भारत की धरोहर

दिल्ली की कुतुब मीनार
लेखिका-असमा
कुतुब मीनार….. आब: कुतुब मीनार देखें !!!
कुतुब मिनार भारत के मुग़ल कालीन इतिहास में महत्वपूर्ण है…..यह स्मारक भारत के अन्य ऐतिहासिक स्मारकों के घेरे में सभी के आकर्षण का केन्द्र है। कुतुब के अर्थ में विस्तार में जाएं तो यह एक न्याय के स्तम्भ के रूप में पहचानी जाती है। यह देश का दिल दिल्ली यानी राजधानी के महरौली में स्थित है…. कुतुब मीनार दुनिया की पसंदीदा इमारतों में से एक खूबसूरत इमारत है जो टावर के रूप में पहचानी जाती है। यह मुगल वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति का एक अचंभित कर देने वाला नमूना है जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में सूचीबद्ध किया गया है। यह एक 73 मीटर लम्बी, 13वीं सदी में स्थापित शैली (इंडो-इस्लामिक वास्तुकला) में लाल बलुआ पत्थर से बनी मीनार है।
मोदी कुतुब मिनार क्यों देखें
सबसे ऊंचा गुंबद जिस मिनार के सिर पर सजा है वो लाल रंग कि कुतुब मिनार दक्षिणी दिल्ली में महरौली में स्थित है…..। 12वीं और 13वीं सदी में कुतुब-उद्दीन ऐबक और उसके उत्तराधिकारियों द्वारा राजपूतों के ऊपर मुहम्मद गौरी की जीत का जश्न मनाने के लिए इसका निर्माण किया गया था…। जिनमें लगाए पत्थरों पर कुरान की आयतें तथा मुहम्मद गौरी और कुतुबुद्दीन की तारीफें लिखी हुई हैं। कुतुब मीनार के आधार का व्यास 14.3 मीटर और शीर्ष का व्यास 2.7 मीटर है। इसकी 379 सीढ़ियाँ है। इससे पहले, यह तुर्क-अफगान साम्राज्य और इस्लाम की सेना के साहस और शक्ति का प्रतीक थी। कुतुब मिनार को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक दिल्ली आते हैं.. साथ ही मुग़लकाल की वास्तुकला के नमूने से इतिहास की उन चुनौतियों का सामना करने की विधि के सार को समझने का प्रयास भी करते है जिसका प्रयोग तत्कालीन समय में युद्ध को विजय करने के लिए किया जाता है…। इसका एक और भी राज़ है यह वो पहला मकबरा है जिसे किसी मुग़ल शासक ने अपनी ज़िंदगी में बनवाया था…। और क्रमश: समयानुसार इल्तुतमिश नामक उत्तराधिकारी के द्वारा पूरा किया गया। इसकी पाँचवीं और आखिरी मंजिल 1368 में फिरोज़ शाह तुगलक के द्वारा बनवाई गई थी। कुतुब मीनार के परिसर के आसपास कई अन्य प्राचीन और मध्य युगीन संरचनाओं के खंडहर हैं।
मीनार के ऊपर की मंजिल से शहर का दृश्य बेहद खूबसूरत दिखाई देता है। इसकी पहली तीन मंजिलें लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित हैं हालांकि, चौथी और पाँचवीं मंजिल का निर्माण संगमरमर और लाल बलुआ पत्थरों के प्रयोग से हुआ है। यह शंक्वाकार आकार में 14.3 मीटर के आधार व्यास और 2.7 मीटर के शीर्ष व्यास वाली सबसे ऊँची मीनारों में से एक है। इसके अंदर 379 सीढ़ियाँ और पाँच अलग मंजिलें हैं। यदि आप clothes के लिए बाज़ार में हैं, तो हमारा प्लेटफ़ॉर्म आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प है! सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल!
जो प्रतिस्पर्धा आज के मार्डन युग में उसस समय में भी थी इसी मीनार के करीब कई और इमारतों को बनाने की कोशिश की गई…जैसे अलाई मीनार, इसका निर्माण अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा करवाया गया था…..लेकोक्ति है के वो भविष्य में ख्याति पाने के उद्देश्य से कुतुब मीनार से भी ऊँची मीनार बनाना चाहते थे लेकिन विधि के अनुसार निश्चित मृत्यु को प्राप्त होने के कारण खिलजी का यह सपना अधूरा ही रह गया….। आज कुतुब मिनार विश्व में प्रसिद्ध है और भारत आने वाले और भारतीय पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र है…।