इरोम शर्मीला बनी जुड़वाँ बच्चों की माँ

बैंगलुरु : इरोम मणिपुर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) को पूर्ण रूप से खत्म करने के खातिर 16 साल तक निरंतर भूख हड़ताल पर डटी रही. आज 48 साल की उम्र में जुड़वां बच्चों की माँ बनी हैं. उन्होंने बैंगलुरु के एक हॉस्पिटल में रविवार को जुड़वाँ बच्चों को जनम दिया। अन्याय के विरुद्ध लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ने वाली योद्धा ने दो नन्हीं ज्वालाओं को जन्म दिया.संघर्ष और जीवटता की अमूर्त प्रतीक हैं इरोम. नई पीढ़ी शायद इरोम शर्मिला से परिचित ना हो लेकिन उनकी संघर्ष की कहानी इतिहास का दस्तावेज है.जीवन को अपने शर्तों पर जीने का नाम है इरोम!

जिस दौर में मौत दरवाजे पर खड़ी नजर आ रही थी शायद उस दौर में इरोम संघर्ष की तैयारी में जुट गई थी. संघर्ष के मोर्चे पर अपने तेवर के साथ खड़ी थी. उन्होंने मणिपुरी जनता के पक्ष में पूरे देश के पटल पर एक संदेश दिया. सूरत तो नहीं बदली लेकिन मणिपुर की देश के सामने एक नई तस्वीर सामने आई. बाकी उनके कद के लायक शायद अब इस अंदाज वाले कम ही शख्सियत मिले. इरोम आपके निपट बेबाकीपन के हम कायल हैं.

बहुतेरे सत्ता के गलत निर्णयों के खिलाफ चूं तक नहीं बोलते, उस दौर में इरोम सत्ता के गलत नीतियों के विरोध में मणिपुर की जनता के पक्ष में मुखर आवाज बनकर उभरी. मणिपुर की जनता की सशक्त आवाज के बतौर हर परिस्थिति काल में मौजूद दिखी.सदियों तक उनकी संघर्ष की गूँज फिजाओं में, हमारे दिलों में धड़कता रहेगा. उनकी संघर्ष की कहानी प्रेरक और दिलचस्प है.पुख्ता यकीन है ये नन्हीं कपोलें ही एक दिन मां की विरासत को संजोयेगी.

बहुत-बहुत बधाई आपको इरोम!

आशुतोष आर्यन