अंतर्विभागीय सहयोग से जागरूकता में आई तेजी बैठक एवं गृह भ्रमण में इजाफ़ा से पीड़ितों की संख्या में आई कमी

मुजफ्फरपुर 22 जून:राज्य में एईएस( एक्यूट इन्सेफ़लाईटिस सिंड्रोम) से सर्वाधिक प्रभावित जिला मुजफ्फरपुर के मीनापुर प्रखंड से प्रत्येक वर्ष एईएस के सबसे अधिक मामले दर्ज होते रहे हैं. इस वर्ष मीनापुर प्रखंड सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. इस वर्ष अभी तक इस प्रखंड में एईएस के 63 मामले दर्ज हुए हैं जिसमें 46 बच्चों का सफलतम इलाज हुआ एवं 17 बच्चों को अपनी जान गँवानी पड़ी. मौसम की निरंतर तलखी एवं बेहतर इलाज के लिए अपर्याप्त संसाधनों को इन मौतों के पीछे कारण बताया जा रहा है. लेकिन इस रोग के प्रति आम-जागरूकता एवं सेवा प्रदाताओं द्वारा तात्कालिक मुहिम इस ख़तरे को कम करने में अत्यधिक प्रभावी प्रतीत हो रहे हैं.

अंतर्विभागीय सहयोगसाबित हुआ प्रभावी: एईएस पीड़ितों की संख्या में अचानक हुए इजाफ़े ने अंतर्विभागीय सहयोग की जरूरत को उजागर किया है. चाहे आम लोगों तक एईएस से बचाव के सन्देश को फैलाना हो या घर-घर जाकर एईएस संभावित मरीजों की पहचान कर उन्हें स्वास्थ्य केन्द्रों में रेफर कराने की बात हो. दोनों परिस्थितियों में यह प्रभावी साबित हुआ है. स्वास्थ्य विभाग, समेकित बाल विकास योजना, जीविका एवं अन्य गैर-सरकारी संस्थाओं ने सामुदायिक जागरूकता पर बल देते हुए सामुदायिक बैठक, गृह भ्रमण, रैलियाँ, माइकिंग, पम्पलेट वितरण के साथ इस रोग की रोकथाम के लिए सर्वाधिक जरुरी ओआरआस पैकेट वितरण को सुनिश्चित करने के लिए पिछले एक सप्ताह से युद्धस्तर पर कार्य किया है. नतीतजन इस प्रखंड में एईएस से होने वाली मौत में कमी देखने को मिला है.

मौसम में निरंतर तलखी परेशानी का कारण : मीनापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा प्रभारी डॉ. एके पाण्डेय ने बताया कि इस वर्ष जिले में एईएस पीड़ितों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी का प्रमुख कारणों में जून महीने में बारिश का सबसे कम होना भी है. लेकिन इन सबों के बावजूद एईएस को लेकर तैयारियां पूरी की गयी है. एईएस से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण अचानक शुगर या ग्लूकोज( हाइपोग्लाईसीमिया) स्तर में कमी हो जाना है. इसके लिए पूरे प्रखंड में ओआरएस पैकेट का वितरण किया जा रहा है. अभी तक 25000 से अधिक ओआरएस पैकेट का वितरण किया जा चुका है एवं अगले दो दिनों में 1 लाख ओआरएस पैकेट का वितरण हो जाएगा. इसके लिए आशा, आंगनवाड़ी, एएनएम एवं अन्य सहयोगी संस्थाओं की मदद ली जा रही है. साथ ही इस मुहिम को अत्यधिक प्रभावी बनाने के लिए प्रखंड विकास पदाधिकारी के दिशा निर्देश में 320 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी जन-जागरूकता के लिए सामुदायिक बैठक के आयोजन की ज़िम्मेदारी दी गयी है.

अस्पताल में एईएस वार्ड है उपलब्ध : डॉ. पाण्डेय ने बताया कि एईएस पीड़ितों को बेहतर ईलाज प्रदान कराने के लिए अस्पताल में 6 बेड का एईएस वार्ड उपलब्ध है. साथ ही मरीजों की संख्या में इजाफ़ा होने पर दूसरे वार्ड का भी प्रयोग किया जाता है. इसके अलावा जिले के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में मरीजों की संख्या में इजाफ़ा को देखते हुए यह प्रयास किया जा रहा है कि संभावित सक्रिय मरीजों की क्षेत्र में ही पहचान कर उन्हें एसकेएमसीएच ना भेजकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ही जरुरी ईलाज प्रदान कराया जा सके. इसके लिए गृह भ्रमण टीम को बच्चे की तापमान मापने के लिए थर्मामीटर दिया गया है एवं लक्षणों के आधार पर मरीजों की पहचान कर यथाशीघ्र उन्हें पीएचसी पर रेफर भी किया जा रहा है. 

अप्रैल माह से तैयारी हुई शुरू: एईएस को लेकर की जाने वाली तैयारी के विषय में मझौलिया हजरतपुर की एएनएम सारिका ने बताया कि एईएस को लेकर इस साल भी अप्रैल माह से ही तैयारियाँ शुरू हो गयी थी. सामुदायिक बैठक एवं घर-घर जाकर लोगों को एईएस के विषय में जागरूक भी किया जा रहा था. लेकिन कहीं ना कहीं सामुदायिक जागरूकता तात्कालिक जागरूकता में तबदील नहीं हो सकी. साथ ही निरंतर तापमान में वृद्धि भी अचानक एईएस पीड़ितों की संख्या में इजाफ़ा का कारण बना. फ़िलहाल स्थिति को देखते हुए सामुदायिक बैठक में जीविका समूह को शामिल किया जा रहा है ताकि उनके द्वारा अन्य महिलाओं तक इस रोग के लक्षण, रोकथाम के उपाय एवं सावधानियों की जानकारी मिले सके. 

96 सामुदायिक बैठकों से बढ़ी जागरूकता: जिला प्रशासन मुजफ्फरपुर ने लोगों को जागरूक करने के लिए दम ख़म से प्रयास किया.सामुदायिक बैठक, संभावित केसों की पहचान एवं ओआरएस पैकेट के वितरण ने नये केसों को रोकने में मददगार साबित हुआ. डॉ. पाण्डेय के अनुसार अभी तक प्रखंड के कुल 5279 घरों का दौरा किया गया है. जिसमें कुल 164 एईएस संभावित मरीजों को चिन्हित कर रेफर किया गया है. साथ ही चिन्हित मरीजों को उनके क्षेत्र से नजदीक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में ही रेफर किया जाता है. इससे कम समय में ही ईलाज शुरू हो जाता है जिससे रोग की जटिलता में कमी आती है. 

जानकारी से बढ़ रहा आत्मविश्वास : मझौलिया हजरतपुर में सामुदायिक बैठक के दौरान जीविका समूह की महिला सीतादेवी ने बैठक में एईएस के लक्षणों एवं इसकी रोकथाम के लिए सावधानियों के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि ओआरएस पैकेट के वितरण के पूर्व भी वह महिलाओं को नमक एवं चीनी का घोल अपने बच्चों को देने के विषय में बताती थी. उन्होंने बताया कि निरंतर होने वाली बैठकों का नतीज़ा है कि उनके समूह के महिलाओं के साथ अन्य महिलाएं भी चमकी बुखार के लक्षण एवं उपायों के बारे में जागरूक हो गयी हैं. इससे उन्हें इस रोग से लड़ने का हौसला भी मिला है. 

क्या कहते हैं आँकड़ें: वर्ष 2014 में मुज्ज़फरपुर में कुल 701 केस एईएस के दर्ज हुए थे जिसमें 90 की मृत्यु हुई थी . उसी वर्ष इस मीनापुर प्रखंड में कुल 94 एईएस पीड़ित चिन्हित हुए थे जिसमें 18 की मृत्यु हुई थी. वर्ष 2015 में जिले में 72 मामले एईएस के दर्ज हुए एवं 9 की मृत्यु हुई. जबकि 2015 में इस प्रखंड में 9 दर्ज मामलों में 2 की मृत्यु हुई थी. इस वर्ष अभी तक जिले में 537 एईएस केस दर्ज हो चुके हैं जिसमें 85 बच्चों की मृत्यु हुई है एवं अभी तक इस साल मीनापुर प्रखंड में कुल 63 एईएस केस दर्ज है जिसमें 17 बच्चों की मौत की रिपोर्ट है.