शर्म तुमको मगर नहीं आती

कोलकाता में चलती बस एक औरत को महसूस होता है कि उसके स्तन और कमर को छू रहा. जितनी देर में वो कुछ समझ पाती और कुछ बोल पाती, उसे अपने कपड़ों पर कुछ गिरता हुआ दिखा.
मुंबई में एक लड़की ए॰टी॰एम॰ में पैसे निकाल रही थी और कोई मर्द अपनी मर्दानगी दिखाने के लिए वहाँ भी घुस गया. कुछ सेकंड के भीतर ही उसकी ज़िप को नीचे हो गयी और उसने मास्टरबेट करना शुरू कर दिया था.
ये तो महज़ चंद उदाहरण हैं जो मीडिया में आई और ख़बर बन गयी. ऐसी सैकड़ों वारदातें रोज़ होती हैं. सिर्फ़ महिलाएँ नहीं, तीन साल की बच्ची, स्कूल जाती लड़कियों और अस्सी साल की बूढ़ी औरतों को देख कर भी मर्दों की नसें तन जाती हैं. वो मर्दानगी दिखाने के लिए कहीं भी पैंट सरका लेते हैं. शर्म और डर के साये ताउम्र स्त्रियाँ जीती हैं. नज़रें हमारी नीची हो जाती हैं मानों ग़लत हमने कर लिया हो.
ये लाज-शर्म वाली ग्रंथि बचपन से हम लड़कियों के अंदर बचपन से ही डेवलप किया जाने लगता है. लड़की को बचपन से ही ढक कर रहना सीखाया जाता है और लड़कों की तो बचपन वाली तस्वीरें भी बिना कच्छे की खिंचाई जाती है. फिर जैसे-जैसे बड़े होते है लड़कियों को दुपट्टा लेना, झुक कर चलने की सलाह दी जाती. ताकि उभारों पर किसी की नज़र न जाए. लड़को को खुली छूट रहती है तब भी. वो सड़क पर खड़े हो सुसु कर सकते हैं. खुले में नंगे बदन नहा सकते हैं. गरमी में चड्डी पहन कर घूम सकते हैं मगर लड़कियों को तब भी परदे में ही रहना होता है.
और यहीं से लड़कों के अंदर वो कॉन्फ़िडेंस आने लगता है कि जहाँ चाहे, अपने सेक्स-ऑर्गन को निकाल कर लड़कियों को दिखा सकते हैं. कहीं भी मास्टरबेट कर सकते हैं. मौक़ा मिलते भी बलात्कार कर सकते हैं. यही चीज़ें तो उन्हें मर्द बनाती हैं.
कोई सरकार और कोई पुलिस इसे होने से रोक नहीं सकती जब तक देश की माएँ नहीं बदलेंगी. सुनने में कड़वा लगेगा मगर ज़िम्मेवार मर्दों/लड़कों की इन हरकतों की ज़िम्मेवार वो माएँ/दादियाँ और घर है जहाँ ये पले-बढ़े हैं. बचपन से ही अगर बताया जाए कि लड़की और लड़का बराबर हैं. दोनों की परवरिश भी एक जैसे हो तब जा कर कहीं ये परिदृश्य बदलेगा वरना जो चल रहा है वो चलता रहेगा.
किसी की भी सरकार कोई कुछ नहीं कर पाएगा. ख़ैर. चुनाव के इस मौसम में इन ख़बरों को न तो जगह मिल रही और नहीं कोई भी नेता महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई बात कर रहा. ऐसे में जो भी करना है हमें ही करना होगा. अगर अब भी चुप रहें तो हालात इससे भी बदतर होते चले जाएँगे. याद रखिएगा.
ऐश्वर्या देव