लम्बे समय बाद कड़े तेवर के साथ विपक्ष की भूमिका में नज़र आये तेजस्वी यादव

लॉक डाउन और कोरोना संक्रमण की  संकट में श्रमिकों, दिहाड़ी मज़दूरों और बेरोज़गारों के मुद्दे पर बिहार पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी पत्र और प्रवासी मजदूरों को अपराधी की तरह प्रचारित करने वाले पत्र जारी होने के बाद बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सरकार की कड़ी निंदा की है , प्रेस कांफ्रेंस कर श्रमिकों से जुडी अपनी मांग सरकार के समक्ष रखा और कड़े तेवर के साथ विपक्ष की भूमिका में नज़र आये तेजस्वी. यह बात सही है की बिहार पोलिस मुख्यालय द्वारा दोबारा पत्र जारी कर पहले से जारी पत्र को ख़ारिज कर दिया गया है और अपनी भूल स्वीकार की है , लेकिन यह तो तय है की जो सरकार प्रवासी मजदूरों को अपना गर्व समझते थे इस संकट कॉल में उसे ही अपनी राज्य के लिए दुर्भाग्य समझने लगी है , अपना देखना है की चुनावी साल में मुख्य मंत्री श्री नितीश कुमार अब क्या जवावी कार्रवाई करते हैं और विपक्ष को क्या जवाब देते हैं .

निम्न मुद्दों पर दिशाहीन बिहार सरकार से उनकी राय और सवाल पूछना चाहूँगा:-

  1. सरकारी आँकड़ो के अनुसार अभी तक 30 लाख से अधिक श्रमिक बाहरी राज्यों से वापस बिहार आयें हैं। विगत कुछ दिनों से सरकार उनको राज्य के भीतर ही रोज़गार मुहैया कराने का आश्वासन दे रही है। मैं सरकार से जानना चाहूँगा की उनके पास इसके लिए आश्वासन के अलावा क्या रोड्मैप है? किन-किन क्षेत्रों में नौकरी देंगे और हर क्षेत्र के लिए बनाई गई कार्य योजना का विस्तृत ब्यौरा सार्वजनिक करे। ताकि सभी बेरोज़गारों के इसके बारे में updated जानकारी मिले।
  2. सरकार बताए कि बाहर से आए हमारे सभी मज़दूर भाईयों ने क्वारंटाइन के लिए तय समय सीमा को पूरा कर लिया? क्या सरकार ने उनके आगमन पर सभी प्रकार की जाँच व कोरोना टेस्टिंग किया? श्रमिकों के संक्रमण रोकने के लिए क्या बचाव, उपचार और उपाय किए गए?
  3. बिहार के विधि व्यवस्था ADG के एक पत्र के अनुसार हमारे श्रमिक भाईयों के आगमन पर बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ेगी! हम यह जानना चाहते हैं कि क्या सरकार श्रमवीरों भाईयों को चोर, लुटेरा और अपराधी समझ रही है? क्यों सरकार इन्हें आरम्भ से ही अपराधियों के समान समझ पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर पशुवत व्यवहार करती रही?
  4. सरकार का यह पत्र Dignitiy of Labour (श्रम की गरिमा) और Dignity of Human (मानव की गरिमा) की धज्जियाँ उड़ा रहा है। अपने ही प्रदेशवासियों को दोयम दर्जे का नागरिक ही नहीं अपितु उन्हें लुटेरा और अपराधी समझा जा रहा है। प्रवासी शब्द पर प्रवचन देने वाले मुख्यमंत्री जी, आपकी सरकार श्रमिकों को प्रवासी ही नहीं बल्कि अपराधी भी बोल रही है।
  5. ADG के पत्र के अनुसार रोजगार नहीं मिलने पर हमारे श्रमिक भाई उग्र होने वाले हैं! तो क्या सरकार यह मान चुकी है कि उनके लिए हमारे श्रमवीरों को रोजगार देना असम्भव है? फिर सरकार रोज नए दावे कर श्रमवीर भाईयों को भ्रमित क्यों कर रही है? क्या ये हवाई घोषणाएं बस चुनाव तक के लिए बिहारवासियों को मूर्ख बनाने की कवायद तो नहीं?
  6. सरकार ये बताए कि इनके पंद्रह साल के शासन में कितने कल-कारख़ाने,फ़ैक्टरी और उद्योग बंद हुए और कितने नए उद्योग लगाये गए है? 15 साल में कुल कितने युवाओं को नौकरी दी गयी? कुल कितने बेरोज़गार प्रदेश में है?
  7. औसत एक परिवार का आकार (family size) में 5 सदस्य भी माने तो सिर्फ़ श्रमवीरों के वापस आने से 1.5 करोड़ लोग प्रभावित हैं। उसके अलावा राज्य के अंदर पहले से लगभग 7 करोड़ युवा बेरोज़गार हैं। लॉक्डाउन में तक़रीबन 50 लाख रेहड़ी-पटरी, ठेला-रिक्शा वाले और दिहाड़ी मज़दूर भी लगभग ढाई-तीन महीने से रोज़गार से वंचित रहें। सरकार इन लगभग 8-9 करोड़ बेरोज़गारों को कैसे तत्काल रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराएगी? प्रदेशवासियों को इस पर विस्तृत रूप से समझाया जाए।

श्रमिकों को लेकर हमारी माँगे:-

  1. सरकार से हम माँग करते हैं की सभी दिहाड़ी मज़दूरों और श्रमिकों को जो लगभग इस लॉकडाउन के पूर्ण होने तक 100 दिन यानि 3 महीने से बिना काम के घर बैठे हैं और उन्हें आगामी 3 महीने यानि लगभग 100 दिन और कोई काम नहीं मिलेगा।

हमारी माँग है कि बिहार सरकार इन सभी श्रमिकों को शुरू में न्यूनतम 200 दिन का एकमुश्त 10000₹ नक़द राशि भत्ता दे।

हर श्रमिक भाई पर औसतन 5 लोग आश्रित हैं। 200 दिन प्रति श्रमिक 10000₹ का भत्ता देने पर हर श्रमिक को मात्र 50 रू प्रतिदिन मिलेगा और यदि औसतन 5 व्यक्ति प्रति श्रमिक के हिसाब से जोड़े तो सरकार को हर व्यक्ति को प्रतिदिन 10 रु ही देना है।

सरकार से हम माँग करते हैं कि इन सभी श्रमिकों को 10000 रुपये की एकमुश्त मदद की राशि यथाशीघ्र उपलब्ध करवाए क्योंकि सरकार प्रदत्त लम्बी बेरोजगारी और उत्पीड़न झेल रहे सभी श्रमिकों पर कई लोग आश्रित हैं।

  1. जब महागठबंधन सरकार थी तब बिहार विकास मिशन के अंतर्गत शुरुआती तौर पर प्रदेश के 65 लाख बेरोज़गारों को बेरोज़गारी भत्ता देने की योजना थी लेकिन बीजेपी के साथ जाते ही मुख्यमंत्री वह भुल गए। हमारी माँग है कि इस गंभीर संकट में सभी बेरोज़गारों को बेरोज़गारी भत्ता दिया जाए।
  2. हम ये भी माँग करते हैं की राज्य सरकार विशेष सत्र बुलाकर कोरोना संकट के उपरांत उत्पन्न चुनौतियों को देखते हुए fiscal expenditure में संसोधन करे। ग़ैर ज़रूरी योजनाओं के funds को रोज़गार सृजन, स्वास्थ्य व्यवस्था में खर्च करने हेतु निर्धारित करे।

बाहर से आए हमारे श्रमिक भाई कुशल कारीगर हैं। ऐसा मौक़ा शायद फिर नहीं मिलेगा जब skilled labor इतनी संख्या में आपके पास उपलब्ध हो। इन्होंने दूसरे राज्यों में विभिन्न क्षेत्रों में काम किया है। सरकार को इन्हें इनके कौशल और अनुभव का फ़ायदा राज्य के विकास के लिए बिना वक़्त गवाएँ लेना चाहिए। जिलावार रोज़गार कैम्प लगाकर इनको नौकरी देने का काम शुरू करना चाहिए

“विगत 15 वर्षों से सरकार सोती रही और आज ज़मीन खिसकते देख लोगों को रोज़गार देने का ढोंग और स्वांग कर रही है। चुनावी घोषणा और लफ़्फ़ाज़ी से इतर सरकार को इसपर गम्भीरता से विचार कर अपना मंतव्य रखने की हम उम्मीद करते हैं” तेजस्वी