कुलपति प्रो. नजमा अख्तर ने हिंदी विभाग जामिया मिल्लिया इस्लामिया द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया

- राजधानी के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में एक-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
- साहित्य और समाज के अंतर-संबंधों की वर्तमान स्थिति पर हुआ विमर्श
- नव-नियुक्त प्रथम महिला कुलपति प्रो. नजमा अख्तर ने किया उद्घाटन
- देश-विदेश से साहित्य के विद्वानों ने कार्यक्रम में शिरकत की
लहर डेस्क, नई दिल्ली- साहित्य और समाज के अंतर-संबंधों के बीच वर्तमान विमर्श को तलाशते हुए राजधानी दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया के इंजीनियरिंग सभागार दिनांक 25 अप्रैल को विशेष अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। हिंदी विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया और साहित्य संचय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में मौजूदा दौर के समाज पर आधारित साहित्य की वास्तविकता पर विचार किया गया। इस मौके पर संगोष्ठी के विषय पर अधिक रोशनी डालने के लिए देश के विभिन्न जगहों के अलावा, बेल्जियम और म़ॉरीशस से भी विद्वानों ने शिरकत की। जामिया तराने के साथ शुरु हुई इस संगोष्ठी में विषय पर चर्चा करते हुए साहित्य के विद्वानों ने विस्तार से अपने विचार व्यक्त किए, वहीं शोधार्थियों ने शोध पत्रों पर अपनी टिप्पणी पेश की। इसके अलावा कार्यक्रम में अतिथियों ने समकालीन साहित्य और समाज पर आधारित कई पुस्तकों का भी लोकार्पण और विमोचन किया।

कुलपति नजमा अखतर साथ में हिंदी विभाग की विभाग अध्यक्षा श्रीमती इंदु विरेंद्रा संयोजक डॉ.आसिफ उमर ,श्रीमती डॉ. कहकशां एहसान साद के साथ मंच पर उपस्थित अन्य अतिथि.
इस अवसर पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति, प्रो. नजमा अख्तर ने साहित्य और समाज पर आधारित इस कार्यक्रम को आने वाले भविष्य के चिंतन में एक बुनियाद की तरह माना। आयोजकों को विषय पर बधाई देते हुए “प्रो. नजमा अख्तर ने बताया कि यह विश्वविद्यालय के कुलपति का पद संभालने के बाद उनका पहला कार्यक्रम है जिसमें वह शामिल हुईं और आने वाले समय में भी इस तरह के कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करती रहेंगी। कुलपति ने हिंदी विभाग द्वारा आयोजित पहली अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए बधाई देते हुए कहा कि मैं उम्मीद करती हूँ कि आगे भी आप लोग निरंतर बड़े कार्यक्रम करते रहेंगे. जामिया के 100 साल पूरे होने पर यह आशा जताई कि उसमें भी आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में हिंदी विभाग बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेगा.” इस संगोष्ठी में पुस्तक विमोचन के अवसर पर कुलपति महोदया ने प्रशंसा करते हुए कहा कि मुझे आशा है कि आप लोग शोध को इसी तरह और बढ़ावा देंगे और अंत में कुलपति ने इस संगोष्ठी के भव्य आयोजन पर डीन प्रो. वहाजुद्दीन अल्वी, हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो इंदु वीरेंद्रा, संयोजक डॉ. आसिफ उमर और सभी विभागीय साथियों को बधाई दी. जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलसचिव, ए. पी.सिद्दीक़ी ने विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग को साहित्य जगत में एक अलग पहचान बनाने के लिए बधाई दी। “डीन प्रो. वहाजुद्दीन अल्वी ने हिंदी विभाग को बधाई देते हुए कहा कि मुझे आशा है कि आप लोग ऐसे ही काम आगे भी करते रहेंगे साथ ही हर तरह के सहयोग का आश्वासन भी दिया।” हिन्दी विभागाध्यक्ष, प्रो इंदु वीरेंद्रा ने साहित्य और समाज के अंतर-संबंधों को शरीर और उसकी आत्मा के संबंधों के समान बताया। समाज में साहित्य की अहमियत पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि साहित्य एक बेहतर समाज की कसौटी होती है, जो उसके भीतर संवेदनशीलता और यथार्थ के पक्ष को प्रखर करती है।

अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक, डॉ. आसिफ उमर ने संगोष्ठी में शामिल सभी प्रतिभागियों को विषय पर गंभीरता से अपनी राय रखने के लिए आभार जताया। उन्होंने कहा कि साहित्य समाज की एक जीवंत विधा है, जो सामाजिक परिवर्तन के सभी पक्षों पर गौर करने के लिए प्रेरित करता है।