उरमूल सीमांत परिसर में डॉ. अंबेडकर जयंती पर हुआ प्रेरणादायक आयोजन

समता, शिक्षा और न्याय की ओर बढ़ता कदम: मरू एकता हॉस्टल की छात्राओं ने बाबा साहेब को किया नमन
बज्जू,बीकानेर, 15 अप्रैल।
भारत रत्न, संविधान निर्माता डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती के अवसर पर सोमवार को उरमूल सीमांत परिसर में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम की खास बात यह रही कि मरू एकता बालिका हॉस्टल की छात्राओं ने पूरे आत्मविश्वास और समझदारी के साथ मंच से अपने विचार रखे और सभी उपस्थितजनों को प्रभावित किया।
छात्राएं बनीं आवाज़ें बदलाव की
भावना, सूर्या और रश्मि नामक छात्राओं ने डॉ. अंबेडकर के विचारों, शिक्षा के महत्व और लैंगिक समानता पर अपने सशक्त विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि कैसे बाबा साहेब के जीवन से उन्हें प्रेरणा मिलती है और वे किस तरह एक बेहतर समाज के निर्माण में अपना योगदान देना चाहती हैं। इन छात्राओं की प्रस्तुति ने यह सिद्ध किया कि ग्रामीण बालिकाएं भी अवसर मिलने पर नेतृत्व की भूमिका निभाने में सक्षम हैं।
वक्ताओं ने रखा सामाजिक न्याय का दृष्टिकोण
इस मौके पर व्याख्याता सुरेंद्र खीचड़, सामाजिक कार्यकर्ता सुनील गोदारा, कैलाश चंदेल, शिक्षक प्रकाश सेन, अजीत सिंह राठौड़, पुरखा राम पंवार, रामेश्वरलाल पंवार, पपूराम बारूपाल और साजन राम रेन ने डॉ. अंबेडकर के जीवन संघर्ष, उनके विचारों की आज की प्रासंगिकता, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय पर अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में मिशन बायोगैस के सूरज सिंह और गणपत मेहरड़ा ने पर्यावरणीय संतुलन की दृष्टि से डॉ. अंबेडकर की सोच को रेखांकित किया।
सभी ने लिया समानता और पर्यावरण संतुलन का संकल्प
कार्यक्रम के अंत में उरमूल सीमांत के एडमिन कंवर सिंह और मिशन बायोगैस के बज्जू समन्वयक ओमप्रकाश पंवार ने सभी वक्ताओं और आगंतुकों का आभार जताते हुए कहा कि “बाबा साहेब की सोच हमें केवल सामाजिक न्याय ही नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर जीने की राह भी दिखाती है।”
कार्यक्रम में शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, किसान, अभिभावक और उरमूल परिवार के सदस्य बड़ी संख्या में मौजूद रहे।