जीविका दीदियों ने 4 बिंदुओं को बनाया चमकी बुखार से लड़ने का हथियार

  • जीविका दीदियां चमकी बुखार से लड़ने के लिए लोगों को कर रही हैं तैयार
  • शोभा कुमारी के नेतृत्व में 12 समूहों की 124 महिलाएं चला रही हैं मुहिम

मुजफ्फरपुर/ 20 जुलाई
चमकी बुखार की रोकथाम में जीविका दीदियों का जागरूकता अभियान भी मील का पत्थर साबित हो रहा है। जीविका की कम्युनिटी मोबलाइजर शोभा कुमारी ने चार बिंदुओं को चमकी बुखार के खिलाफ हथियार बनाया है। रोग को पहचानने में ना हो देरी, बचाव में ना हो देरी, पहुंचाने में ना हो देरी और बच्चों को सही पोषण मिले, इन चार बातों को जिस तरह से मूल मंत्र के रूप में उनके समूह की महिलाओं के द्वारा लोगों के बीच प्रचारित किया गया, वह आज बड़े बदलाव का सूत्रधार बना है। इस मुहिम में शोभा कुमारी की रणनीति और नेतृत्व क्षमता उल्लेखनीय है।

लोगों को बता रहीं चार बिंदुओं का मतलब :

शोभा ने बताया कि उनके पास सबसे बड़ा हथियार उनकी महिलाएं ही हैं, क्योंकि घर और बच्चों को उन्हीं को देखना पड़ता है। चमकी बुखार के संबंध में उनलोगों ने काफी पहले से जागरूकता अभियान की शुरुआत कर दी थी। चार बिंदुओं पर पूरा फोकस हर हफ्ते की मीटिंग में रहा। शोभा ने एक-एक बिंदु को विस्तार से समझाते हुए बताया कि पहचानने में देरी ना हो का मतलब यह है कि सिर दर्द, 5-7 दिनों से बुखार आना, बच्चे का बेहोश हो जाना, शरीर में चमकी का होना, हाथ पैर में थरथराहट होना, पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना या हाथ पैर का अकड़ जाना, बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक ना होना इत्यादि।


बचाव में देरी ना हो का मतलब यह है कि तेज बुखार आने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें एवं पंखे से हवा करें, यदि बच्चा बेहोश नहीं है तब साफ पानी में ओआरएस का घोल या नींबू पानी दें, बेहोशी की अवस्था में बच्चे को हवादार स्थान पर रखें, बच्चे के शरीर से कपड़े हटा लें एवं छायादार जगह पर लिटाएं, उसकी गर्दन सीधी रखें, यदि बच्चे के मुंह से झाग निकल रहा है तो साफ कपड़े से मुंह साफ करें, यदि झटके आ रहे हों तो बच्चे के दांतों के बीच साफ कपड़ों का गोला बनाकर रखें, शरीर के कपड़े ढीले कर दें, मुंह में कुछ ना डालें।


पहुंचाने में देरी ना हो का मतलब यह है कि बच्चे में चमकी के लक्षण पाए जा रहे हैं तो अविलंब नजदीक के किसी भी सरकारी अस्पताल में तुरंत बच्चे को ले जाएं। प्राइवेट डॉक्टर, ओझा और झाड़-फूंक वालों के चक्कर में ना पड़ें। अस्पताल ले जाने के लिए 102 नंबर पर कॉल करके एंबुलेंस को बुलाएं यदि कोई एंबुलेंस उस समय ना हो तो 3-4 स्थानीय गाड़ी वालों से बात कर लेते हैं और उनके नंबर समूह की महिलाओं को दे देते हैं ताकि किसी को भी कॉल करके जितनी जल्दी हो मरीज को अस्पताल तक पहुंचाया जाए। सरकार ने यह सुविधा भी उपलब्ध कराई है कि किसी प्राइवेट गाड़ी से मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाता है तो उसके बदले 400 रुपए दिए जाते हैं।
पोषण सही हो का मतलब है कि बच्चों को साफ सुथरा रखें, जानवरों को अपने रहने की जगह से दूर रखें, बच्चे को पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनाएं, बच्चे को मच्छरदानी में सुलाएं, गिरी या फटी लीची बच्चों को ना खिलाएं, रात में भरपेट खाना खिला कर सुलाएं, रात के खाने के बाद गुड़, चीनी, मिठाई इत्यादि कुछ ना कुछ मीठा खिला कर ही सुलाएं, सुबह बच्चे को जल्दी जगाएं, बच्चे को धूप में खेलने से बचाएं।

आपदा को अवसर में बदल डाला :

शोभा ने बताया कि लॉकडाउन में भी हमारा काम चलता रहा, बल्कि उन लोगों ने इसको अवसर के रूप में लेते हुए अपना काम और तेज कर दिया। शुरुआती दौर में ग्रुप की महिलाएं सामने नहीं आती थीं। कोरोना का डर लगा रहता था, लेकिन बार-बार समझाने के बाद ग्रुप की मीटिंग फिर से शुरू हो गई। इस बार ना केवल ग्रुप की महिलाएं मीटिंग में शामिल हुईं, बल्कि लॉकडाउन के कारण घर के अन्य लोग भी मीटिंग का हिस्सा बने। मीटिंग के दौरान सामाजिक दूरी का पालन और मास्क पहनना जरूरी रखा।

शोभा की नेतृत्व क्षमता की कायल हैं महिलाएं :

शोभा कुमारी ने जीविका में मेंबर के रूप में शुरुआत की और आज कम्युनिटी मोबिलाइजर बन कर 12 समूहों की 124 महिलाओं का मार्गदर्शन कर रही हैं। बोचहां प्रखंड के भगवानपुर की शोभा कुमारी ने 2015 में मात्र 10 रुपए देकर पायल नामक ग्रुप की सदस्यता ली। हर शनिवार को ग्रुप की मीटिंग में पाबंदी से भाग लेती रहीं। चार हफ्ते मीटिंग कराने के बाद ग्रुप की कम्युनिटी मोबिलाइजर शर्मिला कुमारी ने किसी कारण ग्रुप छोड़ दिया। कम्युनिटी मोबिलाइजर न होने के कारण समूह बिखरने लगा। तब गांव की औरतों ने आपस में सलाह करके शोभा कुमारी को अपना कम्युनिटी मोबिलाइजर बना लिया। गांव की औरतों का मानना था कि शोभा पढ़ी लिखी है, इसलिए ग्रुप को आगे ले जाएगी, जिसको शोभा ने सच कर दिखाया।