पंचायतों के मुखिया के लिए मलाईदार साबित हो रहा कोरोना महामारी

सारण बिहार: संजीत कुमार की रिपोर्ट , कोराना कहर की त्रासदी जहां आम आवामों के लिए महामारी घोषित है, वहीं पंचायतों के मुखियाओं के लिए मलाईदार साबित हो रहा। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सरकार नें लाॅकडाउन तो कर दिया है, साथ हीं इसके साइड इफेक्ट के तौर पर उत्पन्न होने वाले समस्याओं से निजात के लिए भी कइ द्वार खोल दिए हैं । आम तौर पर देखा जाए तो गांवों के सरकारी उप स्वास्थ केंद्र कुछ बंद है कुछ खुले हुए हैं तो उसमे मास्क ,सेनेटायजर एवं साफ-सफाई के समुचित साधन का आभाव है। इसके लिए बिहार सरकार ने संवेदनशीलता दिखाते हुए कोरोना महामारी को हराने के उद्देश्य से पंचम वित्त आयोग के धन राशि का व्यय कर हर सम्भव मदद पहुंचाने को कहा है। उपलब्ध कराये गये राशि को खर्च करने का पुर्ण अधिकार सम्बंधित पंचायतों के मुखियाओं को दी गयी है साथ ही ग्राम पंचायतों को यह विशिष्ट जिम्मेवारी दी गयी है कि सरकार द्वारा विकसित की गयी सामग्रियों ,साधनों एवं लाॅकडाउन में उत्पन्न होने वाली जनसमस्याओं का पर्याप्त प्रचार-प्रसार लगातार कराया जाना है। जबकि जमीनी हकीक़त यह है कि एक-दो दिन लाउडस्पीकर माइकिंग की महज़ औपचारिकता हीं पुरी की गयी है।
यह सत्य है की इस महामारी ने कुछ लोगों की जिंदगी नरक बना दी तो कुछ लोगों के कमाई का साधन बना , मजदूर , कमजोर वंचित भूके प्यासे दिन गुज़ार रहे हैं तो वहीँ कुछ लोग इसे भी कमाई का स्वर्ण अवसर समझ रहे हैं .