जायडस कैडिला ने किया बिना अनुमति के वैक्सीन का परिक्षण

सौमित्र रॉय

जायडस कैडिला दवा बनाने वाली कंपनी ने ग़ैरकानूनी तरीके से अपने नए कोविड वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल भी कर लिया, लेकिन सिस्टम को भनक तक नहीं हुई। एक नहीं, 12 साल और उससे ऊपर के 28 हज़ार से ज़्यादा लोगों के दोनों हाथों में इंजेक्शन लगा दिए। लोगों को बताया गया कि मुफ़्त टीकाकरण अभियान चल रहा है। लोग भी मुफ़्त के लालच में आये और इंजेक्शन ठूंसवा लिया।

ट्रायल लेने वाला कह रहा है- हमको तो मालूम ही नहीं कि इसके लिए किसी परमिशन की ज़रूरत है। बिल्कुल सही। भारत में इंसान और जानवर में फ़र्क़ ही कहां रह गया है? सरकार भी इंसानों को जानवरों की ही तरह हांकती है। सोशल मीडिया पर बवाल होने के बाद सरकार ने 5 निजी लैब्स पर कार्रवाई की है।

सोशल मीडिया पर बवाल मचना चाहिए। यही एक जगह है, जहां सच्चाई के लिए आवाज़ उठाई जा सकती है। तो आवाज़ उठाती रहनी चाहिए नहीं तो फिर जानवरों की तरह अपना पोस्टमॉर्टम करवाइए। मूक रहना एक भी एक तरह की सहमती या यूँ कहा जाए अर्ध सहमति ‌होती है।

यही बात यूरोप या अमेरिका में हुई होती तो अब तक कंपनी दिवालिया घोषित हो जाती और मुक़दमे होते सो अलग। विदेश मंत्रालय को जवाब देना को जवाब देना भारी पड़ जाता लेकिन ये भारत है यहाँ सब चलता है। जहाँ पर एक जानवर के नाम पर सैकड़ो इंसानों का क़त्ल किया गया हो। वहाँ पर क्या उम्मीद लगाई जा सकती।

अवैध तरीके से वैक्सीन लगाने में लोगों से आधार कार्ड लेकर उनकी सहमति ले ली गई है जब कोई कानूनी अड़चन आएगी तो यही आधार कार्ड सहमति का आधार सिद्ध होगा। हालाँकि नॉएडा में 5 जगहों पे छापे मरकर 275 वायल जब्त की गयी है लेकिन ये तब हुवा जब लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए आवाज़ उठाना शुरू किया। जायडस कैडिला के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी अभी कोविड वैक्सीन के परीक्षण के चरण में है और लोगों को टीका नहीं लगाया जा रहा है। उन्होंने नारी रक्षा दल के सहयोग से लोगों को मुफ्त कोविड टीकाकरण अभियान के बारे में सूचित करने वाला एक बैनर लगाया था। कुछ स्थानीय लोगों ने टीकाकरण अभियान की एक तस्वीर ली और वह सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।

जब नेता अपनी कुर्सी के लिए हजारों लोगों की बलि चढ़ा सकता है तो दवा कंपनियां मुनाफाखोरी के लिए कुछ भी कर सकती है। आखिर जनता भी तो इस स्थिति के लिए ज़िम्मेदार है। लोग सिस्टम के खिलाफ आवाज़ उठाने से पता नहीं क्यों डरते हैं? ये बहुत ही गंभीर बात है और देश के लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है।