कश्मीर का भूमि सुधार भारत का सबसे प्रभावी भूमि सुधार पहल

कश्मीर में समस्या तब शुरू हुई जब नई सरकार में भूमि सुधार क़ानून बनाया। इसके तहत वहाँ अधिकतम 186 कैनाल (लगभग 22 एकड़) ज़मीन की सीमा तय कर दी गई। इससे अधिक ज़मीन सरकार ने लेकर भूमिहीन किसानों में बांट दी। “ज़मीन जोतने वाले को” के नारे को अमली जामा पहनाया गया।
यही नहीं ऊंची ब्याज दर वाले ऋण माफ़ कर दिए गए और गिरवी के नाम पर क़ब्ज़ा ज़मीनें वापस कर दी गईं और मालिकों को कोई मुआवज़ा नहीं दिया गया। पचास के दशक में हिंदुस्तान में भूमि सुधारों का अध्ययन करने आये डैनियल थॉर्नर ने कुछ कमियों के बावजूद कश्मीर के भूमि सुधारों को भारत में सबसे प्रभावी भूमि सुधार बताया है।
इसका फ़ायदा घाटी के उन 80 प्रतिशत मुसलमानों को हुआ जो भूमिहीन थे। जम्मू में इसका फ़ायदा हुआ हरिजनों को हुआ जो पारंपरिक रूप में कृषि मज़दूर थे। नुकसान उन हिन्दू और मुस्लिम जागीरदारों को हुआ जो बड़ी-बड़ी जागीरों के मालिक थे।
जोतने वालों को ज़मीन मिली तो वे शेख़ के साथ हिंदुस्तान ज़िन्दाबाद का नारा लगा रहे थे लेकिन जिनकी ज़मीनें गईं वे ख़िलाफ़ होने ही थे। इनमें सबसे प्रमुख थे हरि सिंह के शासन में लाभान्वित डोगरा। उन्होंने प्रजा परिषद बना ली जो आर एस एस के साथ काम कर रही थी। प्रेमनाथ डोगरा अध्यक्ष बने और बलराज मधोक ने पीछे से जान लगा दी। शेख़ पर मुआवज़े का दबाव बनाया गया। 370 से ही उन्हें यह अधिकार दिया था तो 370 का विरोध शुरू किया गया। शेख़ को पाकिस्तानपरस्त बताने के षड्यंत्र इसी समय शुरू हुए जिसमें घाटी के कुछ समृद्ध पंडितों ने भी साथ दिया।
वही डोगरा जो कल तक भारत के साथ आने को तैयार नहीं थे और हरि सिंह के नेतृत्व में “आज़ाद डोगरिस्तान” का सपना देख रहे थे (वहाँ के प्रधानमंत्री रहे पंडित रामचंद्र काक का एक नोट मिल जाएगा आपको नेट पर, देख लीजियेगा) अब सबसे बड़े देशभक्त बन गए। “डोगरा हित” को “देशहित” बना दिया गया। करण सिंह लिबरल होने का चोला पहनकर नेहरू को लिख रहे थे कि उन्हें अपनी डोगरा सेना बनाये रखने और उम्र भर राज्य प्रमुख होने का अधिकार दिया जाए और शेख़ की शिक़ायतें कर रहे थे। नेहरू-करण सिंह का पत्राचार अब बाक़ायदा संकलित है, पढ़ सकते हैं। गिरधारी लाल डोगरा लगातार जम्मू में हिंसात्मक आन्दोलन कर रहे थे। नेहरू से बातचीत में सहमति के बाद जम्मू में पलट रहे थे…किस्से बहुत से हैं। बाक़ी अगली किताब में..
आगे की कहानी आपको पता है। हिन्दू मुसलमान करके ही अपनी सत्ता बचाई रखी जा सकती है और हरिजनों को ज़मीन मिलना हिंदुओं का लाभ कैसे मानते अब तक सत्तासीन रहे डोगरा!
अशोक कुमार पांडेय