बीपीएससी में चयनित होने से ईलाके में खुशी की लहर

एजाज़ अहमद

गोपालगंज – मांझागढ़ के धोबवालिया गांव की तब्बू खातून ने बीपीएससी की परीक्षा में पाई सफलता है। दो बच्चों की माँ तब्बू खातून को बीपीएससी में 190वा रैंक मिला। बताते चलें कि शादी के बाद घर गृहस्ती के साथ साथ पढ़ाई जारी राखी जिसका परिणाम हुआ की उनको बीपीएससी जैसे कठिन और प्रतिष्ठित परियोगिता में वो सफल हो पाई। इनकी सफलता की इस यात्रा में घर वालों ने भी भरपूर सहयोग किया। इनकी सफलता इस लिए भी खास है क्योंकि मुस्लिम समाज में वैसे ही लड़कियों की पढ़ाई पे लड़को से काम ध्यान दिया जाता है और तब्बू ने शादी के बाद घर गृहस्ती के साथ साथ पढ़ाई जारी रखी और सफलता पाई।

तब्बू अब इलाके की शान बन गई हैं साथ ही उन लड़कियों के लिए प्रेरणा भी हैं जो लड़कियां शादी के बाद या किसी घर गृहस्ती या किसी और कारण से अपनी पढाई पुरी नहीं कर पाती हैं। तब्बू ने ये साबित कर दिया है कि अगर सपने हैं तो उन्हें साकार किया जा सकता है। उम्मीद है की तब्बू खातून की ये सफलता खास तौर पर उन लड़के लड़कियों को प्रेरित करेगी जो शादी के बाद अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते।

आज शहाबुद्दीन होते तो ऐसा दिन नहीं देखना पड़ता

सिवान : यह रास्ता सिवान के प्रतिष्ठित इस्लामिया कॉलेज के ठीक सामने से हो कर सीधा इस्लामिया नगर को जाता है। तस्वीर से साफ़ है कि रास्ते के बगल से रेलवे ट्रैक होकर गुजरता है। रेलवे ने अपने विस्तार योजना के चलते रास्ते से सटी अपनी बाउंड्री करा ली और ये रास्ता निचे हो गया। अब यहां हल्की बारिश होने पर भी रास्ते में पानी जम जाता है जिससे आने जाने वालों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार नगर परिषद् इस बाबत ज्ञापन दिया जा चुका है लेकिन नतीजा धाक के तीन पात। यहां तक कि सिवान के सांसद और जिला अधिकारी को भी इससे औगत कराया गया लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। रास्ते की हालत बहुत ही खस्ता है और कोई अन्होनी हो जाये इससे इंकार नहीं किया जा सकता। लोग निराश होने लागे हैं और कह रहे हैं कि शायद अब ऐसे ही जीने की आदत डालनी पड़ेगी। अब पूर्व सांसद शहाबुद्दीन होते तो ऐसा दिन नहीं देखना पड़ता नाही सड़कों की ऐसा खस्ता हालत होती।

सिवान में डॉक्टरों की मनमानी फीस

सिवान: इस करोना महामारी के दिनों में एक तरफ डॉक्टर जहाँ फरिश्ता बनकर लोगों की सेवा कर रहे हैं वहीँ कुछ लोग इसको औसर भी मान रहे हैं। वैसे डॉक्टर और नर्सों ने जिस तरह से देश की सेवा की है पूरा देश उनका शुक्र गुजार है। लेकिन कुछ डॉक्टर इसको आपदा में औसर की तरह इसे देख रहे हैं। ऐसा ही मामला सिवान में भी देखने को मिला है जहाँ इस महामारी में भी डॉक्टर औने पौने फीस बढ़ा रहे हैं।

बात करें सिवान ज़िले के प्रतिष्ठित डॉक्टर विनय कुमार शर्मा की जो कि एक चर्म रोग विशेषज्ञ है। कोरोना की दूसरी लहर से पहले इनका ओपीडी की फीस 300 रूपये थी अब अचानक महामारी और लॉकडाउन दोनों की मार झेल रहे जनता के लिए ओपीडी की फीस 450 रूपये कर दिए। एक तो लोगों के पास महामारी की वजह से वैसे ही कामकाज नहीं है ऊपर से डॉक्टर लोग इस तरह से फीस बढ़ाएंगे तो गरीब आदमी का क्या होगा। सिवान सदर अस्पताल की हालत वैसे ही खस्ता है हालाँकि की स्वास्थ्य मंत्री का कर्मभूमि सिवान ही है। फिर आप राज्य के दूसरे ज़िले के स्वस्थ्य सुविधाओं का अंदाज़ा लगा सकते हैं।

एक बात स्थानीय लोगों ने बड़ी बेबाकी से बताया की पूर्व सांसद शहाबुद्दीन अगर होते तो ऐसा नहीं होता। सदर अस्पताल में डॉक्टर भी देखते और दवा भी फ्री में मिलती। और डॉक्टर लोग मनमाने ढंग से अपना ओपीडी का फीस भी नहीं बढ़ाते। डॉक्टर लोगों की फीस कंट्रोल करने में ही पूर्व सांसद सबसे ज़्यादा बदनाम हुए और उनकी एक अलग छवि बनायीं गई। इन डॉक्टरों को गरीबों का भी ख्याल रखना चाहिए।