आकांक्षाओं से अवसरों तक: एक बेसलाइन सर्वे ने क्या बताया भारत के उभरते समुदायों की डिजिटल और उद्यमशीलता की तैयारी के बारे में

लेखक: सुल्तान अहमद
अप्रैल 2025

तेज़ी से डिजिटलीकरण की ओर बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था में, जहां स्वरोजगार और उद्यमिता आत्मनिर्भरता का एक महत्वपूर्ण मार्ग बन रहे हैं, वहीं एक नया बेसलाइन अध्ययन यह उजागर करता है कि देश के वंचित समुदायों में आज भी डिजिटल और वित्तीय सेवाओं की भारी असमानता मौजूद है।

EmCom मीडिया द्वारा ACCESS और Amazon के सहयोग से चलाए जा रहे “Entrepreneurship for Enablement (EE)” परियोजना के तहत यह अध्ययन किया गया, जिसमें हरियाणा, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के 2,500 से अधिक युवाओं और महिलाओं से जानकारी एकत्र की गई।

इस अध्ययन में जो बातें सामने आईं, वे एक ओर जहां उम्मीद दिखाती हैं, वहीं दूसरी ओर सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए गहन हस्तक्षेप की आवश्यकता को भी स्पष्ट करती हैं।


परियोजना की झलक

EE परियोजना का उद्देश्य तीन वर्षों में शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के 30,000 युवाओं और महिलाओं को डिजिटल शिक्षा, वित्तीय जानकारी और उद्यमिता कौशल से सशक्त बनाना है। ACCESS की ‘BuddhiMoney’ प्रशिक्षण पद्धति के माध्यम से यह पहल महिलाओं और युवाओं को छोटे-छोटे व्यवसायों के निर्माण और विस्तार में सहयोग कर रही है।

मोमबत्ती निर्माण, डेयरी, हस्तकला जैसे क्षेत्रों में मॉडल उद्यमों की स्थापना के साथ यह परियोजना उन्हें न केवल कौशल सिखा रही है, बल्कि वित्तीय, बाज़ार और सरकारी योजनाओं तक पहुँच भी सुनिश्चित कर रही है।


सर्वे प्रक्रिया और पहुंच

हरियाणा (गुड़गांव और नूंह), उत्तर प्रदेश (लखनऊ और उन्नाव), और महाराष्ट्र (मुंबई और ठाणे) के चयनित क्लस्टर्स में Aankalan ऐप के माध्यम से डेटा संग्रहण किया गया। प्रशिक्षित स्थानीय एन्यूमरेटरों की मदद से व्यक्तिगत और टेलीफोनिक इंटरव्यू लिए गए, जिससे 2,573 प्रतिभागियों की विस्तृत जानकारी एकत्र की गई।


प्रमुख निष्कर्ष: असमानता की स्पष्ट तस्वीर

1. उद्यमशीलता की योजना में राज्यों का अंतर

  • महाराष्ट्र में 92% प्रतिभागियों ने व्यवसाय योजना बनाई है।
  • उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा 40% है, जबकि हरियाणा में केवल 17%।

2. डिजिटल लेनदेन और सोशल मीडिया

  • डिजिटल लेनदेन: महाराष्ट्र 71%, यूपी 7%, हरियाणा 4%
  • सोशल मीडिया उपस्थिति: महाराष्ट्र 77%, यूपी 29%, हरियाणा लगभग शून्य
  • ई-कॉमर्स से जुड़ाव: सभी राज्यों में 3% से कम

हरियाणा और यूपी के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को मोबाइल फोन का सीमित उपयोग, डिजिटल धोखाधड़ी का डर और प्रशिक्षण की कमी एक बड़ी बाधा के रूप में सामने आई।

3. सरकारी योजनाएं और बीमा

  • सरकारी योजनाओं में आवेदन की तत्परता: महाराष्ट्र 87%, हरियाणा 17%, यूपी 7%
  • बीमा योजनाओं में भागीदारी: सभी राज्यों में 5% से कम
  • बैंक खातों की उपलब्धता: महाराष्ट्र 98%, हरियाणा 88%, यूपी 86%

4. BuddhiMoney क्लब और प्रशिक्षण

  • यूपी में 98% प्रतिभागी क्लब से जुड़े हैं, लेकिन केवल 34% ने प्रशिक्षण लिया है।
  • महाराष्ट्र में 88% जुड़े हैं और 82% ने प्रशिक्षण लिया।
  • हरियाणा में केवल 20% सदस्यता और 19% प्रशिक्षण भागीदारी।

क्या करना ज़रूरी है?

यह रिपोर्ट कुछ स्पष्ट सुधार क्षेत्रों की ओर इशारा करती है:

  • डिजिटल और वित्तीय साक्षरता बढ़ाना, खासकर हरियाणा और यूपी में
  • ई-कॉमर्स और डिजिटल मार्केटिंग का प्रशिक्षण
  • व्यवसाय योजना निर्माण में सहयोग, प्रशिक्षण, और मेंटरशिप
  • सरकारी योजनाओं में मार्गदर्शन और सरल प्रक्रिया
  • बीमा और वित्तीय सुरक्षा के प्रति जागरूकता

मानवीय पहलू: आँकड़ों से परे की कहानियाँ

सर्वे के दौरान एन्यूमरेटरों ने बताया कि महिलाएं अक्सर डिजिटल उपकरणों का प्रयोग करने में हिचकिचाती हैं क्योंकि मोबाइल प्रायः पुरुषों के नियंत्रण में होता है — चाहे वह पति हो या बेटा। फिर भी कई महिलाओं ने आगे प्रशिक्षण लेने और घर से व्यवसाय शुरू करने की उत्सुकता दिखाई।


आगे की राह

समान आर्थिक भागीदारी के लिए हमें ज़रूरत है:

  • जमीनी स्तर पर स्थानीय, महिला-केंद्रित डिजिटल प्रशिक्षण
  • सहभागिता आधारित सीखने वाले समूहों की स्थापना
  • बैंकों, सरकार और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के साथ साझेदारी
  • डिजिटल और वित्तीय इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश

यह सर्वे केवल आंकड़े नहीं पेश करता — यह दिशा भी दिखाता है। यदि रिपोर्ट की सिफारिशों को गंभीरता से अपनाया जाए, तो यह हजारों युवाओं और महिलाओं के जीवन में वास्तविक और स्थायी परिवर्तन ला सकता है।


भारत की डिजिटल और उद्यमशीलता क्रांति तभी सफल होगी जब उसके केंद्र में होंगे — वह लोग जिनकी आवाजें अब तक छूट गई थीं। यह अध्ययन उन्हीं आवाजों की गूंज है।