जब बागवानी बने रचना की कला

टीना वासु, बज्जू, बीकानेर, राजस्थान
फार्म इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से उरमूल सीमांत समिति , बज्जू, बीकानेर के परिसर में संचालित “मरू एकता गर्ल्स हॉस्टल” की छात्राओं ने आज एक खास अनुभव प्राप्त किया और वह था पौधारोपण के गुण सीखने का। यह कोई सामान्य पौधारोपण नहीं था, बल्कि एक रचनात्मक नवाचार (ग्राफिकल पौधारोपण) से जुड़ा था, जिसे भोजराज जी ने बालिकाओं को व्यवहारिक रूप से सिखाया।
आज के यांत्रिक और तेज़ जीवन में जब लोग प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं, ऐसे समय में प्रकृति से जुड़ना मानसिक शांति, अच्छा स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता की ओर लौटने का एक रास्ता बनता है। इसी जुड़ाव को सौंदर्य और विज्ञान के साथ जोड़ने का एक तरीका है ग्राफिकल पौधारोपण। यह बागवानी का एक ऐसा तरीका है जो केवल पेड़-पौधे लगाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रकृति को सजाने और समझदारी से संवारने की एक कलात्मक विधा है।
क्या है ग्राफिकल पौधारोपण?
ग्राफिकल पौधारोपण का अर्थ है पौधों को किसी विशिष्ट आकृति या रचना (जैसे वृत्त, त्रिभुज, वर्ग, या पारंपरिक प्रतीक) में लगाना, ताकि वह देखने में भी आकर्षक लगे और कार्यात्मक भी हो। इसमें पौधों को बेतरतीब तरीके से नहीं, बल्कि किसी सोचे-समझे पैटर्न में लगाया जाता है जिससे बगीचे का रूप-रंग निखरता है और उनकी देखभाल भी आसान हो जाती है।
ग्राफिकल पौधारोपण के लाभ:
सौंदर्य और सुव्यवस्था: भोजराज जी ने बालिकाओं को बताया कि इस तरीके से बगीचे में एक कलात्मक अनुशासन दिखाई देता है, जो देखने वालों को आकर्षित करता है। यह स्कूलों, प्रशिक्षण केंद्रों और पर्यटन स्थलों के लिए उपयोगी होता है।
देखभाल में सहूलियत:
पैटर्न आधारित रोपण से सिंचाई, निराई-गुड़ाई और खाद प्रबंधन सरल हो जाता है।
शिक्षण और प्रयोग का माध्यम:
बच्चों के लिए यह प्रकृति, पर्यावरण, विज्ञान और डिज़ाइन को एक साथ समझने का व्यवहारिक तरीका बन सकता है।
पोषण और आय का साधन:
अगर इसमें फलदार पौधे लगाए जाएँ, तो यह पौष्टिकता के साथ-साथ घरेलू आमदनी का भी साधन बन सकता है।
महत्वपूर्ण बातें जो ध्यान में रखनी चाहिए: उन्होंने ने कहा कि
- स्थान और दूरी का चुनाव:
हर पौधे को पर्याप्त धूप, हवा और पोषक तत्व मिलना चाहिए। ग्राफिकल डिज़ाइन बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि पौधे एक-दूसरे की वृद्धि में बाधा न बनें।
- नियमित देखभाल:
- समय पर सिंचाई
- प्राकृतिक खाद का प्रयोग
- कीट और रोग नियंत्रण
एक बालिका के प्रश्नों का उत्तर देते हुए बताया कि पौधों को बच्चों की तरह पालना होता है। समय और प्रेम दोनों देना ज़रूरी है।
सही पौधों का चयन:
ऐसे पौधों का चयन करें जो सुंदर, उपयोगी और पोषक हों:
फलदार पौधे: नींबू, अमरूद, पपीता, सीताफल, बेर
औषधीय पौधे: तुलसी, एलोवेरा, गिलोय
सजावटी पौधे: गुड़हल, चंपा, चमेली, बोगनवेलिया
सामाजिक संदेश:
उन्होंने ने मरू एकता गर्ल्स हॉस्टल की बच्चियों को संबोधित करते हुए बताया कि ग्राफिकल पौधारोपण सिर्फ एक बागवानी तकनीक नहीं, बल्कि यह सामाजिक सहभागिता और रचनात्मक सोच का प्रतीक है। जब गाँव की महिलाएँ, लड़कियाँ और बच्चे मिलकर बगीचा बनाते हैं, तो उनमें सामूहिक श्रम, योजना बनाने की क्षमता, और प्रकृति के प्रति ज़िम्मेदारी जैसी भावनाएँ पनपती हैं। यह प्रक्रिया लोगों को जोड़ती है। आपसी सहयोग और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाती है।
इस अवसर पर मरू एकता गर्ल्स हॉस्टल की वार्डन बिल्किस पठान जी ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि ग्राफिकल पौधारोपण सिर्फ पौधे लगाने की प्रक्रिया नहीं, यह एक विचार है प्रकृति को सहेजने, संवारने और समझने का। यह बच्चों को प्रकृति से जोड़ता है, महिलाओं को सशक्त बनाता है, और समुदाय को एक साझा उद्देश्य प्रदान करता है।
आइए, भोजराज जी की इस पहल से प्रेरणा लें और अपने हॉस्टल, घर, गाँव या स्कूल में ग्राफिकल पौधारोपण की सुंदर शुरुआत करें।
“प्रकृति को सजाएँ, जीवन को संवारेँ!