मातृ, शिशु एवं छोटे बच्चों के पोषण बेहतर बनाने के लिए प्रशिक्षण सह कार्यशाला का हुआ आयोजन
मातृत्व के प्रथम 1000 दिनों पर आधारित है बच्चों का सम्पूर्ण स्वास्थ
6 माह के बाद अनुपूरक आहार बच्चों को कुपोषण से बचाने में अहम
लहर डेस्क पटना 29 अप्रैल : अलाइव एंड थराइव संस्था के सौजन्य से से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में चिकित्सकों एवं नर्सों की मातृ, शिशु एवं छोटे बच्चों के पोषण को बेहतर बनाने प्रशिक्षण सह कार्यशाला आयोजित की गयी .कार्यशाला के माध्यम से मातृत्व के प्रथम 1000 दिनों में मातृ पोषण, जन्म के तुरंत बाद स्तनपान, 6 माह तक सिर्फ स्तनपान (पानी भी नहीं), 6 माह के बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार के साथ मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए जरुरी प्रोटोकॉल के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी.
इस अवसर पर एम्स के निदेशक डॉ.पीके सिंह ने कार्यशाला का शुभाराम्भ करते हुए कहा कि मातृ, शिशु एवं छोटे बच्चों के पोषण में सुधार लाने के लिए चिकित्सकीय सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार आवश्यक है. इसके लिए इस तरह की प्रशिक्षण कार्यशाला गुणवत्ता सुधार में सहायक साबित होगी. उन्होंने बताया कि माँ का दूध शिशुओं को बहुत सारे रोगों से बचाव करता है.
एम्स के महिला रोग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.मोनिका आनंद ने बताया कि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए चिकित्सकीय सुविधा के साथ बेहतर परामर्श भी अत्यावश्यक है. उन्होंने बताया कि गर्भवती महिला का सही पोषण उसके एवं उसके गर्भ में पल रहे शिशु के जीवन पर दूरगामी प्रभाव डालता है.
अलाइव एंड थराइव की वरीय कार्यक्रम प्रबंधक डॉ.अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिला को प्रतिदिन के भोजन में आयरन एवं फॉलिक एसिड की सही मात्रा लेना भी जरुरी है. एक गर्भवती महिला को अधिक से अधिक आहार सेवन में विभिन्नता लानी चहिए. गर्भावस्था से पहले 1000 दिन बच्चे के शुरुआती जीवन की सबसे महत्वपूर्ण अवस्था होती है.आरंभिक अवस्था में उचित पोषण नहीं मिलने से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो सकता है जिसकी भरपाई बाद में नहीं हो पाती है. नवजात शिशु की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उसे जन्म के एक घंटे के अंदर मां का दूध पिलाना जरूरी है. यह नवजात शिशु को कई प्रकार के संक्रमण और बीमारियों से सुरक्षित रखता है. स्तन पान कराने से नवजात शिशु के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं.
6 माह के बाद अनुपूरक आहार है जरुरी: प्रशिक्षण के दौरान, शिशुओं को 6 माह के बाद अनुपूरक आहार देने के बारे में जानकारी दी गयी. 6 से 8 माह के शिशुओं को स्तनपान के साथ दिन में 2 बार लगभग 250 मिलीलीटर की आधी कटोरी अर्धठोस भोजन के साथ गाढ़ी दाल में1 चम्मच तेल या घी देना चाहिए. 9 से 11 माह के बच्चों को स्तनपान के साथ दिन में 3 बार लगभग 250मिलीलीटर की आधी कटोरी अर्धठोस भोजन देना चाहिए. 12 से 23 माह तक के बच्चों को स्तनपान के साथ दिन में 3 बार लगभग 250 मिलीलीटर की एक कटोरी अर्धठोस भोजन देना चाहिए. साथ ही बच्चों के बेहतर पोषण के लिए अनुपूरक आहार में विविधता भी काफी जरुरी है. इससे बच्चों को आहार से जरूरी पोषक तत्त्व प्राप्त होते हैं.
इस कार्यशाला में डॉ. नीरज अग्रवाल, विभागाध्यक्ष, कम्युनिटी व फॅमिली मेडिसिन, डा. शमशाद अहमद , एसोसिएट प्रोफेसर, कम्युनिटी व फॅमिली मेडिसिन ने भी प्रतिभागियों को संबोधित किया.