बेहतर मातृ पोषण के लिए आहार विविधता है जरुरी

गर्भावस्था में एवं प्रसव के बाद आयरन एवं कैल्सियम की गोली जरुरी
कार्यशाला के माध्यम से मातृ एवं शिशु पोषण पर दी गई जानकारी
लहर डेस्क पटना/ 15 मई: अलाइव एंड थराइव के सहयोग से पटना मेडिकल महाविद्यालय एवं अस्पताल (पी.एम.सी.एच.) में चिकित्सकों एवं नर्सों की मातृ, शिशु एवं छोटे बच्चों के पोषण पर प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गयी . कार्यशाला के माध्यम से मातृत्व के प्रथम 1000 दिन में पोषण की महता पर विस्तार से जानकारी दी गई. कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए पी.एम.सी.एच. के प्राचार्य डॉ रामजी प्रसाद सिंह ने इस कार्यशाला के लिए अलाइव एंड थराइव को धन्यवाद दिया एवं भविष्य में हर संभव सहयोग प्रदान करने की कही.
इस अवसर पर संस्थान के शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा. ए.के.जायसवाल ने कहा कि मातृ, शिशु एवं छोटे बच्चों के पोषण में सुधार लाने के लिए चिकित्सकीय सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार आवश्यक है. इसके लिए अस्पताल में स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में शिशुओं के साथ उनकी माताओं के पोषण पर भी ध्यान दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि इससे मातृ तथा शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में सहायता मिलेगी.
आईआईपीएच, दिल्ली से आई डॉ ज्योति शर्मा ने कहा गर्भावस्था के पहले दिन से ही माता को अपने पोषण पर ध्यान देना चाहिए. गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य माता के पोषण से भी प्रभावित होता है. माता का बेहतर पोषण सुरक्षित प्रसव में सहायक होने के साथ शिशु को बहुत सारे संभावित जटिलताओं से भी सुरक्षित करता है.
अलाइव एंड थराइव की वरीय कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिला को 180 दिन तक प्रतिदिन आयरन एवं फॉलिक एसिड की एक गोली के साथ कैल्सियम की दो गोली प्रतिदिन लेनी चाहिए. प्रसव के उपरांत भी 180 दिन तक प्रतिदिन आयरन एवं फॉलिक एसिड की एक गोली के साथ कैल्सियम की दो गोली लेनी चाहिए. एक गर्भवती महिला को अधिक से अधिक आहार सेवन में विविधता लानी चहिए. इससे महिला को सभी जरुरी पोषक तत्वों की प्राप्ति हो जाती है. माता के वजन से गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ प्रभावित होता है इसलिए गर्भावस्था के दौरान निश्चित अंतराल पर माता का वजन जरुर करना चाहिए ताकि ज्ञात हो सके कि बच्चे का विकास हो रहा है.
पी.एम.सी.एच. के महिला रोग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.रूपम सिन्हा ने बताया कि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए चिकित्सीय सुविधा के साथ बेहतर परामर्श भी अत्यावश्यक है. उन्होंने बताया कि गर्भवती महिला का सही पोषण उसके एवं उसके गर्भ में पल रहे शिशु के जीवन पर दूरगामी प्रभाव डालता है. एक सुपोषित माता ही स्वस्थ शिशु की जननी होती है.
इस दौरान डॉ.रणजीत सिन्हा, एसो. प्रोफेसर, कम्युनिटी मेडिसिन ने भी प्रतिभागियों को संबोधित किया.