यहूदी दुनिया में क्यों छाए हुए हैं?

अफज़ल ख़ान

दुनिया में यहूदियों की आबादी 1 करोड़ 50 लाख के करीब है। यह संख्या अमेरिका में 74 लाख, एशियाई देशों में 66 लाख, यूरोप में 13 लाख, ओशिनिया (ऑस्ट्रेलिया , नूज़ीलैण्ड आदि ) में एक लाख से ज़्यादा और अफ्रीका में एक लाख से कम के करीब है। जबकि दुनिया में मुसलमानों की कुल आबादी एक 220 करोड़ से अधिक है। जिनकी अमेरिका में संख्या 70 लाख, एशिया और मध्य पूर्व के देशों में 148 करोड़, अफ्रीकी देशों में 67 करोड़ और यूरोप में 5 करोड़ 70 लाख है। इस समय दुनिया की 20 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है। मगर एक यहूदी व्यक्ति की तुलना में मुसलमानों की संख्या काफी ज़्यादा है फिर भी केवल 1 करोड़ 50 लाख यहूदी 2 अरब से ज़्यादा मुसलमानों से शक्तिशाली क्यों हैं?

तथ्य यह बताते हैं कि यह कोई अजूबा या चमत्कार नहीं है बल्कि हमारी अपनी कोताहियाँ हैं। यदि दुनिया के इतिहास के कुछ चमकीले नामों पर से पर्दा उठाया जाए तो पता चलता है कि यहूदियों के बहुमत उनमें शामिल है। अल्बर्ट आइंस्टीन, कार्ल मार्क्स, मिल्टन फ्राइडमैन, पॉल समोईलसन से लेकर सीगमंड फ्राइड तक सब यहूदी थे। अगर चिकित्सा के क्षेत्र पर विचार किया जाए तो पता चलता है कि पोलियो उपचार आविष्कारक जोनास साधक, रक्त कैंसर के इलाज के मोजदजीर टरोदाीलोन, टीकाकरण वाली सिरिंज का मोजदबनजमन रूबेन, पीलिया उपचार मोजदबारोख शमूएल के अलावा एंड्रयू शालीनता, इरविन किताब, जॉर्ज वाल्डो, स्टेनली कोहेन सहित कई यहूदी इस सूची में शामिल हैं।

कुछ ऐसी आविष्कार जिन्होंने दुनिया को बदल कर रख दिया इनमें भी यहूदी शीर्ष दिखाई देते हैं। कंपयूटर सीपीयू का अविष्कारक स्टेनली मीज़र, परमाणु रिएक्टर का अविष्कारक लियो जडलंड, फाइबर ऑप्टिकल किरणों के प्रभाव का आविष्कारक पीटर सेशेल्स, यातायात सिग्नल लाइट्स का आविष्कारक चार्ल्स एडलर, स्टेनलेस स्टील के आविष्कारक बीनोस्टरास, फिल्मों में ध्वनि आविष्कारक एसादवर्कीतिय सहित वीसीआर के आविष्कारक चार्ल्स जीनसबरग भी यहूदी थे।

अगर विश्व प्रसिद्ध ब्रांडों की बात की जाए तो वहां पर भी यहूदी छाए हुए दिखाई देते हैं। पोलो जिसका मालिक राल्फ लोरेन, स्टारबक्स का मालिक होार्ड शोलतज़, गूगल मालिक सेर्गेई ब्रेन, डेल कंपनी का मालिक मएकल डेल इसके अलावा कई नाम मौजूद हैं। राजनीति में देखें तो वैश्विक राजनीति में भी यहूदी छाए हुए दिखाई देते हैं। पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर, रचार्डलीवेन, एलान जरीनज़पान, पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री मेडेलीन ऑलब्राइट, अमेरिका के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ यूसुफ लेबरमेन, आीज़क आीज़क ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष, डेविड मार्शल सिंगापुर के प्रधानमंत्री, पीीफीगनी बरीमाकोफ पूर्व रूसी प्रधानमंत्री, बैरी गोल्ड वाटरामरिकी राजनीतिज्ञ, जॉर्ज सिम्बा पुर्तगाल के राष्ट्रपति, हर्ब ग्रे कनाडा उपाध्यक्ष, पीीर मेंडिस फ्रांस के प्रधानमंत्री, माइकल हवारद ब्रिटिश राज्य मंत्री, आसड़ियलवी चांसलर बरोनोकरेसकी अमेरिका वित्त मंत्री रॉबर्ट, रूबेन, मैक्सिम लेटवेनोफ सहित कई यहूदी राजनीतिज्ञ विश्व राजनीति में जगमगाते रहे हैं।

विश्व मीडिया लुकअप तो सीएनएन में वोल्फगैंग बलेटकृ, वाशिंगटन पोस्ट में यूजीन मेयर, न्यूयॉर्क टाइम्स में यूसुफ लेलीनिड, एबीसी न्यूज़ के बरबारा वाल्टर्स, वाशिंगटन पोस्ट कैथरीन ग्राहम, न्यूयॉर्क टाइम्स की अधिकतम फ़्रीनकल सहित कई बड़े नाम यहूदी हैं। एक समय हुआ करता था कि जब पूरा पश्चिम मुसलमानों की लिखी किताबों का अनुवाद कराकर उनसे मार्गदर्शन लिया करते थे। चिकित्सा में मुस्लिम वैज्ञानिकों की किताबें पश्चिम पुस्तकालयों की शोभा हुआ करती थीं लेकिन फिर सब कुछ धीरे धीरे खत्म होता चला गया। मरज़ बढ़ता गया और दवा ज्यो ज्यों।

पिछले 100 वर्षों में मुट्ठी भर यहूदियों ने 280 नोबेल प्राइज जीते हैं जबकि मुसलमानों ने केवल 4 नोबेल पुरस्कार हासिल किए हैं। उस में भी हम ने इन चारो को घर निकाला कर दिया। हम ताना तो देते हैं कि नोबेल पुरस्कार की जूरी में यहूदियों का बोलबाला है, लेकिन क्या हम ऐसा कोई कदम उठा रहे हैं जिससे सकारात्मक परिणाम की उम्मीद हो। इन सब बातों पर अगर कारणों पर विचार किया जाए तो स्पष्ट होता है कि ज्ञान से दूरी ने मुसलमानों से सत्ता छीन ली हैं। शैक्षिक दरसगाहों से दूरी इस गिरावट का मुख्य कारण है।

पाठकों हैरान होंगे कि सभी इस्लामी देशों में 600 से ज़्यादा विश्वविद्यालय नहीं हैं जबकि केवल अमेरिका में 5300 विश्वविद्यालय और कॉलेज हैं। 57 देशों में लगभग 1840 विश्वविद्यालय और डिग्री प्रदान करने वाले संस्थान हैं । इनमें से केवल 8 विश्वविद्यालय जिन्होंने वैश्विक विज्ञान रैंकिंग में शीर्ष 500 विश्वविद्यालयों में स्थान हासिल किया है। वहीँ विश्व विश्वविद्यालय रैंकिंग 2020 में 92 देशों के 1,396 विश्वविद्यालय सूचीबद्ध हैं। इनमे दुनिया के शीर्ष 500 विश्वविद्यालयों में, मुस्लिम देशों के केवल 14 विश्वविद्यालय हैं जबकि मुस्लिम दुनिया के कुल 179 विश्वविद्यालय विश्व विश्वविद्यालय रैंकिंग से सम्बद्ध हैं।

एक छोटे से इसराइल में 9 विश्वविद्यालय और 52 कॉलेजों हैं। इस्लामी देश के केवल 14 विश्वविद्यालय का नाम दुनिया की पांच सौ सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल है। जबकि केवल इसराइल के 6 विश्वविद्यालय दुनिया के शीर्ष 500 सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में शामिल हैं। अगर पढ़े लिखे लोगों की दर अनुपात को देखा जाए तो पश्चिमी देशों की तुलना में मुस्लिम देशों का अनुपात काफी ख़राब है। इसराइल में पढ़े लिखे लोगों की दर अनुपात 91 प्रतिशत से अधिक है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, पांच मुस्लिम देश, अज़रबैजान, ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान, उन 25 देशों में शामिल हैं जहां 100 प्रतिशत साक्षरता दर है।ये सारे देश मध्य एशिया का हिस्सा हैं कोई भी अरब देश का नहीं है जिनके पास सबसे ज़्यादा साधन हैं।

पश्चिमी देशों में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने का अनुपात 95 प्रतिशत है जबकि मुस्लिम देशों में यही अनुपात काफी कम है। पश्चिम में विश्वविद्यालयों ज़्यादा होने की वजह से दाखिले के लिए उनको ज़्यादा मौका मिलता है वही सरकारों ने छात्रवृत्ति का भी इंतेज़ाम किया है वहीँ मुस्लिम देशों में विश्वविद्यालयों की संख्या कम होने से प्रतियोगिता ज़्यादा है और दाखिले के औसर कम हैं। कोई भी देश या समाज जबतक तरक्की नहीं कर सकता जबतक तरक्की के लिए मूलभूत सुविधाओं में सबसे पहला शिक्षा का प्रचार प्रसार और वैज्ञानिक सोच पैदा न करे। शिक्षा ही तरक्की का अनिवार्य स्तम्भ है। जब हालात ऐसे होंगे तो परिणाम भी ऐसे ही आएंगे और मुसलमानो की स्थिति यही भी यही रहेगी।