मेवात में आसिफ की हत्या और नफरत की राजन राजनीति

असद हयात

मेवात में आसिफ़ की हत्या मुख्य रूप से मुसलमानों के प्रति नफ़रत की राजनीति का नतीजा है। मुख्य धारा की मीडिया के दिग्गज एंकरों ने काफी बड़ी भूमिका निभाई है और सोशल मीडिया ने आग में घी डालने का काम किया है और कर रहा है। हालाँकि सोशल मीडिया पे इस तरह की राजनीति के खिलाफ आवाज़ भी उठती रहती है। खास तौर से सुदर्शन टीवी चैनल और दीपक चौरसिया जैसे सरीखे तथाकथित पत्रकारों ने इस नफ़रत के माहौल को बनाने बड़ी भूमिका निभाई है। पिछले वर्ष लॉक डाउन के दौरान लगातार टीवी चैनलों ने झूठी रिपोर्टिंग करते हुए मेवात के मुसलमानों के ख़िलाफ़ काफ़ी ज़हर उगला और ” लव जिहाद ” को मुख्य मुद्दा बनाया गया।

जिन इक्का दुक्का तथाकथित मामलों को आधार बनाया गया , उनका कोई प्रमाण नहीं है। आसिफ़ के ख़िलाफ़ भी ऐसे ही आरोप लगाए जा रहे हैं कि आसिफ ने तथाकथित रूप से लड़कियों के फ़ोटो खींचे। पिछले दिनों में आसिफ़ की हत्या के मामले में विभिन्न तथ्यों और साक्ष्यों सामने आए हैं उनसे आसिफ का लव जिहाद से कोई लेना देना नहीं है।
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ऑडियो रिकॉर्डिंग साक्ष्य से पता चलता है कि इलाके में कुछ लोगों द्वारा 2015 से इस तरह का झूठा प्रचार कर के नफ़रत का माहौल बनाया जा रहा था कि मुस्लिम युवक लड़कियों की वीडियो बनाते हैं। जब कि ऐसी किसी घटना का कोई सबूत नहीं, कोई एफआईआर नहीं। अगर कोई वीडियो बनी था तो उसके ख़िलाफ़ एफआईआर की जानी चाहिए थी जो आज तक नहीं हुई।

दरअसल ऐसा कोई मामला था भी नहीं। चूंकि इस झूठे प्रचार का राजनीतिक उद्देश्य भावनाओं को भड़काना था इसलिए किसी पीड़ित बालिका या उसके परिवार की ओर से एफआईआर भी नहीं की गयी। अगर की गयी होती तो सत्यता का पता चलता लेकिन ये दुष्प्रचार तभी से किया जाना जारी रहा जिसमें उपरोक्त टीवी चैनलों ने आग़ में घी डाला और हिंसा का वातावरण बनाया जिसकी परिणाम आसिफ़ हत्या के रूप में हुई।

कुछ महत्वपूर्ण सवाल

2015 में आसिफ़ ने कब किस की वीडियो बनाई? 2015 में तो आसिफ़ का नाम नहीं लिया गया। आसिफ़ की हत्या के बाद उसको निशाना बना कर उस पर अब आरोप लगा कर , इसी आधार पर उसकी हत्या को जाइज़ बताया जा रहा है। यही बात इंडरी की पंचायत में आसिफ़ को निशाना बना कर भी कही गयी। यानि बिना किसी सबूत / आधार के सिर्फ झूठा प्रचार करके नफ़रत का माहौल बनाया जा रहा है। आसिफ़ के इस चरित्र हनन का ज़िम्मेदार कौन है ?

जो लोग लव जिहाद का इल्ज़ाम लगा रहे हैं वो किसी ऐसी तथाकथित घटना का सबूत देंगे नहीं , एफआईआर करेंगे नहीं मगर दुष्प्रचार पूरा करेंगे, यही है इन सांप्रदायिक लोगों की राजनीति। अगर सुदर्शन चैनल और दीपक चौरसिया जैसे लोगों के ख़िलाफ़ मेवात के धर्मनिरपेक्ष कानून पसंद नागरिकों ने पिछले वर्ष ही कानूनी मोर्चा खोला होता तो इस नफ़रत को फैलाने वाली राजनीति पर अंकुश लगाने में मदद मिलती। मगर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की गयी. आख़िर कब मेवात के बुद्धिजीवी जागरूक होंगे?

क्या इंडरी पंचायत के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी? इंद्री पंचायत में आसिफ हत्याकांड को जायज करार देना, सरकार व पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती है। अगर इस की पंचायत की कार्रवाई पर नजर डालें तो कहीं मुसलमानों से ज्यादा सरकार एवं प्रशासन को रोष जाहिर करना चाहिए। पंचायत के आयोजकों और भड़काऊ भाषण देने वालों पर क्या प्रसाशन सख्त कार्रवाई करेगी ? क्या इस कोरोना काल में पंचायत का आयोजन करना कोविद प्रोटोकॉल के खिलाफ नहीं है ?

झूठ और नफरत की राजनीति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही

ऐसी परिस्थितियों में सुदर्शन चैनल के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र नूह अदालत में दिया गया है जो अभी लंबित है। इंडरी पंचायत के आयोजकों और उसमे नफरत वाली भाषा बोलने वालों के ख़िलाफ़ भी एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। सवाल ये है कि ऐसी नफरत फैलाने वालों के ख़िलाफ़ ज़िला प्रशासन स्वयं कोई एफआईआर क्यों दर्ज नहीं करता जब कि तहसीन पूनावाला केस में सुप्रीम कोर्ट इसका स्पष्ट निर्देश दे चुकी है।

वक़्त रहते अगर इन ज़हरीली और नफरत की राजनीति को लगाम लगाना बहुत ज़रूरी है वरना ये सारे समाज को निगल जायेंगे। मेरी मेवात के सभी शांति प्रिय, न्याय प्रिय, धर्मनिरपेक्ष नागरिकों से अपील है कि वे संयम से काम लें और एकजुटता के साथ कानूनी लड़ाई लड़ें जिस से इस नफ़रत की राजनीति को परास्त किया जा सके। आपको स्वयं अपनी क़ानूनी लड़ाई लड़नी होगी। अदालती कार्रवाई में मेहनत ज़रूर लगती है और समय भी
लेकिन हमारे पास इसके अलावा और कोई चारा भी नहीं है।