क्या लॉक डाउन करने से पहले कंचन जैसी असहाय महिला के बारे में कभी सोचा गया?

कंचन AUTO वाली” महिला Auto चालाक की दर्द भरी दासता
पटना (महताब आलम) – जीवन एक संघर्ष है…. ये युक्ति आज एक ऐसी महिला पर चरितार्थ हो रहा है जिसकी ये कहानी सुन कर शायद आपके आंख में भी आंसू छलक आयेंगे….
बता दें कि पटना के भूतनाथ रोड में किराए के मकान में रहने वाली कंचन देवी एक महिला ऑटो ड्राइवर है, और हर दिन 12 से 14 घंटे ऑटो चला कर अपना जीविका चलाती है | कंचन एक विधवा महिला है जिसके कंधे पर तीन बेटियों कि जिम्मेदारी है और आज सात साल से ऑटो चला कर जीवन यापन कर रही थी की आचानक कोरोना के कहर ने इनकी सम्पूर्ण आजीविका को ही छीन लिया,ऐसे निःस्वार्थ लोगों के लिए शायद ही प्रधान मंत्री ने कभी लॉक डाउन करने से पहले सोचा होगा.
लहर के रिपोर्टर ने जब कंचन से उनके घर पर जाकर उनसे बात किया तो उसने अपने जीवन के ऐसे ऐसे अनसुने पल का पन्ना पलटा और अपनी कहानी सुनाया जिससे बाकी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन सकती है कंचन…
बता दें कि लॉक डाउन ने तो इन बेचारी की कमर ही तोड़ डाली है…. ऑटो बंद है, आमदनी का दूसरा कोई स्रोत नहीं है और ना ही कोई सरकारी अनुदान ही मिला रहा है
“कंचन ऑटो ड्राईवर ” ने बताया कि सात साल पहले उनका पति का असामयिक देहांत हो गया और उनके साथ तीन छोटी-छोटी बच्चियों के परवरिश की ज़िम्मेदारी छोड़ गया | अब कंचन के साथ सबसे बड़ा संकट यह आगया कि बच्चे के परवरिश के लिए पैसे कहाँ से आयेंगे
कुछ दिन के बाद कंचन ने एक अखबार में विज्ञापन देखा कि सरकार द्वारा महिलाओं को लोन पर ऑटो दिया जा रहा है जिससे महिलाएं स्वाबलंबी बन सके | कंचन को ऑटो मिलगया और वह पटना जंक्शन पर प्रीपेड ऑटो चलाने लगी और बच्चों की परवरिश किसी तरह करने लगी.
लेकिन उनके सामने दुखों का पहाड़ तब टूट पड़ा जब 25 मार्च 2020 को लॉक डाउन लगा , और आज लॉक डाउन का चौथा महीना चल रहा है जिसके कारण उसका ऑटो चलाना बंद पड़ा हुआ है | कंचन की फिलहाल माली हालत खराब चल रही है…| सरकार से भी कोई अनुदान नहीं मिला है…| उनके पास न राशन कार्ड है न ही विधवा पेंशन…| कंचन कि इस माली हालत से जब लहर टीम रु-बरु हुयी तो इसकी बात की चर्चा आप के मीडिया प्रभारी के साथ साथ स्थानीय एम् एल ए के साथ साझा किया तो उनहोने ने इनकी मदद करने का आश्वाशन दिया कि पटना जिलाधिकारी से बात कर उनकी हर संभव सहायता किया जाएगा| अब देखना यह है कि विधायक जी का यह आश्वाशन कितना चरितार्थ होता है जिससे इस गरीब महिला ऑटो चालक की जिंदगी पटरी पर आजाये.
आप को बता दें की लहर की टीम ने कंचन को विधवा पेंशन , राशन कार्ड की बनेगा और सरकार की अनेकों योजनाओं की जानकारी दी है , विधवा पेंशन के लिए आवेदन करने में समर्थन करेगी और राशन कार्ड बनवाने में भी , लेकिन क्या कंचन अकेली ऐसी महिला है जिसे सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिला , नितीश सरकार तो गला फरकर कह रहे हैं घर घर जाकर सभी का राशन कार्ड बनाया गया तो फिर कंचन कैसे छूट गयी?