विश्व क्रोनिक फैटिग सिंड्रोम जागरूकता दिवस: लगातार थकावट हो रही हो महसूस तो हो जाएं सतर्क

संक्रमण एवं पोषण को अनदेखा करना पड़ सकता है भारी , चिंतामुक्त जीवन शैली से बचाव है संभव, मेडिकल जाँच से क्रोनिक फैटिग सिंड्रोम का पता लगाना मुश्किल

मुजफ्फरपुर एवं बिहारशरीफ़-10 मई: आधुनिक नर्सिंग की जनक फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल के जन्म दिवस पर विश्व भर में क्रोनिक फैटिग सिंड्रोम जागरूकता दिवस मनाया जाता है. इस जटिल रोग से फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल भी ग्रसित थीं. इसलिए उनकी याद में प्रत्येक वर्ष 12 मई को क्रोनिक फैटिग सिंड्रोम दिवस के माध्यम से इस रोग के प्रति आम जागरूकता फ़ैलाने की कोशिश की जाती है.
क्या है क्रोनिक फैटिग सिंड्रोम : यह जटिल रोगों की श्रेणी में आने वाला एक गंभीर मानसिक समस्या है जिसमें व्यक्ति को लम्बे समय तक अत्यधिक थकावट महसूस होती है. आराम करने के बाद भी थकावट कम नहीं होती है. इस रोग के कारण कभी-कभी व्यक्ति दैनिक कार्यों को भी अच्छे से संपादित करने में असमर्थ हो जाता है.

लक्ष्ण के आधार पर करें पहचान : इस रोग के बहुत सारे लक्ष्ण अन्य रोगों की तरह ही होते हैं .जॉइंट पेन( बिना रेडनेस एवं सूजन के), ध्यान केन्द्रित करने में समस्या या शोर्ट टर्म मेमोरी, निरंतर सिरदर्द का बने रहना, घबराहट का होना, अच्छे से नींद का ना आना, जी मतलाना, फ्लू की तरह लक्ष्ण आना, अवसाद, तनाव एवं चिंता का बढ़ जाना एवं सहनशक्ति में कमी आ जाना इस रोग के कुछ प्रमुख लक्ष्ण होते हैं.

कारण का सही आकलन मुश्किल : बहुत सारे शोधों के बावजूद इस रोग के सटीक कारणों का पता नहीं लगाया जा सका है. हालाँकि इस रोग के कुछ संभावित कारणों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई है.

  • संक्रमण
  • अत्यधिक कम रक्त चाप का होना
  • पोषण में कमी
  • रोग प्रतिरोधी क्षमता में ह्रास
  • चिंता में इजाफ़ा

जिला अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डा. अवधेश कुमार एवं मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल से सिविल सर्जन डॉ शैलेश प्रसाद सिंह जी ने बताया की इस रोग में मरीज को ज्यादा परेशानी का सामना ना करना परे इसलिए उन्हे चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए।

मेडिकल जाँच से रोग की पहचान करना मुश्किल : क्रोनिक फैटिग सिंड्रोम का सटीक उपचार आसान नहीं माना जाता है. अन्य रोगों की तरह ही लक्ष्ण होने, रोग की पहचान करने के लिए किसी तरह के जाँच की उपलब्धता ना होना एवं व्यक्ति दर व्यक्ति में लक्ष्णों की असमानता के कारण उपचार में कठिनाइयाँ भी आती है. साथ ही यदि कोई 6 माह से अधिक समय से इस रोग से पीड़ित चल रहा हो तो उनमें सामान्य लक्ष्ण के अलावा अन्य जटिल लक्ष्ण जैसे स्मृति संबंधित समस्याएं एवं अवसाद, तनाव एवं चिंता का बहुत बढ़ जाना भी देखने को मिलता है. इस रोग का कोई विशेष उपचार उपलब्ध नहीं है. लेकिन चिकित्सकों की मदद से इस रोग से होने वाली कुछ गंभीर जटिलता जैसे नींद आने में दिक्कत, अवसाद, जी मतलाना, दर्द एवं चिंता में दवाइयों की मदद से कमी लायी जा सकती है. इस रोग के कारण उत्पन्न समस्याओं में वांछित कमी लाने के लिए दवाइयों के साथ बेहतर चिकित्सकीय परामर्श भी प्रभावी होता है.