नफरत और हिंसा से आहत समाज में बराबरी और अधिकारों के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुलिस थाने में दर्ज की याचिका

लहर डेस्क – दिल्ली 3 फरवरी 2020- नागरिकता कानून के विरोध में जिस दिन से कानून लोकसभा ,राज्यसभा से पास हुआ ,राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून बना उसी दिन से जामिया मिल्लिया इस्लामिया में छात्रों और शाहीन बाग में वहां के स्थानीय वाशिन्दों ने खासकर कर महिलाओं ने संविधान बचाने, धर्म के आधार पर नागरिकता दिए जाने जो संविधान के मूल अधिकार धारा 14 व 21 जो सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है, कानून के समक्ष सभी को बराबरी का हक़ देता है को बचाने के लिए लामबंद हुए ,संविधान द्वारा इन्हीं मूल अधिकारों की धारा 19 जो सभी नागरिक को बोलने, अपने अधिकार के लिए लामबंद होने, शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने का अधिकार देता है का प्रयोग अपनी असहमति जताने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। विगत सप्ताह केंद्रीय वित्तीय मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा चुनावी रैली में देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को जैसे भड़काऊ नारे और भाषण देने, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री दिल्ली की चुनावी सभा में यहां तक कह दिया कि जो बात से नहीं समझ रहा उसे गोली से समझाया जाएगा , इसके बाद एक के बाद एक पहले जामिया में एक नावालिग गोपाल और फिर शाहीन बाग के प्रदर्शन स्थल पर 23 वर्षीय कपिल गुज्जर ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई। याचिका कर्ताओं का कहना है यह सभी वारदात केंद्र सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री के उकसावे में आकर देश का नौजवान गोली मारने और प्रदर्शन पर काबू पाने के लिए कर रहा है जिसके बचने के लिए पूर्व सूचना के तौर पर शाहीन बाग थाने और जामिया नगर थाने में याचिका दर्ज की गई है। इस याचिका पर 1000 से ज्यादा लोगों के हस्ताक्षर हैं और सभी अपने हस्ताक्षर के जरिए इस याचिका के दर्ज की गयी मांगों का समर्थन करते हैं।
इस याचिका को मुख्य रूप से जामिया कोऑर्डिनेशन कमिटी, शाहीन बाग के धरने पर बैठी महिलाएं, जामिया नगर के जागरूक नागरिक, फोरम ऑफ सिटीजन फ़ॉर इक्वल राइटस , सिटिज़न फ़ॉर जस्टिस एंड पीस, यूनाइटेड अगेंस्ट हेट, आल इंडिया यूनियन ऑफ फारेस्ट वर्किंग पीपल का समर्थन हासिल है।

याचिका की कॉपी मुख्य रूप से डी सी पी, अडिशनल डी सी पी, सी पी, निर्वाचन आयोग, गृह मंत्रालय भारत सरकार, और नेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन नई दिल्ली को भी भेजा गया है।

मौके पर मौजूद याचिका कर्ता आमिर शेरवानी, इरशाद अहमद , नय्यर आज़म, सुल्तान अहमद का कहना है कि हमारी कोशिश है की नफरत मिटे , राज्य में कानून व्यवस्था कायम करने , और नागरिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने की है, राज्य से डर का माहौल कम करने की है। इन्हों ने यह भी कहा की हिन्दू सेना 2 और 11 फरवरी को शाहीन बाग पर सुनियोजित तरीके से हमला करने का एलान कर चुकी है ऐसी स्थिति में धरने पर बैठी महिलाएं, बच्चे और बुज़ुर्गों की सुरक्षा अहम है इसलिए इस याचिका द्वारा पुलिस प्रसाशन द्वारा सुरक्षा और विरोध प्रदर्शन को सुचारू रूप से चालने की सहमति के तौर पर दिया गया है और इन्हें राज्य और केंद्र सरकार से सहयोग की उम्मीद है।
आपको ये जानकार आश्चर्य होगा की लिखित शिकायत के बावजूद 2 फरवरी की रात्रि 11 बजकर 55 मिनट पर फिर जामिया के गेट नंबर 7 के सामने जो विरोध प्रदर्शन का मुख्य स्थल है के सामने नौजवान द्वारा मोटरसाईकिल से जाते हुए गोली चलायी जिससे एक बार फिर प्रदर्शनकारी सकते में हैं , धरने पर मौजूद लोगों का मानना है की देश की राजधानी में कानून का राज नहीं है , गैर सामजिक तत्वों और खासकर हिंदूवादी संगठनों द्वारा कानून की धज्जियाँ सरे आल उड़ाई जारही है और प्रसाशन मूक दर्शक बनी हुई है , दूसरी तरफ प्रसाशन ने हिन्दू वादी संगठन के नेताओं को दिल्ली पुलिस ने गलत बयानी के लिए गिरफतार कर चुकी है .
सभी प्रदर्शनकारियों की एक ही मांग है कि संशोधित नागरिकता कानून वापस हो, जनसंख्या रजिस्टर और नागरिकता रजिस्टर को वापस लेगी केंद्र सरकार तभी इस प्रदर्शन को समाप्त करने और घर वापस लौटने को तैयार होंगे।