टीबी के मरीजों के लिए आयोजित की गई कार्यशाला

डॉक्टर प्रशिक्षण देते हुए
24 मई, मुजफ्फरपुर: आज एपीएचसी कर्जा और कैथॉलिक बिशोप कोंडेरेंस ऑफ इंडिया के सहयोग से यक्ष्मा समिति के द्वारा (यक्ष्मा) मरीजों हेतु एक कार्यशाला आयोजित किया गया। कार्यशाला में मरीज़ों को उनके अधिकार एवं ज़िम्मेदारी खास करके दवा खाने के तरीकों एवं, समय-समय पर जांच करवाने की अवधि की जानकारी दी गयी। इसके साथ ही साथ टीबी के मुफ्त जांच, मुफ्त दवा एवं रोकथाम के समुचित नियमों की जानकारी भी दी गयी ।
क्या है इलाज की सुविधा :- डॉटस प्रणाली के तहत टी बी का ईलाज किया जाता है । डॉटस के अंतर्गत बलगम की जांच से लेकर पूरी अवधि तक स्वास्थ्य कार्यकर्ता की देख रेख में ही पूरा इलाज होता है । सरकार के द्वारा इलाज के अवधि के दौरान प्रत्येक माह पांच सौ की पोषण राशि दी जाती है. सामान्यता टी बी के मरीज़ों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती है। टीबी का पूरा इलाज संभव है। सबसे जरुरी है कि इसका इलाज तय अवधि में ही पूर्ण कर लिया जाय बिना एक दिन भी दवा बंद किये हुए। टीबी का इलाज बीच में छोड़ने या नियमित दवा के सेवन नहीं करने से दवाओं के प्रति प्रतिरोध विकसित हो जाता है जो बहुत ही खतरनाक है ।
कैसे मिलती है यह सुविधा :- सरकार के द्वारा इलाज के अवधि के दौरान मिलने वाली पांच सौ रूपये की राशि सीधे मरीज के खाते में जाती है जिसके लिए मरीज का आधार कार्ड, कोड संख्या और उसका अपना एक बैंक खाता होना अनिवार्य है । इसके लिए ये सभी दस्तावेज एवं जानकारी अस्पताल को उपलब्ध कराना होता है.
क्या कहते हैं आंकड़े:- मेडिकल ऑफिसर डॉ बी के प्रसाद ने बताया की मार्च 2018 से अब तक 60 मरीज़ो का मडवन से इलाज हो चुका है और 122 मरीज वर्तमान में इलाजरत है. दवा छोड़ देने से प्रतिरोध विकसित होने वाले जिन्हें एमडीआर(मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस) कहते हैं ऐसे 2 मरीज हैं जिन्हें एसकेएमसीएच,मुजफ्फरपुर से दवा दी जा रही है ।
• टीबी के मरीजों के पोषण हेतु मिलते हैं प्रति माह पांच सौ
• मोतीपुर, मीनापुर, गायघाट, कटरा एवं पारु प्रखंड में टीबी का प्रसार ज्यादा
• फ़ैमिली डॉट के अंतर्गत घर घर जाएगी टीबी की दवा
मकदुमपुर के मोहम्मद शौकत ने बताया कि शुरुआत में वे अपनी खांसी को सामान्य खांसी समझ रहे थे लेकिन जब जाँच के बाद पता चला कि उन्हें टीबी है तो वे घबरा गए । उन्हें लगा कि वे इलाज का खर्च कैसे वहन करेंगे । एपीएचसी, मडवन से उन्हें जानकारी मिली कि न सिर्फ टीबी का ईलाज मुफ्त है बल्कि मरीजों को पांच सौ रूपये प्रति माह पोषण राशि भी दी जाती है. अभी उनका ईलाज एपीएचसी,मडवन से चल रहा है और पोषण राशि भी मिल रहा है। मडवन खुर्द से आई गीता देवी ने कहा कि वह पिछले पांच महीनों से दवा खा रही है और उनके स्वास्थ्य मे काफी सुधार है और वह समय समय पर वह अपना जांच भी करवाने आती हैं ।
क्या है फैमिली डॉट: वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षक नीतू कुमारी ने जानकारी दी की जो मरीज किसी कारणवश डॉट सेंटर तक आने मे असमर्थ है उन्हें अब दवा घर पर ही मुहैया करवाया जाएगा और इसे फॅमिली डॉट नाम दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया की मुजफ्फरपुर का मोतीपुर, मीनापुर,गायघाट,कटरा, एवं पारु प्रखंड में टीबी का प्रसार सबसे ज्यादा है ।
इस अवसर पर मेडिकल ऑफिसर डॉ बी के प्रसाद, वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षक नीतू कुमारी, के अलावा ज़िला समन्वयक सीबीसीआई/सीएआरडी प्रफुल चन्द्र मिश्रा, एएनएम पूनम कुमारी, प्रभा कुमारी, मुकेश सिन्हा,कृष्ण नन्दन कुमार एवं अन्य स्वास्थ कर्मी भी मौजूद थे ।
लहर डेस्क