नफ़रत फ़ैलाने वाले ‘हेट स्पीच ” कानून के दायरे में अपराध है

सुदर्शन न्यूज़ चैनल के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने का मामला : अख्तर रावलकी के प्रार्थना पत्र पर अदालत ने तलब की पुलिस एक्शन रिपोर्ट , अगली सुनवाई 24 मार्च 2021 को होगी : पढ़ें तफसील
रिपोर्ट : असद हयात
जैसा कि आप जानते हैं कि सुदर्शन न्यूज़ चैनल ने दिनांक 4 जून 2020 से अगले 10 दिनों तक मेवात क्षेत्र ( जो कि हरियाणा और राजस्थान राज्यों में फैला है) में रहने वाले मेव मुस्लिमों और विशेष कर जमात तब्लीग़ के विरूद्ध झूठे तथ्यों व गढ़े गए साक्ष्यों को आधार बनाकर अनर्गल प्रचार किया जिसका मकसद जमात तब्लीग़ और सम्पूर्ण मेव मुस्लिम समाज को बदनाम व अपमानित करना व साथ ही इस क्षेत्र में सांप्रदायिक सौहार्द को खराब करना और दो धर्म समुदायों में दुश्मनी पैदा करना था। इससे इस मेवात क्षेत्र के निवासियों व इन कार्यक्रमों को देखने वालों की भावनाएं आहत हुईं. इस कारण FIR दर्ज कराने हेतू प्रार्थना पत्र भेजा गया था . चुंकि पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की इसीलिए CJM Mewat कोर्ट में प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 156(3) CRPC दिया गया था. मामले की सुनवाई अब 24 मार्च 2021 को होगी.
सुदर्शन चैनल की छवि सांप्रदायिक ज़हर उगलने वाली बन गयी है क्यूँ कि सही तथ्यों के आधार पर इन के कार्यक्रम नहीं होते और इनमें मेवात के पूरे मेव मुस्लिम समाज और जमात तब्लीग़ को कथित घटनाओं का ज़िम्मेदार बताया गया है. ये सभी प्रोग्राम साजिशन दुर्भावना पूर्वक तैयार किये गये. अमीश देवगन के मामले में ( Case of Amish Devgan vs Union of india and others Writ Petition (Criminal ) no 160 of 2020 decided on 7.12.2020) सुप्रीम कोर्ट ने जो कानून की व्याख्या की है उसके अनुसार झूठा, दुर्भावना पूर्वक किया गया प्रचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में नहीं आता है और अगर इससे किसी की प्रतिष्ठा धूमिल होती है और समाज के वर्गों में आपसी नफ़रत पैदा होती है तो ये ‘हेट स्पीच ” कानून के दायरे में अपराध है.