प्रवासी होना क्या अपराधी होना भी है?

सरकारी बिभागों ने माना बिहारी प्रवासी मजदूर हो सकते हैं कानून व्यवस्था के लिए खतरा,गैर न्यायोचित तरीके से पुलिस मुख्यालय ने जिलों को किया सावधान
लहर स्टाफ रिपोर्टर : 05-Jun-2020 01:15 PM
PATNA : कोरोना काल में जो भी जहाँ था वहां से अपने घर वापस होना ही बेहतर माना और उसे यकीं ही नहीं वीश्वास भी था की अपने घर पर सुरक्षित रहेगा, जान बचाने के लिए दो जून की रोटी का इंतज़ाम जरूर कर पायेगा, आप सब ने केंद्र सरकार की अत्यंत महत्वकांक्षी योजना आत्म निर्भर भारत योजना के बारे में भी सुना जिसे समझाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सितारमण को 5 बार प्रेस कांफ्रेस कर समझाना पड़ा और केंद्र सरकार की और से 40,000 हज़ार करोड़ अतिरिक्त आर्थिक सहयोग देने की भी बात की कही गयी जिसके सहयोग से सभी प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के तहत जॉब कार्ड बनवाकर काम पर लगाया जायेगा, लेकिन अब खुद बिहार सरकार यह मानने लगी है की वह सभी प्रवासी मजदूरों को रोज़गार नहीं दे पाएगी और मजबूरी में यह सभी प्रवासी मज़दूर अपना और अपने परिवार के भूख की आग को बुझाने के लिए अपराधिक घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं और इसके लिए सभी जिला को सतर्क रहने के लिए बिहार पुलिस मुख्यालय ने बाजाप्ता पत्र जारी कर सतर्क रहने को कहा है , यानी की सरकार की प्रसाशनिक विभाग ने यह तय भी कर लिया अब अगर अपराधिक घटना होगी तो उसके लिए सीधे तौर पर गरीब –मजबूर प्रवासी मज़दूर जिम्मेदार होंगे, पुलिस को आगाह करना कोई ख़राब काम नहीं और प्रसाशनिक व्यवस्था कायम करना भी अच्छी पहल हो सकती है लेकिन पुलिस को मानसिक रूप से एक खास वर्ग के लिए तैयार करना किसी अपराध से कम नहीं? हम सब जानते हैं पुलिसिया कार्रवाई और उसकी धारणा एक खास वर्ग , समुदाय और जाती के खिलाफ बना देने के बाद कैसा वर्ताव करती है जनता के साथ कैसे गलत और मासूम लोगों को अपराधिक मामलों में फंसा कर उसकी जिंदगी बर्बाद कर अपना पीठ थपथपाया करती है, मानव अधिकार आयोग यह मान चुकी की 90% प्रतिशत मुठभेर के मामले जाली होते हैं ,तथ्यों के साथ छेड़ छाड़ किया जाता है और उसकी सजा निर्देश और निहत्थी जनता को भुगतना पड़ता है. क्या इस पत्र के आलोक में अब भी मानव अधिकार आयोग कोई ठोस कदम उठाएगी सरकार से सवाल पूछेगी , रोजी रोटी अधिकार कानून 2013 को सत-प्रतिशत लागू करने के लिए मानव अधिकार आयोग या माननीय उच्चतम न्यायालय सरकार को नोटिस जारी करेगी और राज्य में सभी स्थानीय जनता को काम और भोजन के अधिकार को सुनिश्चित करेगी? आप को बता दें की 27 मई तक 12 लाख प्रवासी मज़दूर बिहार वापस आचुके हैं और अन्य 27 लाख प्रवासी श्रमिकों ने नामांकन किया है बिहार वापस आने के लिए , यह आंकड़े हैं जो ट्रेन और बसों के जरिए आये हुए प्रवासी श्रमिक की है जिन्हों ने अपना पंजीयन कराया, अन्य प्रवासी श्रमिक भी हैं जो पैदल, साईकल ,रिक्शा ,बाईक और ट्रक से वापस लौटे हैं जिनका सही आंकड़ा हमारे पास नहीं है, प्रसिद्ध अर्थ-शास्त्री ज्यान्द्रेज के मुताबिक बिहार और उत्तर प्रदेश में प्रवासी मज़दूर अधिक प्रभावित होंगे.

अब पढ़िए क्या कहता है बिहार पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी यह पत्र:
बिहार पुलिस मुख्यालय की तरफ से सभी जिलों के एसपी के साथ-साथ रेल अधीक्षक को भी एक पत्र जारी किया गया है. जिसमें प्रवासी मजदूरों से कानून व्यवस्था का गंभीर संकट पैदा होने की आशंका जताई गई है. पुलिस मुख्यालय ने अपने इस पत्र में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि बाहर से बड़ी संख्या में आए प्रवासी मजदूर आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. ऐसे में वह परेशान और तनाव ग्रस्त हैं जिसे देखते हुए विधि व्यवस्था को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है. इतना ही नहीं पुलिस मुख्यालय ने यह भी माना है कि प्रवासी मजदूरों को बिहार में रोजगार मिलने की संभावना कम है. ऐसे में अपने परिवार के भरण-पोषण के उद्देश्य से यह प्रवासी मजदूर अपराधिक घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं. पुलिस मुख्यालय ने यह कहा है कि प्रवासी मजदूरों के कारण बिहार में अपराध की वृद्धि हो सकती है लिहाजा इस मामले में सतर्कता बरतने की जरूरत है.
कानून व्यवस्था पर डाल सकते बुरा प्रभाव:
नीतीश सरकार भले ही प्रवासी मजदूरों के लिए नीतियां बना रही हो मुख्यमंत्री खुद कह रहे हो कि प्रवासी भी बिहारी है. लेकिन बावजूद इसके पुलिस मुख्यालय की तरफ से जो आदेश जारी किया गया है वह बताता है कि सरकार की सोच प्रवासी मजदूरों को लेकर क्या है. पुलिस मुख्यालय में स्पष्ट तौर पर माना है कि प्रवासी मजदूरों की वापसी से बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. लिहाजा सभी को इस बारे में कार्य योजना बनाकर काम करना होगा जिलों को इस मामले में विशेष सतर्कता बरतने का निर्देश दिया गया है यह आदेश पुलिस मुख्यालय की तरफ से अपर पुलिस महानिदेशक विधि व्यवस्था अमित कुमार ने जारी किया है.