मातृत्व लाभ योजना से प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का एक सच यह भी जानें

अविनास दास

माननीय मोदी जी के सत्ता में आने से पहले गर्भवती महिलाओं के लिए एक योजना थी, मातृत्व लाभ योजना। इसके तहत गर्भवती महिलाओं को दो किस्तों में 6000 रुपये दिये जाते थे। पहली किस्त तब जब गर्भवती महिला इस योजना के तहत खुद को पंजीकृत करवाती थी और दूसरी किस्त तब जब बच्चा पैदा होता था। मोदी जी सत्ता में आये और ढाई साल बाद उन्हें लगा कि इस योजना से देश की महिलाओं के मन में उनके प्रति अनुराग बढ़ेगा, तो उन्होंने तय किया कि इस योजना को पूरे देश में फैलाया जाएगा। हालांकि उन्होंने इसके तहत दी जाने वाली 6000 की राशि में से एक हज़ार रुपये बचा लिये और गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली रकम 5000 कर दी। साथ ही दो किस्त की जगह तीन किस्तें कर दीं। नाम भी बदल दिया। मातृत्व लाभ योजना की जगह प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना।

15 जनवरी 2018 को हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, इस स्कीम के लांच होने के एक साल बाद तक केवल दो फीसदी लाभार्थियों को इस योजना का लाभ मिल पाया। सरकार से आरटीआई के तहत सवाल पूछा गया, तो जवाब मिला 30 नवंबर 2018 तक सरकार ने 18,82,708 लाभार्थियों को इस योजना के अंदर सहायता राशि देने के लिए 1655.83 करोड़ रुपये जारी किये। लेकिन, खबर ये नहीं है। ख़बर ये है कि इस सहायता राशि के वितरण के लिए सरकार ने 6966 करोड़ रुपये प्रशासनिक प्रक्रियाओं में खर्च कर दिया।

एक उदारण राज्य से लें तो ओडिशा में नवंबर 2018 तक केवल पांच लाभार्थी इस योजना के तहत पंजीकृत थे। यानी, इसके तहत केवल 2,50,00 (पच्चीस हज़ार) रुपये का वितरण हुआ, लेकिन 274 करोड़ रुपये से ज़्यादा प्रशासनिक प्रक्रियाओं में खर्च कर दिये गये।

ये तो है इस सरकार का हाल… और आप कहते हैं कि मोदी जी को दोबारा चुनो? ख़ैर, हम तो नहीं चुनेंगे – आप बेशक चुनिए। हम इसलिए भी नहीं चुनेंगे, क्योंकि हमारे पास एक किताब आयी है, वादा-फ़रामोशी। संजॉय बसु, नीरज कुमार और शशि शेखर ने इस सरकार के कामकाज से जुड़े सैकड़ों आरटीआई किये और जो जवाब आये, उन्हें इस किताब में संकलित किया है। सरकार ने अपने बारे में ख़ुद ही रिपोर्ट दी है कि वह हर मोर्चे पर विफल रही। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की कहानी इसी किताब से ली गयी है। अमेज़न पर ऑर्डर कीजिए, किताब मंगवाइए, पढ़िए और फिर तय कीजिए कि नरेंद्र मोदी, बीजेपी और उनके सहयोगी पार्टियों को वोट देना चाहिए या नहीं देना चाहिए।