बेगुसराय का समीकरण बाक़ी बिहार से अलग माना जा रहा है

फाइल फोटो

लहर डेस्क

भूमिहार भाजपा के साथ होते, यादव गठबंधन के साथ होते, मुसलमान तनवीर हसन के साथ होते…लेकिन यह फ़ार्मुला एकदम काम नहीं कर रहा है. कन्हैया के खिलाफ़ कोई जातिगत एकजुटता नहीं बन पा रही है.

बेगुसराय में त्रिकोणात्मक संघर्ष में भाजपा की उम्मीद थी कि कन्हैया गठबंधन का वोट काटेगा. दूसरी ओर, अपनी संकुचित पहचानवादी समझ से गठबंधन के कुछ लोग उम्मीद लगाये बैठे थे कि कन्हैया भाजपा का भुमिहार वोट काटेगा.

लेकिन इस बीच कन्हैया को सभी वर्गों और समुदायों से व्यापक समर्थन मिल रहा है. तथाकथित सोशल इंजिनीयरिंग की दीवारें पूरी तरह से ढह चुकी हैं. इसके चलते बाकी दोनों प्रमुख उम्मीदवारों को मजबूरन अपना प्रचार कन्हैया के खिलाफ़ करना पड़ रहा है.

दिक्कत यह है कि न तो भाजपा के संभावित वोट गठबंधन को ट्रांसफ़र किये जा सकते हैं, और न ही गठबंधन के परंपरागत वोट भाजपा को. इसके अलावा कन्हैया की सबसे बड़ी कॉन्स्टिट्युएंसी युवा पीढ़ी की है, जो बाकी दोनों खेमों में ज़बरदस्त सेंध लगा रही है.

यही बेगुसराय के चुनाव में फ़ैसलाकून होने जा रहा है।

बेगुसराय का समीकरण बाक़ी बिहार से अलग हो चुका है,जिसे कन्हैया के विरोधी समझ नहीं पा रहे हैं। कन्हैया एक उम्मीद का नाम है इसलिए उसके साथ सभी हैं।