गरीब अस्पताल के नाम पर प्राथमिक स्वास्थय केंद्र के डॉक्टर का गोरख धंधा

लहर डेस्क – नई दिल्ली
कोरोना संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती होने और थोडा बेहतर महसूस होने पर सदी के महानायक श्री अमिताब बच्चन ने डॉक्टर को भगवान् कहा यानी धरती पर जिंदगी देने वाले का दूसर रूप डॉक्टर और सवास्थ्य कर्मी है , भारत की सरकार डॉक्टर को कोरोना योद्धा मानती है और उनके ऊपर सेना द्वारा फूल बरसाने का फैसला करती है , सभी अस्पतालों पर हेलिकोप्टर द्वारा पुष्प वर्षा होती है , डॉक्टर के एक जमात धन्य होजाते है सरकार के लिए कसीदे पढने लगती है लेकिन दूरी तरफ देश के दूर दराज के इलाके हैं जहाँ आज भी ग्रामीण जनता को बुनियादी सुविधाओं के लिए दलालों और स्वास्थय ठेकेदारों का मूह देखन परता है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर हों या जिला स्तारिय स्वास्थय केंद्र के डॉक्टर, अस्पताल इंचार्ज हों या मेडिकल ऑफिसर सभी के अपने क्लिनिक चलते हैं नतीजा मामूली समय अस्पताल में और अधिकतर समय अपने निजी अस्पताल में गुज़ारते हैं, मरीजों को न चाहते हुए भी कुकुरमुत्ते जैसे पनपे निजी अस्पताल में ही अपना और अपने अजीजों के इलाज के लिए जाना परता है, इन अस्पतालों में कई बार डिग्री प्राप्त डॉक्टर मिल जाते हैं तो कई बार झोला छाप डॉक्टर, नुर्सेस और कम्पाउण्डर ही दावा देकर घर भेज देते हैं. आइए आपका ज्यादा वक़्त न बर्बाद करते हुए आप को लिए चलते हैं बिहार सिवान जिला के बडहरिया प्रखंड जहाँ इन दिनों ऐसे ही प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र के डॉक्टर अशरफ अली गरीब अस्पताल का संचालन करते हैं इनका दावा है की जुमें के दिन कुछ घंटे मुफ्त में मरीज देखते हैं, लेकिन लहर यह जब जानना चाहा की जब अपने निजी अस्पताल में आप बैठते तो सरकारी अस्पताल में तो सरकार के आदेश के अनुसार सभी मरीजों को मुफ्त सेवा हर दिन मिलता है तो फिर क्यों आप इस निजी गरीब अस्पताल में लोगों को मुफ्त सेवा के नाम पर दिलासा देंते हैं जिसका जवाब इनके पास नहीं था.
बडहरिया की मौजूदा स्थिति:
बडहरिया में आज कल झोला छाप डॉक्टरों की दलाली जोरो पर है यहाँ के कुछ स्थानीय बाहुबलियों का हाथ इन डॉक्टरों के धंधे को चमकाने पर है , कईयों को अस्पाल की ओर से कमिशन मिलता है तो कईयों को डॉक्टर साहब के साथ नेतागिरी चमकाने का मौका , ये करते क्या है ये लोग मरीजों को बहला फुसलाकर कर लाते हैं और इनका इलाज़ यहां बैठे झोला छाप डॉक्टरों से कराते है इसमें कमिशन मिलता है.
एक डॉक्टर अशरफ अली जो बडहरिया प्राथमिक स्वास्थय केंद्र के मेडिकल ऑफिसर और अपने विधान सभा छेत्र में इसी पेशे से जाने जाते हैं और साथ में गरीब अस्पताल भी चलाते हैं इनका सारा एनर्जी अपने प्राइवेट अस्पताल में लगता है कअस्पताल से वेतन लेते हैं . प्राइवेट अस्पताल में वहीं झोला छाप लोग कार्य कर रहे हैं जिनको मरीज को मरने जीने का खौफ नहीं है । ये जनाब मरीजों के साथ बहुत दबंगई दिखाते है ऐसा लगता है कि पूरी कानून व्यवस्था इनके पॉकेट में है।

इस अस्पातल में स्थानीय मरीज अफसाना परवीन (बदला हुआ नाम) जो पहली बार गर्भवती हुयी , शुरू से इलाज चलता रहा , हर समय डॉक्टर साहब ने परिवार को नार्मल डिलीवरी का झांसा देते रहे, जब समय पूरा हुआ अफसाना परवीन को गरीब अस्पताल में भर्ती कराया गया. दिन के 11 बजे कभर्ती कियागया, पूरे दिन इलाज चलता रहा,नर्सेस इंजेक्शन और पानी चढ़ाती रहीं, डॉक्टर साहब नेतागिरी भी करते हैं ऐसे में मरीज को भर्ती कर छेत्र भ्रमण के लिए निकल गए, शाम तक मरीज की हालत बिगड़ने लगी , पेट में पल रहे बच्चे की सुगबुगाहट भी धीमे पड़ने लगी तब डॉक्टर साहब ने फ़ोन कर मरीज के पति को कहा आप यहाँ से मरीज को बड़े अस्पताल ले जायें, तभी मरीज को सिवान के चन्द्र ज्योति अस्पताल में भारती किया जात है , सीजेरियन किया जाता है बच्चा मृत पाया जाता है, यानि मरीज का परिवार आर्थिक , मानशिक और शारीरिक रूप से पूर्णरूप से टूट जाता है लेकिन इन झोला छाप डाक्टरों पर कोई असर नहीं परता , यह घटना केवल अफसाना परवीन हकी ही नहीं कौम के ठेकेदार बने डॉक्टर कईयों के साथ कर चुके , चूँकि स्थानीय नेता और राष्ट्रीय जनता दल के नाता के रूप में अपने आप को प्रचारित करते हैं इसलिए स्थानीय गरीब समाज प्रसाशन का सहयोग लेकर कभी इनके खिलाफ आवाज़ बुलंद करने की हिम्मत नहीं करती.
आइए जानते हैं डॉक्टर अशरफ अली और क्या करते हैं?

डाक्टर अशरफ अली मुख्य रूप से प्राथमिक अस्पताल बडहरिया के मेडिकल ऑफिसर के पद पर कार्य करते हैं साथ ही नीजी गरीब अस्पताल का संचालन करते हैं और इन्हें इनको फेमस होना है दबंग बनना है ताकि अस्पताल का कारोबार भी चलता रहे और कोई इनसे सवाल भी न पूछे इसके लिए स्थानीय बाहुबली का समर्थन भी जरूरी है इसलिए हर मुमकिन प्रयास करते हैं की स्थानीय प्रसाशन और धनाढ्य लोगों के बीच उठ बैठ करें पैठ बनाये रखें , समाज सेवा का ढकोसला करते रहें इसलिए तो राष्ट्रीय जनता दल पार्टी से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।
राजनीति का भूत इस कदर सवार है कि अस्पताल झोला छाप डाक्टरों और नर्सों के हवाले कर सरकारी अस्पताल में सिर्फ सिग्नेचर करने जाते है बाकी टाइम इनको नेता नहीं बाहुबली बनना है. इसलिए ऐसे डॉक्टर नुमा बाहुबलियों से बडहरिया की जनता को अवगत करने की जरूरत है। सरकारी डॉक्टर रहते हुए अस्पताल में न बैठ कर , निजी क्लिनिक चलाना , गुंडे के समर्थन और मरीजों को झांसा देकर मोटी रकम वसूल करना ,भोली भाली जनता को ऐसे डॉक्टरों की चंगुल से बचाने की जरूरत है.
बिहार में डॉक्टरों की स्थिति का जायजा:
आप शायद ही जानते होंगे की पूरे बिहार में 17,685 लोगों पर 1 डॉक्टर हैं और यह तब जानकारी प्राप्त हुई जब बिहार विधान सभा के सत्र के दौरान विपक्ष के नेता अख्तरल इस्लाम शाहीन द्वारा सवाल पूछने पर स्वस्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने जवाब दिया. मौजूदा समय में राज्य स्वस्थ्य विभाग के अनुसार पूरे राज्य में 6,830 डॉक्टर कार्यरत हैं , यह भी याद रखें की इनमें से कुछ डॉक्टर मेडिकल कालेज में भी कार्यकर्त हैं. अगर राष्ट्रीय औसत की बात करें तो यह संख्या काफी कम है , राष्ट्रीय स्तर पर 11,097 लोगों पर 1 डॉक्टर हैं.
आप को पता होगा की कोरोना महामारी से लड़ने के लिए सिवान के ही सिविल सर्जन डॉक्टर आशीष कुमार जो जिला स्वस्थ्य विभाग के वरीय अधिकारी होते हैं ने सुझाव दिया था की सभी झोला छाप डॉक्टरों को शामिल किया जाना चाहिए और ऐसा करने के लिए उन्हों ने पत्र भी जारी कर दिया था जिसकी छाया प्रति सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उन्हें राज्य स्वाथ्य विभाग ने निलंबित किया.
इस सम्बन्ध में अपनी राय और प्रतिक्रिया जरूर दें , अन्याय के खिलाफ चुप रहना भी अन्याय करना है