प्लास्टिक वातावरण के लिए कितना घातक

हर मिनट दस लाख से ज्यादा पानी की बोतलें खरीदी-बेची जा रही हैं। इन बोतलों का 91 फीसदी हिस्सा रीसाइकिल नहीं हो पाता है। और पता है कि प्लास्टिक की इन बोतलों को प्राकृतिक तौर पर समाप्त होने में कितने साल लगते हैं। लगभग चार सौ साल।

पानी की बोतलें अब हमारे दैनंदिन जीवन का हिस्सा बन गई हैं। पानी खरीदकर पिया जाता है। यह आदत और जरूरत में शुमार हो गया है। पहले रेलवे स्टेशन हो या अन्य सार्वजनिक जगहें, हमेशा पानी उपलब्ध रहता था। मुफ्त प्याऊ भी मौजूद थे। इसलिए कोई पानी की बोतलों का कोई व्यापार भी नहीं था। अब पानी की बोतलों का व्यापार बहुत भारी है। अरबों रुपये का यह कारोबार है।

यहां तक कि ताजा अनुमान यह है कि दुनियाभर में हर मिनट पानी की दस लाख बोतलें खरीदी-बेची जा रही है। इसका 91 फीसदी हिस्सा या तो लैंडफिल साइट पर जाता है या फिर समुद्रों में फेंक दिया जाता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस प्लास्टिक को प्राकृतिक रूप से विघटित होने में चार सौ से भी ज्यादा साल लग जाते हैं।
ऐसे में समझा जा सकता है कि यह हमारे लिए कितनी बड़ी समस्या बनने वाली है। एक अनुमान यह भी कहता है कि वर्ष 2050 तक समुद्रों में मछलियों से ज्यादा वजन के बराबर प्लास्टिक की बोतलें मौजूद होंगी। हम जानते हैं कि प्लास्टिक अभी ही समुद्र के जीवों की जान ले रहा है।

क्या साफ सुथरा पानी अपने नलों के जरिए उपलब्ध कराना सरकारों की जिम्मेदारी नहीं है। आखिर सरकारी संस्थाएं काम क्या करती हैं।

कबीर संजय