इस में चुनाव डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रचार को लेकर बीजेपी सबसे अव्वल रही

ये खबर कि… डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपने प्रचार को लेकर बीजेपी खर्च के मामले में अव्वल रही… खबर आई गुजर गई, जेहन में कोई सवाल नहीं कौंधा तो जरूर मानिए- कुछ तो पर्देदारी है… दरअसल, हमें ये तो समझना ही होगा कि आखिर राजनीतिक पार्टियां डिजिटल प्लेटफॉर्म को ज्यादा से ज्यादा तरजीह क्यों दे रही हैं. … ये हकीकत है कि डिजिटल माध्यम के जरिए इंडिविजुअल को टार्गेट करना बहुत आसान है… लेकिन मामला सिर्फ यहीं तक है, ये समझ लेना बड़ी भूल होगी..
ये बात जेहन में रहे कि मौजूदा 90 करोड़ वोटरों में 20 करोड़ मतदाता रोजाना सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन वोटरों तक जानकारी पहुंचाने के लिए राजनीतिक पार्टियों ने वार रुम्स और फैक्ट्रियां बना रखी हैं… जो झूठी खबरें, गलत जानकरियां गढ़ते हैं, उसे निजी या सार्वजनिक माध्यम से वोटर तक पहुंचाते हैं… उस फैक्ट्री में झूठ, अफवाह, असत्य, मिथ्या, कल्पना, निर्मित आंकड़े तैयार किए जाते हैं… इन जानकारियों को टेक्स्ट, वायस मैसेज, फोटोग्राफ, वीडियो के जरिए आगे बढ़ाया जाता है… इसके लिए हास्य-व्यंग्य, कटाक्ष, मीम और जीफ का इस्तेमाल किया जाता है…
अगर आप विरोधी हैं तो आपको कैसे घेरा जाए, कैसे ट्रौल किया जाए, कैसे आपका मजाक बनाया जाए या फिर कैसे आप पर धौंस जमाई जाए… इसके लिए कंटेट भी इन वार रुम्स में तैयार किए जाते हैं… इस हमले को अंजाम देने के लिए लाइक, शेयर, कमेंट्स और फॉर्वार्ड का हथियार पहले से मौजूद है, जिसका भरपूर इस्तेमाल किया जाता है.
एक ऐसे दौर में जब ज्यादातर मीडिया हाउसेस में फैक्ट और फेक की थीन लाइन मिट चुकी है… रिपोर्ट और ओपिनियन का फर्क जाता रहा है. निष्पक्षतावाद अभी विराम में है तो यकीनन पार्टियां ऐसे माध्यम का चुनाव क्यों नहीं करेगी… जहां झूठी जानकारी और अफवाह को जंगल की आग की तरह फैलाया जा सके.
बस आपकी जानकारी के बता दें कि- चंद महीनों में राजनीतिक दलों ने फेसबुक, गूगल पर विज्ञापन में 53 करोड़ रुपये खर्च किए जिसमें बीजेपी अव्वल रही है. इस साल फरवरी की शुरुआत से 15 मई तक फेसबुक पर 1.21 लाख राजनीतिक विज्ञापन चले और खर्च हुआ 26.5 करोड़ रुपये. इसी तरह गूगल, यूट्यूब पर 19 फरवरी से अब तक 14,837 विज्ञापनों पर 27.36 करोड़ रुपये खर्च किए. बीजेपी ने फेसबुक पर 2,500 से अधिक विज्ञापनों पर 4.23 करोड़ रुपये खर्च किए. बीजेपी ने गूगल पर 17 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए.
कांग्रेस ने फेसबुक पर 3,686 विज्ञापनों पर 1.46 करोड़ रुपये खर्च किए. गूगल पर 425 विज्ञापनों पर पार्टी का खर्च 2.71 करोड़ रुपये रहा. कांग्रेस ने ट्विटर पर बीजेपी से ज्यादा खर्च किया. बीजेपी ने ट्विटर पर 1.51 लाख खर्च किए तो कांग्रेस ने 9.40 लाख किए.
आम आदमी पार्टी ने फेसबुक पर 176 विज्ञापन चलाए और इसके लिए उसने 13.62 लाख रुपये का भुगतान किया. वहीं, गूगल पर आप ने 19 मई के बाद 2.18 करोड़ रुपये का भुगतान किया.
याद रहे कि चुनाव के एलान से पहले भी फेसबुक पर राजनीतिक विज्ञापनों के खर्च के लिहाज से बीजेपी अन्य दलों से काफी आगे रही थी. विज्ञापनों पर कुल खर्च में 50 पर्सेंट से अधिक की हिस्सेदारी बीजेपी की रही है.
अब्दुल वाहिद आज़ाद