किसान की नजर में सर्वे करना कोई काम नहीं?


लेखक -अनीस आर खान

आज मैं आपको राजस्थान के जिला बीकानेर के ब्लॉक लूणकरणसर के रहने वाले भागीरथ सारण जी से मिलवाता हूं. श्री सारण उरमूल डेरी के अंतर्गत अपना मिल्क सेंटर चलाते हैं. सारण श्री संजय घोष के साथ मिल कर समुदाय के लिय काम भी किया है वह कहते हैं कि संजय घोष ने हमेशा ग्रामीण समुदायों की बेहतरी के लिए कार्य किया। संजय घोष की मृत्यु 4 जुलाई 1997 को माजुली, असम में उल्फा (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम) के उग्रवादियों द्वारा कर दी गई थी, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य और उनके विचार आज भी हमारे साथ हैं। संजय घोष चरखा डेवलोपमेंट कम्यूनिकेशन नेटवर्क से संस्थापक भी रहे हैं , जिनकी रूचि समाज और विकास की सत्य परक कहानियों को नीतिनिर्धारकों तक पहुंचाना रहा है और जहां जरूरत पड़े समुदाय के उम्मीद के अनुसार नीति निर्माण में मदद करना रहा है। चरखा आज भी अपनी फीचर सर्विस और समुदाय को ट्रैनिंग के माध्यम से लेखन और मामूदायिक मीडिया ने निर्माण के लिए उपयुक्त दिशा निर्देश , क्षमतावर्धन कार्यशाला का आयोजन देश के अनेकों राज्यों में करती है.

वह अपनी याददाश्त पर जोर डालते हुए कहते हैं कि जब मैं शुरू में उनके साथ काम किया। जिसमें कुछ गांव में सर्वे करने थे मैंने अपना समय निकालकर सर्वे कर दिया। महीने के अंत में श्री घोष के अकाउंट देखने वाले व्यक्ति ने मुझे बुलाया और कहा कि आकर अपनी सैलरी ले लो. मैंने कहा सैलरी क्या होती है? उसने जवाब दिया कि महीने भर तुमने काम किया है अपनी तनखा ले लो. मैंने कहा कि कोई काम किया ही नहीं है! उसने कहा सर्वे किया है ? मैं ने कहा हाँ, सर्वे तो किया है. मगर सर्वे कोई काम होता है क्या??? फिर मैंने सोचा जो हाथ मिल जाये ले लेना चाहिए । मेरे हिसाब से काम तो यह था कि खेत में मेहनत करते, पसीने बहाते, तो समझ में आता है कि हमने काम किया सर्वे करना भी कोई काम है क्या?

मुझे पहले एनजीओ सेक्टर या उनके काम करने के तौर तरीके पर पर यकीन नहीं था लेकिन जब से संजय घोष से मिला यकीन बदल गया और अब लगता है कि हर गांव में एनजीओ को काम करना चाहिए।

संजय घोष जी ने हमें सिखाया कि कैसे सच्ची सेवा और समर्पण से हम समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। उनकी सोच विरासत के रूप में आज हम सभी को प्रेरित करती है कि हम भी समाज के लिए कुछ अच्छा करें।

आइए, हम सब मिलकर संजय घोष जी के सपनों को साकार करें और उनके प्रयासों में अपना योगदान दें। आज उनके जन्म दिन पर हमारी विनम्र श्रद्धांजलि वो अमर हैं , आने वाली कई पीढ़ियाँ उनको याद करती रहेगी और समाज में चल रहे संघर्षों से नीतिनिर्धारकों को अवगत करती रहेगी।