चौकाने वाले तत्थ्य सामने आए हैं कोरोना पर नए अनुसंधान में

सौमित्र रॉय

दिल्ली के अपोलो अस्पताल में कोविड पॉजिटिव हुए 69 स्वास्थ्यकर्मियों में से 48 प्रतिशत में कोरोना के B .617.2 वैरिएंट मिला है। इन सभी में मिले वायरस की जिनोम सिक्वेंसिंग की गई थी। सभी स्वास्थ्यकर्मियों को टीके भी लग चुके हैं फिर भी B .617.2 वैरिएंट वाला वायरस मिला है। ये काफी चिंता की बात है।

इसका मतलब यह हुआ कि B 1.617.2 टीके को भी मात देने की क्षमता रखता है। इस लिहाज़ से मोदी सरकार ने कोविशिल्ड की 2 खुराकों में 12 हफ्ते का अंतर रखकर भारी ग़लती की है। सरकार ने टीके की कमी को छिपाने के लिए जनता से झूठ बोला और इसके लिए ब्रिटेन में एस्ट्राजेनेका की स्टडी का हवाला दिया। क्योंकि कोविशिल्ड के पहले टीके के बाद B 1.617.2 से मुकाबले की 33% क्षमता ही मिलती है और यह बात ब्रिटेन की स्टडी में सामने आई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि वैक्सीन की पहली ख़ुराक के बाद B 1.617.2 से लड़ने की क्षमता न्यूनतम 50% होनी चाहिए। लेकिन कोविशिल्ड के दोनों टीका लगने के बाद भी शरीर में B 1.617.2 से लड़ने की सिर्फ़ 59% क्षमता ही मिलती है। मोदी सरकार ने कोविशिल्ड पर दांव खेलकर बड़ी ग़लती की है। देश में 95% लोगों को कोविशिल्ड ही लगा है।

बताते चलें की भारत बायोटेक का कोरोना वैक्सीन का टीका केवल कोवैक्सीन भारत समेत केवल 9 देशों द्वारा गुयाना, ईरान, मॉरीशस, मेक्सिको, नेपाल, परागुआ, फिलीपींस और जिम्बाब्वे अनुमोदित है। कोवैक्सीन को अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन की आपातकालीन उपयोग सूची में शामिल नहीं किया गया है। यदि आप विदेश यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, लेकिन ऊपर वर्णित देशों की यात्रा नहीं कर रहे हैं तो आपको यात्रा करने से पहले एक वैकल्पिक टीके दो खुराक जो अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए जिस देश को आप जा रहे हैं वहां मान्य हो , वो टिका लेना आवश्यकता है।

मोदी सरकार अगर जल्द ही कोविशिल्ड के दो टीकों के बीच का फासला कम नहीं करती है तो यह भी तीसरी लहर की वजह बन सकती है। जैसा की विशेषज्ञ बता रहे हैं कि तीसरी लहर को टाला नहीं जा सकता। वैसे भी मोदी सरकार की वैक्सीन निति काफी लचर रही है जिसका खामियाजा देश का आम नागरिक चुका रहा है। अगर सरकार दूसरी लहर की गलतियों से सीख नहीं लेती है और समय रहते तैयारी नहीं की तो तीसरी लहर शायद सांसों को थामने का भी मौका न दे।