व्यवहार परिवर्तन करने में हुयी कामयाब, आँगनबाड़ी केंद्र को बनाया पोषण केंद्र

बक्सर- बिहार : पोषण में सुधार के लिए सामुदायिक व्यवहार परिवर्तन बेहद जरूरी होता है। गरीबी एवं अशिक्षा कुपोषण की वजह हो सकती है, लेकिन व्यवहार परिवर्तन के जरिए सुपोषण की अलख भी जगाई जा सकती है। इसे जिले के सदर प्रखंड के आंगनवाडी केंद्र संख्या 214 की सेविका अनीता देवी ने सच कर दिखाया है। अपने आंगनबाड़ी केंद्र को पोषण केंद्र में तब्दील करने से लेकर सरकार की पोषण संबंधित योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन करने के हिसाब से अनीता देवी जिले की अन्य सेविकाओं की सूची में अव्वल है। सामुदायिक पोषण स्तर में सुधार लाने के लिए अनीता देवी का बच्चों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं के साथ किशोरियों के व्यवहार परिवर्तन पर अधिक बल देना उन्हें अन्य सेविकाओं से अलग करता है। साथ ही समुदाय के आदत में सुधार लाने के लिए अपने केंद्र पर में शत- प्रतिशत अन्नप्राशन, गोदभराई एवं नियमित अन्य पोषण संबंधित गतिविधियों का आयोजन कराना एवं घर-घर जाकर लोगों को इसके बारे में जागरूक करना एक सुपोषित समाज निर्माण की दिशा में होने वाले बदलाव को दर्शाता है।

व्यवहार परिवर्तन करने में मिली सफलता: बाल कुपोषण की शुरुआत स्वच्छता एवं साफ-सफाई के आभाव के कारण होती है। इस बात को अनीता देवी ने बख़ूबी समझा। इसको लेकर उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ने आने वाले बच्चों के व्यवहार परिवर्तन करने को ठानी। बच्चों को साफ-सफाई का महत्व समझाया। हाथ धुलायी के 10 विधियों का प्रदर्शन कर बच्चों को साफ-सफाई के प्रति जागरूक किया। साथ ही बच्चों के अभिभावकों को भी बुलाकर इसके विषय में जानकारी दी। उनकी मेहनत कारगर साबित हुयी। आज उनके पोषक क्षेत्र के बच्चे स्वच्छता का पूरा ध्यान रखते हैं। अब इस केंद्र पर बच्चे नियमित यूनिफ़ोर्म में भी आते हैं।

नयी पहल हुयी कारगर साबित: 6 माह तक जहाँ केवल स्तनपान बच्चों को रोगों से बचाव करता है, वहीं 6 माह के बाद पूरक आहार बच्चों के सम्पूर्ण मानसिक एवं शारीरिक विकास में सहयोगी होता है। इसे ध्यान में रखते हुये अनीता देवी ने प्रत्येक माह आंगनबाड़ी केन्द्रों पर होने वाले अन्नप्राशन दिवस पर अधिक बल दिया। इसके लिए उन्होंने अपने पोषक क्षेत्र के सभी 6 माह तक सभी बच्चों की लिस्ट तैयार की। लिस्ट के मुताबिक घर-घर जाकर बच्चों के अभिभावकों को पूरक आहार की उपयोगिता के बारे में जानकारी दी। साथ ही अन्नप्राशन दिवस पर शत-प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति भी सुनिश्चित करायी। उनके इस मेहनत के कारण आज उनके पोषक क्षेत्र में 6 माह से अधिक के सभी बच्चों में पूरक आहार की शुरुआत हो चुकी है। अनीता देवी पूरक आहार में दिए जाने वाले आहार का भी ख़्याल रखती हैं एवं अभिभावकों को पूरक आहार देने के विषय में भी जानकारी देती हैं।

आंगनबाड़ी केंद्र को बनाया पोषण केंद्र: अनीता देवी ने बताया पोषण के विषय में लोगों को जागरूक कर अच्छा अनुभव होता है। गाँव के परिवेश में भी उपलब्ध आहार के सेवन से कुपोषण को खत्म किया जा सकता है। इसके लिए लोगों की आदतों में बदलाव लाना जरूरी है। बेहतर पोषण प्राप्त करना अभी भी लोगों की आदत का हिस्सा नहीं है। उन्होंने बताया इसके लिए वह आंगनबाड़ी केंद्र को एक पोषण केंद्र मं। तब्दील कर दी है, जहाँ बच्चों, गर्भवती, धात्री एवं किशोरियों को बेहतर पोषण पर जानकारी देती है। उनका यह प्रयास कारगर भी साबित हो रहा है। आस-पास के लोग उनके इस प्रयास की तारीफ भी करते हैं

आईसीडीएस के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी शशिकांत पासवान कहते हैं अनीता देवी सेविकाओं के बीच एक रोलमॉडल हैं। साथ ही वह एक कुशल एवं प्रभावी वक्ता भी हैं। जनसमुदाय के बीच प्रभावी रूप से संदेश फैलाने एवं लोगों को जागरूक करने की कला उन्हें अन्य सेविकाओं से अलग करता है। पोषण माह के दौरान चलायी जा रही सभी गतिविधियों को अनीता देवी अपने केंद्र पर बखूबी क्रियान्वित भी कर रहीं हैं।