राष्ट्रीय प्रदर्शन दिवस के लिए आह्वान – नरेगा अधिकार दिवस (29 जून)

राष्ट्रीय प्रदर्शन दिवस के लिए आह्वान – नरेगा अधिकार दिवस (29 जून)

कोविड – 19 के प्रसार को रोकने के लिए मार्च से लगाई गई राष्ट्रीय तालाबंदी ने आर्थिक गतिविधियों को बाधित कर, देशभर में आजीविका और रोज़गार का नुकसान किया है। शहरी क्षेत्रों के कार्यस्थलों और कारखानों को बंद करने से करोड़ों श्रमिक अपने गांव लौटने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इससे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (नरेगा) के तहत काम की माँग बहुत बढ़ गई है। इस परिस्थिति में 100 दिन प्रति परिवार के काम की गारंटी बहुत ही अपर्याप्त पड़ जाती है। साथ ही, नरेगा मज़दूरी दर बहुत ही हम है; अधिकाँश राज्यों में तो यह न्यूनतम मज़दूरी दर से भी कम है। इसके अलावा, स्थानीय नियोजन को नज़रंदाज़ कर नरेगा मज़दूरों से आमतौर पर सरकार की प्राथमिकता अनुसार योजनाओं पर काम करवाया जाता है।

वर्तमान की व्यापक आर्थिक असुरक्षा और नरेगा मज़दूरों के अपर्याप्त अधिकारों के संदर्भ में, नरेगा संघर्ष मोर्चा 29 जून को “नरेगा अधिकार दिवस” के रूप में मनाने का आह्वान करता है। देशभर के मज़दूर श्रमिक अपने स्थानीय प्रतिनिधियों के माध्यम से प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन देंगे, जिसमें वार्षिक रोज़गार गारंटी को 200 दिन प्रति व्यक्ति करने, नरेगा मजदूरी दर को 600 रुपये प्रति दिन करने (सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार) और ग्राम/वार्ड सभा द्वारा बनाई गई योजनाओं पर ही काम करने की मांगें की जाएगी।

साथ में, कार्यस्थलों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर बैनर, पोस्टर आदि द्वारा भी ये मांगे उठाई जा सकती हैं। छोटे छोटे समूहों में नरेगा मज़दूरों के अधिकारों में विस्तार की आवश्यकता पर चर्चाएं आयोजित की जा सकती हैं और मज़दूर काम की मांग के आवेदन कर सकते हैं। कुछ राज्य साइकिल रैली और थाली बजाओ अभियान भी चलाएंगे। सभी गतिविधियों को आवश्यक सुरक्षा उपायों के साथ किया जाए, जैसे कि लोगों के बीच पर्याप्त शारीरिक दूरी बनाए रखना, आदि। कृपया इन मांगों को रख कर प्रदर्शन करने वाले मज़दूरों की तस्वीरें और वीडियो लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्मों जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर पर ज़रूर साझा करें।

अधिक जानकारी के लिए nrega.sangharsh.morcha@gmail.com पर लिखें या लहर के साथ अपना सुझा साझा करें, हम आपके सुझाव को आयोजकों तक पहुंचा देंगे.