नजमा अख्तर बनीं जामिया मिल्लिया इस्लामिया की पहली महिला कुलपति
अस्मा सुल्तान
नॅशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन की प्रोफेसर श्रीमती नजमा अख्तर को राष्ट्रपति रमानाथ कोविंद द्वारा जामिया मिल्लिया इस्लामी की कुलपति पद के लिए नियुक्त किया गया और इस तरह अख्तर देश के इतिहास में पहली महिला कुलपति के तौर पर अपना नाम दर्ज कर चुकी हैं. टाइम्स ऑफ़ इंडियाके रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा संजीव शर्मा को महतमा गाँधी सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी- बिहार और रजनीश कुमार शुक्ला को महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय विश्विद्यालय महाराष्ट्र का कुलपति नियुक्त किया गया.

नजमा अख्तर ,ट्रेनिंग और कैपेसिटी बिल्डिंग विभाग की अध्यक्ष नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एजुकेशन और प्लानिंग दिल्ली में 15 वर्षों से ज्यादा अपनी सेवा दे चुकी हैं और अब 5 वर्षों के लिए जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति नियुक्त की गयी हैं विश्विद्यालय द्वारा दी गयी रिपोर्ट्स के अनुसार अख्तर पहली महिला कुपति हैं अब तक जितने भी केंद्रीय विश्विद्यालय उन सभी में.
जामिया मिल्लिया में किसी महिला प्रोफेसर को कुलपति नियुक्त किया जाना प्रगतिशील विचारधारा को जन्म देगा और ऐसा किया जाना अपने आप में प्रगतिशीलता की मिसाल है.
श्रीमती अख्तर ने कहा की उनका सपना है की जामिया में मेडिकल कालेज की स्थापना करना है “इन्होने कहा की शीशे को नहों तोडना चाहती लेकिन मैं निश्चित तौर पर शीशे के दीवारों के खिलाफ हूँ जो किसी भी तरह का बाँध बनाती है”
विश्वविद्यालय के प्रशासन के अनुसार अब तक किसी विश्वविद्यालय के प्रशासनिक सेवा में कोई आदर्श महिला नहीं है क्योंकि वो सोचती हैं कई परुष हैं इस पद के लिए कतार में इसलिए महिला इस सेवा में जाने के लिए आवेदन ही नहीं करती.
अख्तर ने कहा की डीन, बिभाग अध्यक्ष, कार्यकारी परिषद और शैक्षणिक परिषद के अलावा छात्रों से बात करेंगी और समझने का प्रयास करेंगी की विश्वविद्यालय में शैक्षणिक व्यवस्था कैसी है, इनके अनुसार कई ऐसे पुराने पाठ्यक्रम है जिसे बंद करना चाहिए और नए पाठ्यक्रम को शुरू किया जाना चाहिए.
इन्होंने कहा की हम पुराने पाठ्यक्रम को आधुनिक बनाएं,उनमें सुधार करें या जरूरत पड़े तो कोर्स को बदल दें और इस बात पर भी जोर दिया की विश्विद्यालय में ज्यादा विदेशी छात्रों को होना चाहिए.
बात चीत के दौरान कहा की विश्विद्यालय को और भी धन की जरूरत है और यह इस दिशा में काम करेंगी , इनके अनुसार सभी विश्विद्यालय धन के लिए जूझ रहे हैं और में कोशिश करूंगी की सरकार को फंड के लिए ज्ञापन दें,इनके अनुसार अगर सही दिशा और तरीके अपनाए जाएँ तो फंड की कभी कमी नहीं होती, इस बात पर जोर देकर कहा की हमें सीखना चाहिए कैसे पैसे कमाए जाते हैं और सरकार यही चाहती है की विश्विद्यालय खुद कैसे धन अर्जित करने की दिशा में आगे बढ़े और स्वावलंबित बने. इनके मुताबिक सभी केंद्रीय विश्विद्यलय सरकारी धन पर चल रहे हैं जिसे कम करने की जरूरत है. इनका इशारा निजी शिक्षा की ओर है और अगर ऐसा होता है तो गरीब छात्र- छात्रों के लिए विश्विद्यालय में पढने का सपना कभी पूरा नहीं होगा. देखना बाकी है की इस की प्रतिक्रिया कार्यकारी परिषद और शैक्षणिक परिषद से किस प्रकार आती है?
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एजुकेशन और प्लानिंग दिल्ली के अनुसार अख्तर अलीगढ मुस्लिम विश्विद्यालय से गोल्ड मेडलिस्ट हैं और करुक्षेत्र विश्विद्यालय से शिक्षा विषय में पी एच डी किया है, कॉमनवेल्थ फेलो रही हैं यूनिवर्सिटी और वार्विक और नाटिंघम से ,इसके अलावा इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एजुकेशन प्लानिंग,यूनेस्को पेरिस से प्रशिक्षित हैं .
आप को ज्ञात हो की पूर्व कुलपति तलत अहमद ने अपने कार्यकाल से पूर्व पद से त्यागपत्र 2018 में दिया था और बाद में कश्मीर यूनिवर्सिटी के कुपति चुने गए , उनके बाद अख्तर अब जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति बनी है .मौजूदा समय में विश्विद्यालय की चांसलर मणिपुर की गवर्नर सुश्री नजमा हेपतुल्लाह है.एक रिपोर्ट के अनुसार अख्तर का चयन तीन उम्मीदवारों की लिस्ट मानव संसाधन मंत्रालय की चयन समिति द्वारा सुझाये गए तीन नामों में से की गयी है . फुरकान क़मर( असोशियेशन ऑफ़ इंडियन यूनिवर्सिटी ) और एस एम् इश्तियाक जो अभी दिल्ली आई आई टी में प्रोफेसर हैं.
जामिया मिल्लिया की स्थापना 1920 में खिलाफत आन्दोलन के समय अलीगढ में की गयी थी, 1925 में दिल्ली में स्थापित किया गया और 1988 में पार्लियामेंट अधिनियम के तहत केंद्रीय विश्विद्यालय के रूप में स्थापित किया गया. मौजूदा समय में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में 30,000 से ज्यादा छात्र और छात्राएं अध्यन कर रहे हैं – विश्विद्यालय में 9 संकाय , 38 प्रशिक्षण और रिसर्च विभाग और 27 से ज्यादा प्रशिक्षण केंद्र और रिसर्च सेन्टर हैं , विश्विद्यालय में पूरे भारत वर्ष से मेधावी छात्र और छात्राएं नामांकन परीक्षा उत्तीर्ण कर आते हैं और अपने हुनर और रचनात्मक गुणों से जामिया मिल्लिया इस्लामिया को निखारते और सजाते हैं.