हेल्थकेयर में पैर पसारता आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI): हमें नहीं मालूम कि आप इससे क्या समझते हैं, लेकिन हम अपनी नासमझी में ये समझ बैठे थे कि इसका दायरा पूरी तरह से आईटी, मैकेनिकल और बड़े हद तक रोबोट तक महदूद होगा, लेकिन ये हेल्थकेयर, पर्यावरण संरक्षण, कृषि, सांस्कृतिक संरक्षण और बाढ़ पूर्वानुमान जैसे मामले में बेहद कारमद चीज़ होने जा रही है.

आज बात हेल्थकेयर की….
चीनी कंपनी हुआवे के अलावा दुनिया की दो बड़ी कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर जमकर काम कर रही हैं. माइक्रोसॉफ्ट का जोर जहां आईटी क्षेत्र में है वहीं गूगल के लक्ष्य में सोशल सेक्टर है. गूगल ने बीते दिनों टोक्यो में एक वर्कशॉप किया जिसमें उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर अपने काम की जानकारी साझा की…

गूगल के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस हेल्थकेयर में लंग कैंसर स्क्रीनिंग, ब्रेस्ट कैंसर मेटास्टेसेस डिटेक्शन और डायबेटिक आई डिजिज़ डिटेक्शन में बहुमत मददगार साबित होने जा रही है.

गूगल के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से गूगल एमएल (मशीन लर्निंग) मेथड के जरिए अगर सीटी स्कैन को एनालाइज़ किया जाए तो फेफड़ों के कैंसर की जानकारी रेडियोलोजिस्ट के मुकाबले 5 फीसदी बेहतर तरीके से आ जाएगी और इसी तरह फ़ॉल्स पॉजिटिव की जानकारी भी 11 फीसदी कम आएगी. डॉक्टरों का कहना है कि फेफड़ों के कैंसर के मामले में बीमारी की शुरुआत में जानकारी मिल जाए तो इलाज करना आसान होगा, लेकिन 80 फीसदी मामलों में ये जानकारी काफी देर से मिलती है. लेकिन गूगल एमएल मेथड के जरिए इसकी जानकारी जल्द मिलने के इमकान हैं.

इसी तरह ब्रेस्ट कैंसर के मालमे में गूगल एमएल मेथड (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) के जरिए 95 फीसदी कैंसर के घाव की जानकारी हासिल कर ली जाएगी, जबकि पैथोलोजिस्ट अपनी जांच से इस मामले में सिर्फ 73 फीसदी ही कैंसर के घाव के बारे में जानकारी हासिल कर पाते हैं. गूगल का ये भी कहना है कि फॉल्स पॉजिटिव के मामले में भी ग़लतियां कम होंगी. गूगल का ये भी कहना है कि अगर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और पैथोलोजिस्ट दोनों साथ मिलकर काम करेंगे तो नतीजे और बेहतर आएंगे.

इसी तरह डायबेटिक रेटीनोपैथी के इलाज में भी गूगल एमएल मिथड काफी मददगार होगा. गूगल का कहना है कि भारत में डॉक्टरों की कमी के कारण बीमारी का पता नहीं चल पाता, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से ता-ज़िंदगी अंधेपन से लड़ने में बड़ी मदद मिलेगी.

अब्दुल वाहिद आज़ाद