आत्मनिर्भरता, निर्ल्लजता का पर्याय बनकर रह गयी है…

Stranded migrant labourers walk carrying their belongings to board a special train from MGR Central railway station after the government eased a nationwide lockdown imposed as a preventive measure against the COVID-19 coronavirus, in Chennai on May 10, 2020.. (Photo by Arun SANKAR / AFP)
लेखक: सुरेन्द्र कुमार, समस्तीपुर
गोयबेल कहता था कि एक हीं झूठ को सौ बार बोलो तो वह सच के समान हो जाता है, अगर झूठ बोलने का हुनर आपके अंदर पैदा हो गया तो इतना आत्म विश्वास भर देता है कि आप कहीं पर कुछ भी बोल सकते हैं, फिर समग्र बेशर्मी और निर्ल्लजता आपको आत्मनिर्भर बना देती है। अगर आज दुनियां में झूठ बोलने का कोई नोबेल प्राईज होता तो अपने बड़बोले प्रधान सेवक को लेने से कोई रोक नहीं पाता।
आज कल दो बातों पर मन की बात में प्रधान सेवक द्वारा बहुत जोड़ दिया जा रहा है, आपदा में अवसर की तलाश और आत्मनिर्भर बनने की लंपटई।
42% एफ डी आई का विरोध करने वाला दल अब 100 % एफ डी आई लाने वाला बन गया है। और तो और अमेरिका से परमाणु समझौते का विरोध करने वाला ट्रंप का तलुआ चाट रहा है और आज आत्मनिर्भरता का राग आलाप रहा है। देश की नवरत्न पब्लिक सैक्टर कम्पनियों को अंबानी, अडानी जैसे दलालों को कौड़ियों के भाव निलाम करने वाला आत्मनिर्भरता का नगाड़ा बजा रहा है। निर्ल्लजता की हद देखिये साहब कि देश के घर-घर से इकट्ठा किया हुआ लोहा ठिकाने लगाने के बाद चीन से 3000 करोड़ की पटेल की प्रतिमा बनवाने वाला “आत्मनिर्भर स्वदेश” का मंत्र फूंक रहा है। आधा दर्जन से ज्यादा बार चीन जा-जा कर चीन को देश में स्थापित करने वाला, देश के इतिहास में पहली बार बैंक आफ चाइना का धूम धड़ाके से आगाज करने वाला, जिंनपिंग को झूला झुलाने वाला और तो और उधर सरहद पर जवानों का गरदन कट रहा है और साहब 1100 करोड़ का ठीका चीन को देकर अब हम सबको लोकल-वोकल की बीन पर आत्मनिर्भरता का राग सुना रहे हैं।
महामारी के दौर में नकली पीपीई किट खरीदने वाले, नकली वैन्टीलेटर बनाने वाले, नकली आंकड़े दिखाने और समझाने वाले, नकली दवाइयों का कारोबार करने वाले, बोरों में नोटों के बंडल रख कर मध्य प्रदेश की सरकार गिराने के बाद अब राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़ में सरकार गिराने को फेरी लगाने वाले, आपदा के दौर में 72000 चाईनीज LED लगाकर प्रचार का नाटक कर नोटों के सैलाब पर कुर्सी पाने वाले, आपको सूडान के गिद्ध और बच्चे की फोटो दिखा कर आपदा में अवसर का मंत्र रटवा रहे है।
आत्मनिर्भर स्वदेशी का पाठ पढ़ाने वाले निर्लज्जों के प्रति आमजनों की निष्ठा देख कर मन गदगद है। आमजन थाली पिटने और टाॅर्च जलाने में व्यस्त है और साउण्ड एवं लाईट टेस्ट के बाद इस कोरोना संकट से बिना किसी सरकारी स्वास्थ्य सुविधा के देश के अंदर आम नागरिकों को मौत के मुॅह में ढ़केला जा रहा है और वहॉ LAC पर बिना हथियार के सैनिक भेजकर मौत का सरकारी तांडव किया जा रहा है। यही है प्रधान सेवक के मन की बात।
इतिहास में आत्मनिर्भरता और निर्लज्जता का ये दौर अपनी नंगई को राजसी चोले से ढ़कने के लिये जाना जायेगा।
लेखक समाजसेवी हैं , शिक्षा , बाल सुरक्षा , भाईचारा और आजीविका के मुद्दे पर जिले और राज्य भर में अपनी पहचान रखते हैं.