गांवों को गोद लेकर टीम वर्क से दी चमकी को मात

फ़ौजिया रहमान ख़ान , मुजफ्फरपुर। 30 जुलाई
चमकी को मात देने में अंतर विभागीय समन्वय से किए गए काम की भूमिका भी निर्णायक रही है। जिलाधिकारी के आदेश पर एक-एक गांव को गोद लेकर जिस तरह से टीम बनाकर अधिकारियों और कर्मियों ने संकल्प से सिद्धि की राह चुनी है, उसकी गवाही सफलता के आंकड़े देते हैं। बानगी के तौर पर बोचहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले साल 24 बच्चे चमकी की चपेट में आ गए थे। वहीं इस साल अभी तक एक भी बच्चा इस बीमारी की जद में नहीं आया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक आलोक कुमार ने बताया उनलोगों ने विभिन्न स्तरों पर चमकी बुखार से निपटने की तैयारी की, जिसमें दूसरे विभाग के लोगों का भी बड़ा सहयोग रहा। डीएम के आदेश पर सारे विभाग के अधिकारियों ने एक-एक गांव को गोद लिया और उसमें अपने अपने तौर पर जागरूकता फैलाने का काम किया गया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की आशा से लेकर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी तक सबने एक टीम के रूप में अपने अपने कर्तव्यों का पालन किया।
तीन बातों को बनाया चमकी के विरुद्ध हथियार

टीम ने चमकी को लेकर चलाए गए जागरूकता अभियान में तीन बातों को हथियार बनाया। ‘ खिलाओ, जगाओ और अस्पताल ले जाओ।’ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारियों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने जागरूकता, पोषण और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की तैयारी पर जोर दिया, जिसका रिजल्ट यह सामने आया कि पिछले साल 24 बच्चे चमकी बुखार से प्रभावित होकर अस्पताल पहुंचे थे, जिनमें से पांच की मृत्यु हो गई थी। लेकिन इस बार 20 पंचायतों में 2.80 लाख की आबादी के स्वास्थ्य का पूरी तरह से ध्यान रखा गया और एक भी बच्चा चमकी बुखार की चपेट में नहीं आया।
ऐसे मिली इतनी बड़ी सफलता :
प्रखंड में मार्च से ही स्क्रीनिंग प्रारंभ कर दी गई थी। हर घर में ओआरएस के लगभग 42000 पैकेट बांटे गए। आशा ने घर-घर जाकर लोगों को चमकी बुखार के लक्षण और जागरूकता वाले पैम्फलेट पढ़-पढ़ कर सुनाए, 34 सब सेंटर्स और 35 महादलित टोलों के आंगनबाड़ी केंद्रों, स्कूलों और सरकारी भवनों की दीवारों पर जागरूकता संदेश लिखे गए। जागरूकता के लिए हफ्ते में एक दिन पब्लिक मीटिंग की गई। आज भी शारीरिक डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए जागरूकता के ये अभियान जारी हैं।
प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक ने बताया लॉकडाउन में थोड़ी परेशानी तो हुई, लेकिन यह उनके लिए वरदान भी साबित हुआ, क्योंकि सारे लोग अपने अपने घरों में थे और कोविड-19 का सर्वे भी करना था. उनकी टीम ने सर्वे के साथ-साथ एईएस पर जागरूकता भी फैलाती रही। लोगों को यह बताती रही कि बच्चों के पोषण पर ध्यान देना अत्याधिक जरूरी है। बच्चों को भूखे पेट न सुलाया जाए, धूप में खेलने से रोका जाए, सुबह जल्दी जगा दिया जाए, यदि कोई परेशानी हो तो टोल फ्री नंबर 102 पर फोन करके एंबुलेंस को बुला लिया जाए। कुछ ऐसी ही जानकारी लोगों को दी गयी. उन्होंने बताया लोगों को इस बात पर जोर देकर बताया गया कि किसी कारणवश यदि एंबुलेंस उनके घर नहीं आती है, तो आप लोग किसी भी प्राइवेट गाड़ी में अपने बच्चे को लेकर बिना देर किए अस्पताल पहुंच जाइए। उसके किराया के तौर पर 400 दिया जाएगा। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नवीन कुमार के नेतृत्व में टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक अलग से एईएस वार्ड बनाया गया है, जिसमें दो बेड, एएनएम और 6 प्रशिक्षित चिकित्सकों के अलावा आरबीएसके के डॉक्टरों को भी प्रशिक्षण देकर इमरजेंसी के लिए तैयार कर लिया गया था। एईएस के मरीजों के लिए अलग से एक एंबुलेंस तैयार है, जिसमें दवा, ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं।