इजरायल और फिलिस्तीन में हुआ संघर्ष विराम

मुज़फ्फर हुसैन

अभी ताज़ा विश्व राजनितिक स्तिथि में इजराइल और हमास दोनों ने संघर्ष विराम की अधिकारिक पुष्टि कर दी है। इस संघर्षविराम में अमेरिका और रूस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा दोनों पक्षों में संतुलन बनाने में सऊदी अरब सबसे अग्रणी रहा। इस बार 11 दिनों के युद्ध के बाद जो भीषण संघर्ष हुआ उसमें लगभग 232 फिलिस्तीनी मारे गए मरने वालों में 66 बच्चे भी हैं। 1900 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक 72000 फिलिस्तीनी इन ताज़ा संगर्ष के कारण विस्थापित हुए हैं। वही दूसरी तरफ इजराइल में भी 12 लोग मारे गए हैं जिसमे एक भारतीय महिला भी शामिल है।

संयुक्त राष्ट्र सहित अमेरिकी राष्ट्रपति, रूस के राष्ट्रपति, सऊदी अरब, मिस्र, क़तर, आदि सभी देश चाहते थे कि ये तनाव ख़त्म हो और युद्ध विराम लागु हो ताकि इलाके में शांति बहाल हो सके। मिस्र ने युद्ध विराम में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और स्थानीय समयानुसार रात के 2 बजे से युद्ध विराम लागु हुवा। यह लड़ाई मूल्यता एक तरफ अत्याधुनिक देश इजराइल जिसके पास दुनिया की अच्छी से अच्छी तकनीक है, अनुशासित सेना है और आधुनिक हथियार हैं तो दूसरी तरफ फिलिस्तीन है जिसके पास ना तो अपनी आर्मी है ना एयर फोर्स है और नाही जल सेना। यह लड़ाई मूल्यत: गाजा क्षेत्र से हो रही थी।

इस युद्ध विराम के साथ ही ग़ज़ा सहित फिलिस्तीन के लोगों ने ली राहत की सांस ली और सड़कों पे जीत का जश्न मनाया। जश्न इस लिए के इजराइल के पास सारे आधुनिक हथियार और सेना होने के बावजूद उनको युद्ध विराम के लिए मजबूर होना पड़ा। हमास और फिलिस्तीन के लिए ये बहुत बड़ी मनोवैज्ञानिक जीत है और लोग इसी का जश्न मना रहे हैं और सड़कों पर जुलुस निकल रहे हैं। भारत इसमें में न्यूट्रल रहा परंतु आधिकारिक रूप से फिलिस्तीन का समर्थन करता रहा। भारत में संयुक्त राष्ट्र संघ के की बैठक में यथास्थिति बनाने की अपील की थी परंतु कूटनीतिक तौर पर भारत ने फिलिस्तीन को सपोर्ट किया। हालाँकि भारत ने इजरायल का खुलकर विरोध नहीं किया।

इस युद्ध की शुरुआत रमजान के अंतिम जुम्मा के नमाज में अल अक्सा मस्जिद में फिलिस्तीनी नमाज पढ़ रहे थे। इजराइली सैनिकों द्वारा अचानक हमले के बाद शुरू हुई थी जिसमें काफी से अधिक धर्मावलंबी घायल हो गए थे इसके बाद यह हिंसा भड़की थी जो बाद में युद्ध का रूप ले लिया। इजराइल की इस कार्यवाही का पूरी दुनिया में विरोध हुआ। मानवाधिकार और मीडिया ने बड़े पैमाने पर इसका विरोध किया हालाँकि ब्रिटिश और अमरीकी मीडिया ने खुलकर शुरू में विरोध नहीं किया था। जब इजराइल ने फिलिस्तीन में आम लोगों को निशाना बनाने लगा तब मीडिया और लोगों के द्वारा ज़्यादा विरोध हुवा। यहां तक कि इजराइल के कई शहरों में भी इसके खिलाफ प्रदर्शन हुए।

युद्ध विराम का संयुक्त राष्ट सहित दुनिया भर के देशों ने स्वागत किया है। संयुक्त राष्ट के महासचिव ने कहा है कि अगर ज़रूरत पड़ेगी तो सयुक्त राष्ट की स्पेशल मीटिंग बुलाने को तैयार है। अमेरिका ने कहा है की गाजा में फिलिस्तीनियों को मानवीय और पुनर्निर्माण सहायता प्रदान करेगा। इसके साथ विश्व के दूसरे देशों ने भी युद्ध विराम का स्वागत किया है और सहायता की भी बात की है।