबर थी। टीकाकरण का आंकड़ा लगभग 50 प्रतिशत और सरकारी संस्थानों में संस्थागत प्रसव 60 प्रतिशत के करीब था। अच्छे और संभ्रांत लोगों के टीकाकरण और प्रसव के लिए परिवार प्राइवेट का रुख करते थे। जबकि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में वही लाभ नि:शुल्क मिल रहा था।

सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति दिलाया भरोसा
किरण कहती हैं मुझे यह पसंद नहीं आ रहा था कि कोई नि:शुल्क सेवाओं को छोड़ दूसरी तरफ रुख करे। इसके लिए मैंने लोगों से जनसंपर्क करना शुरु किया। उन घरों में भी गयी जो सक्षम परिवार से आते थे। स्वास्थ्य उपकेंद्र पर मिलने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी दी। मिल रही योजनाओं के लाभ गिनवाए। निरंतर आरोग्य सत्र आयोजित करवाए। गर्भवतियों को सेंटर और घर दोनों जगहों पर जाकर जांच करती थी। धीरे -धीरे यहां के लोगों का भरोसा बढ़ा तो टीकाकरण और संस्थागत प्रसव का प्रतिशत भी 80 और 95 पहुंच गया। सप्ताह में दो दिन आरोग्य दिवस सत्र और प्रत्येक सोमवार को गर्भवतियों के लिए एएनसी की जांच नियमित होती है। जिसमें उनकी लंबाई के अनुसार वजन, रक्तचाप, हेमोग्लोबीन को मापा जाता है। वहीं एनीमिक तथा कम वजन की महिलाओं तथा विपरित परिस्थितियों वाली गर्भवती माताओं को सीएचसी रेफर कर देती हुं।

दो वर्ष में एक एईएस बच्चा
किरण कहती हैं कांटी प्रखंड एईएस से ज्यादा प्रभावित क्षेत्र में आता है। मेरे क्षेत्र में एईएस और जेई का प्रभाव न हो इसके लिए मैंने पूरा प्रयास किया। आशा , आंगनबाड़ी के साथ सामुदायिक बैठक कर बच्चों के अभिभावक को एईएस पर जानकारी देती थी। इस वर्ष भी मेरी यही योजना है। सामुदायिक बैठक, आरोग्य दिवस पर अभिभावकों को जागरुक करने का ही नतीजा है कि वर्ष 2019 में एक बच्चा एईएस से प्रभावित होने पर अभिभावकों ने तत्परता दिखाई और उस बच्चे की जान बच पायी। वहीं इस वर्ष मेरे क्षेत्र में एक बच्चा भी एईएस से प्रभावित नहीं हो पाया। वहीं जेई से बचने के लिए मैंने टीके का शत प्रतिशत लक्ष्य पूरा किया। एईएस के दिनो में बच्चों को तेज धूप से बचने तथा रात में मीठा खिलाने का अनुरोध जरुर करती हूं ।

गाड़ी किराए पर कर, जाती रही स्वास्थ्य उपकेंद्र
किरण कहती हैं कि जब लॉकडाउन का समय आया तो अक्सर ही गाड़ी को किराए पर लेकर जाती थी। उस समय कोरोना से बचाव के लिए घर -घर जाकर लोगों को कोरोना पर जागरुक करना। हाथ धोने की सही विधि बताना ज्यादा जरुरी था। सुबह छह बजे उठकर अपना सारा काम कर लेती थी। गाड़ी किराए पर लेने में ज्यादा पैसे भी लगे, पर यह मेरे कार्यक्षेत्र के लोगों के जीवन से ज्यादा मंहगा नहीं था। संदिग्ध प्रवासियों की खोज, दोनों पहर जाकर उनका हाल जानना, कोरोना की जांच सुनिश्चित कराना सबमें काफी वक्त निकल जाता था। जिससे कभी -कभी क्षेत्र में 11 घंटे भी काम करना पड़ जाता था। मेरे क्षेत्र से 2 लोग कोरोना पॉजिटीव हुए थे जो अब सामान्य जीवन जी रहे हैं।

राज्य के प्रतिनिधि भी कर चुके हैं प्रशंसा
केयर के ब्लॉक प्रबंधक पीयूष कहते हैं कि पिछले वर्ष राज्य के कुछ प्रतिनिधि आरोग्य दिवस में पैगबंरपुर पंचायत पहुंचे थे। वे यहां की कार्यशैली देख काफी प्रभावित हुए साथ ही यहां के टीकाकरण और संस्थागत प्रसव के आंकड़ों से खुश दिखे। किरण कहती हैं कि हमारा काम सरकार द्वारा दी जा रही स्वास्थ्य सेवाओं को जन-जन तक पहुंचाना है।