हिन्दू धर्म मे घुसने का मार्ग नहीं लेकिन बाहर करने का मार्ग खुला है

असमा खान

हिन्दू धर्म मे घुसने का मार्ग खुला, तो हटाने का भी नया नया मार्ग खुला है। आप चौकिए मत , सही बात बता रहा हूँ , हाल ही में कुम्भ प्रयागराज से एक खबर आई की संतों की सभा ने धर्म संसद में राहुल गांधी को हिन्दू धर्म से निष्कासित करने का फरमान यानि फतवा जारी किया है। इस धर्म संसद को देख और सुन ऐसा लग रहा है की भाजपा की बिठाई एक कोई धर्म संसद है, जिसके सांसद, स्वयम्भू बाबे होते है। वे कॉलेजियम सिस्टम यानि की संतों की पीठ ही एक दूसरे को महामंडलेश्वर नियुक्त करते हैं। फिर एक राय होकर ,भाजपा विरोधियों को धकिया कर जबरन किसी को हिन्दू धर्म से बाहर निकालने का फरमान जारी करते हैं। ऐसा लगता है की यह व्यवस्था अभी अभी ताज़ा ताज़ा बनाया गया है, जिसका प्रथम उपयोग राहुल गांधी पर किया `गया।

भारत में एक संवैधानिक संसद है, जिसमे चुने हुए सांसद को सरंक्षण है, और बोलने का विशेषाधिकार है।  अर्थात संसद के पटल पर दिये व्यक्तव्य के लिए किसी सांसद पर कोई मुकदमा, कोई अपराध कायम नही किया जा सकता। परन्तु संविधान में यह तो नही लिखा कि जनप्रतिनिधि को धर्म-जात बाहर न कर सकेंगे।  इसलिए राहुल को हिन्दू धर्म से बाहर करने का प्रस्ताव धर्म संसद में पास हो चुका है। सम्भवतः, इसके बाद राहुल अब दलित, अछूत, लीगल तौर पर  SC  बन जाएंगे या डाक्टर अंबेडकर की तरह किसी अन्य धर्म का संरक्षण ले लें, लेकिन ऐसा तभी हो सकता है जब खुद राहुल गांधी ऐसा सोचेंगे न की किसी धर्म संसद के बस फरमान जारी भर करने से।  

राहुल के परनाना पण्डित नेहरू कश्मीरी ब्राह्मण थे। दादा तो घोषित पारसी थे, मां कैथोलिक है। यह दुनिया जानती है।  लेकिन नेहरू को मुसलमान घोषित करने की तमाम कोशिशें हुई। दादी इंदिरा को मैंमूना बेगम घोषित करने का व्हाट्सप, मेरे रिश्तेदार ने ब्लॉक होने के पहले भेजा था। ऐसी जीतोड़ कोशिश करके भी, भारत के जनमानस को यह न मनवाया जा सका कि राहुल गांधी हिन्दू नही है।  तो अब संतों की जमात उन्हें धकिया कर, जबरन हिन्दू धर्म से बाहर कर रहे हैं।

किसी भी व्यक्ति का धर्म, उसकी प्रकृति, उसकी आस्था, उसकी उपासना पद्धति – उसकी आंतरिक बिलीफ पर निर्भर करता है। आप जिस ईश्वर पर आस्था रखते है, वही आपका धर्म है। यह सीधे साधक और ईश्वर के बीच का मसला है। दुनिया की कोई ताकत, ये पण्डे, पुजारी, नेता, बाबा, मौलवी पादरी , गुंडा, मवाली, राजा, तानाशाह, और सेना, कंपनी का मालिक , जमींदार या कोई और किसी को उसकी बिलीफ से अलहदा नही कर सकते। यानि दुनिया की बड़ी से बड़ी ताकत भी उसको ये मानने से माना नहीं कर सकता की तुम किस्में यकीन करो किसकी पूजा और उपासना करो तो ये संत समाज कैसे किसी को उसके धर्म से अलग कर सकते हैं वह भी बस एक फरमान सुना कर। तो ईश्वर और उसके उपासक के बीच कूद रहे इन शंकराचार्य और महामंडलेश्वरों की हैसियत नही, कि राहुल को उसकी आस्था से जुदा कर सकें। मेरी राय में संतों को इन राजनीतिक निर्णयों और धंधों से अलग रहना चाहिए तभी उनकी आस्था सम्मान हिन्दू अनुयायियों में बची रहेगी।

कोई भी धर्म या कहें की हिन्दू धर्म, किसी राजनीतिक दल के पैरों में बजने वाली पायल, या भीख के लिए बजने वाला चिमटा नहीं।

संत समाज को चाहिए कि जिस दुनिया को वे सन्यास लेकर त्याग चुके है, उसे अपने हाल पर छोड़ दें। उसकी राजनीति में पलटकर घुसने की कोशिश करना, उनके सन्यास के धुर असफल होने का जीवंत प्रमाण देता है। और अगर उन्हें ऐसा ही करना है तो सन्यासी का स्वांग त्यागें त्याग-आस्था भगवा चोला उतारे और भाजपा की गोदी में जाकर बैठ जाएं, चुनाव लड़े और योगी आदित्यनाथ की तरह मुख्यमंत्री या मंत्री बन जाएँ और फिर राजनीति और कानूनों के जरिए किसी का घर तोड़ें , किसी को धर्म से निकालें, वैसे ये संत और भाजपा खुद संविधान को तो मानती नहीं तो मानुस्मृति कानूनों को लागू करें , दलितों को पैर की जूती और महिलाओं पर पुरुष का स्वामित्व का कनून पारित कर देश पर हिन्दू राष्ट्र का तमगा थोप दें, वैसे भी अब हिन्दुस्तानी समाज को स्वास्थ्य, शिक्षा , रोजगार, सुरक्षा तो चाहिए नहीं भगवान की सरण में जाकर रात दिन माला जपें और सरकार रात दिन अमेरिका , फ्रांस के चरण चुंबन करें देश अपने आप आगे बढ़ता रहेगा।

जानकारी के लिए बात दूँ की हिन्दू धर्म एक ऐसा धर्म है जहां आप केवल पैतृक तौर पर हिन्दू हो सकते हैं यानि की आप का जन्म अगर हिन्दू परीवार में हुआ है तो ही आप हिन्दू धर्म को अपना और उसका पालन कर सकते हैं , यानि की किसी और धर्म का व्यक्ति हिन्दू धर्म को नहीं अपना सकता है , जैसा की अन्य धर्म इस्लाम या ईसाई में आप किसी अन्य धर्म को छोड़ इस्लाम या ईसाई धर्म अपना सकते हैं , जिस धर्म में आने का रास्ता साफ नहीं उस धर्म से जाने का रास्ता कैसे साफ हो गया?

आप को यह भी बताते चलें की राहुल गांधी को धर्म संसद द्वारा धर्म से निष्कासित इसलिए किया गया क्योंकी वो मानुस्मृति को मानवता के लिए खतरा बताया और उन्हें ऐसा लगता है की अगर इसको अपनाया गया तो हिन्दू धर्म के अंदर ही असमानता में बढ़ोतरी होगी।

ऐसा नहीं है की यह पहली बार हुआ है की खास व्यक्ति के खिलाफ किसी धार्मिक संगठनों या गुरुओं द्वारा धर्म से निष्कासन हुआ है , इससे पहले सलमान रश्दी , तस्लीम नसरीन के खिलाफ भी धर्म गुरुओं ने फतवा जारी कर उन्हें इस्लाम धर्म से निष्काषित किया था और उन्हें अपना देश छोड़कर दूसरे देश में बसना पड़ा? मतलब साफ है की आप धर्म और धार्मिक गुरुआओं पर अंधा विश्वास करें , जैसे ही आपने धर्म और इन गुरुओं पर सवाल उठाया आप धर्म से निष्कासित किए जा सकते हैं।