भाजपा को हिसाब चुकाना पड़ेगा

भाजपा ने गाँधी को कभी भी स्वाभाविक रूप से आत्मसात नहीं किया। बल्कि यूँ कहें की वो गाँधी से नफरत करती है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. अभी हालिया गाँधी गोडसे विवाद को समझने के लिए थोड़ा सा इसके ऐतिहासिक पृष्टभूमि में जाना पड़ेगा. आरएसएस की स्थापना 1925 में इस लिए हुई की वो भारत को एक हिन्दू राष्ट बना सके. जब सभी लोग भारत को आज़ाद कराने के लिए क़ुरबानी दे रहे थे उस वक़्त आरएसएस को लग रहा था की भारत को हिन्दू राष्ट ही होना चाहिए भले ही देश के दो टुकड़े हो जाएँ। गाँधी जी किसी भी कीमत पे हिन्दू राष्ट के समर्थन में नहीं थे और मरते दमतक उन्होंने हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए लड़ाई लड़ी यही बात आरएसएस को खटकती है. भाजपा आरएसएस का एक राजनितिक इकाई है. और शायद यही वजह है की भाजपा गाँधी जी को पसंद नहीं करती है.
भाजपा को गांधी से नफ़रत है, यहां तक कि कबीर, पेरियार, फुले, टैगोर, ईश्वरचंद्र विद्यासागर और अम्बेडकर से भी। उसे अपने ब्राह्मणवादी-मनुवादी और दलित-आदिवासी-स्त्री विरोधी हिन्दू राष्ट्र के निर्माण के रास्ते में हमारे ये महान समाजसुधारक और विचारक इसलिये बाधक लगते हैं, क्योंकि वे प्रेम और सहिष्णुता और सामाजिक न्याय के प्रतीक हैं। वे भारतीय राष्ट्र के निर्माताओं के रूप में देश की जनता के बीच समादृत हैं, और कहना चाहिये कि भारतीयता के प्रतीक हैं। घृणा, हिंसा-प्रतिहिंसा और अन्याय की संघ-भाजपा की विचारधारा, जिसका स्रोत नाज़ी जर्मनी की हिटलर की विचारधारा है, राष्ट्रीय एवं सामाजिक मुक्ति के हमारे इन नायकों के रहते कभी अपने कुत्सित इरादों मेंं कामयाब नहीं हो सकती।
इसलिये इस विचारधारा पर अमल करने वाले साम्प्रदायिक-फासीवादी राष्ट्र-विरोधियों की कुंठा और हताशा इसी रूप में बाहर आती है कि वे सामाजिक एकता और न्याय के इन प्रतीकों और मूर्तियों पर हमला करते हैं। वे सोचते हैं कि इससे समाज में इन सुधारकों का असर कम हो जायेगा, पर वे यहां बड़ी भूल करते हैं। इनके आदर्श नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को मारा, पर इससे गांधी जी के विचार कमज़ोर नहीं हुए। वे पूरी दुनिया में और फैलते गये और उनकी प्रासंगिकता बढ़ती ही गयी।
हाल में ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़ कर एक बार फिर उन्होंने बंगाल और इस देश की लोकतांत्रिक बुनियाद पर घृणित हमला किया है और यह सिद्ध किया है कि वे इस देश की संस्कृति को, यहां की सबसे सुन्दर विरासतों को नष्ट करने की अपनी तालिबानी मुहिम से बाज़ नहीं आने वाले। ईश्वरचंद्र पर भाजपाई लम्पटों के इस हमले से बंगाल और देश की जनता बेहद आहत महसूस कर रही है। यही नहीं गाँधी के हत्यारे को देश भक्त बताकर भाजपा ने अपने मन में छुपी कलई खोल दी है और उसका दो मुहा चेहरा सामने आ रहा है. प्रज्ञा ठाकुर जो भोपाल से भाजपा के लिए लोक सभा प्रत्याशी हैं, ने कहाँ की गोडसे देश था , है और रहेगा , बेहद ही शर्मनाक है और इसे किसी भी कीमत पर स्वीकारा नहीं जा सकता। भाजपा को इसका हिसाब चुकाना पड़ेगा।
आसिफ सईद