भारत रत्न समान सराहनिए , पर क्या किसानों को उनका हक मिला?

दिल्ली। किसानों के अथक परिश्रम कड़े संघर्ष को स्वीकार करते हुए अंततः भारत ने कृषि के क्षेत्र में चुनौतीपूर्ण कार्य को सिद्ध कर रहे किसान की सुध ली। किसान आंदोलन व कृषि के जोखिम में घिरकर संवेदना चेतना गंवा चुके किसान की आहुतियों को स्वीकार किया है। भारत रत्न पुरस्कार की घोषणा करते हुए श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने की अनेक उपलब्धियों में से एक कि किसान जो पिछड़ा हुआ है किसान लाभ की दृष्टी से नहीं वो कृषि के‌ क्षेत्र को सुदृढ़ कर‌ राष्ट्र को संबल प्रदान कर रहा। जिसमें दीगर नेतृत्व व शोधकर्ताओं का अतुलनीय योगदान रहा है। भारत जिसने आज़ादी के बाद कड़ा संघर्ष किया और सभी को व्यवस्थाओं की धुरी पर संघर्ष करना पड़ा निश्चित ही किसान‌ अन्नदाता कहलाया उसके कठोर नियम व निर्णय लिए । फसल बारिश से प्रभावित होकर नष्ट हो जाती थी। बीज उन्नत न‌ मिल पाने के कारण किसानों को फसल की गुणवत्ता के लिए उत्तरदायित्व भी सिद्ध करना पड़ रहा था। जिस कारण सहनशीलता और सद्बुद्धि का परिचय देते हुए स्वर्गीय प्रोफेसर श्री एम एस स्वामीनाथन को उनके शोध व उन्नत किस्म के बीज निर्माण करने व कृषि के क्षेत्र की चुनौतियों को सुव्यवस्था प्रदान कर हरित क्रांति से परिचित कराया जिसमें असंख्य लोगों की भूख को शारीरिक दुर्बलता को दूर कर स्वस्थ जीवन प्रणाली प्रदान करने का श्रेय दिया जाता है। स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री श्री चौधरी चरणसिंह जी को शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए वह महत्वपूर्ण लक्ष्य सिद्धी जिससे मानव जीवन को नई दिशा मिली और प्रांतीय विकास की दिशा में अग्रसर होने की चेतना का प्रवाह हुआ। मानव मूल्यों व मानवीय सरोकार की‌ दृष्टी प्रमुख स्थान दिया गया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से संबंध रखने वाले चौधरी चरणसिंह जी ने मानवतावादी दृष्टिकोण व सिद्धांत को स्थापित करें में अतुलनीय योगदान दिया। कृषि सदैव से ही जोखिम से भरा कार्य है जहां किस समय किसान पर दुख का पहाड़ टूटेगा यह कोई नहीं जानता। इस कारण किसानों ने एकजुट होकर समस्याओं के निस्तारण के लिए पूर्व में गुट बनाए और कच्चे पक्की संरचना को स्थापित किया। जहां विश्वविद्यालय में संबंधित विषय पर मुख्य रूप से विषय को‌ प्रमुखता प्रदान कर सुश्री अस्मां ख़ान (पत्रकार लोकतंत्र मूल्य हृस्व संवर्धन जीविकोपार्जन सहित शांति स्थापना समस्त विश्व सीमा क्षेत्र) के निरंतर प्रयासों से किसानों की आहूति व श्रेष्ठ जन के कर्तव्य दायित्व को उजागर कर कृषि व्यवस्था के प्रसार नियंत्रण को उल्लेखनीय दर्जा प्राप्त हुआ। सभी राजनीतिक दल पार्टी नेताओं सहित देश की केंद्रीय पार्टी कांग्रेस ,भारतीय जनता पार्टी आरजेडी जेडीयू समाजवादी पार्टी व अन्य प्रांतिय दलों सहित शांति स्थापना में किसान संगठनों यूनियन व वर्तमान भारतीय राष्ट्रीय किसान मोर्चा बीजेपी भारत सरकार मंत्री सांसद का अमूल्य एतिहासिक योगदान काले कृषि कानूनों को रद्द करने में दिए गए संरक्षण का बखान किया गया है व सांसद के रूप में श्री राजकुमार चहल का सदन में मौजूदा सरकार का विरोध भी कभी भुलाया नहीं जा सकता। पत्रकार के रुप में प्रशासन व सरकार कि कठोर नीतियों पर चलते हुए शूल समान कानूनों का विरोध पुरजोर सभी किसान संगठनों के विषय विरोध दर्ज कर स्वयं के लाभ हानी से परे सभी को शांति की दिशा दिखाई व धरना प्रदर्शन में व्यवस्था सुधार सहित नेतृत्व के कौशल निखार व कृषि के क्षेत्र में प्रभाव व चुनौतियों को भी उजागर किया। सम्मानित किए जाने गर्व की अनुभूति करते हुए कृषि के क्षेत्र की उपलब्धि को सहर्ष साझा किया है। श्रीमान सभी नेतृत्व को व अन्य सभी जन पक्ष विपक्ष राजनीतिक दल व इंडी एलायंस को शुभवसर पर बधाई दी। सभी कुशलतापूर्वक समाज में व्याप्त कुरीतियों का अंत हो रुढ़िवादी प्रथा का अंत किए जाने कि दिशा में संकेत पूर्वक अनुरोध है। जीवन उन्नति पथ पर अग्रसर रहे वे विकास विनाश का कारण न‌ बन जाए इस विषय पर विचार आप लोगों के लिए दृष्टी वत है व‌ कोमल मन से प्रस्तावित भी है। सदैव सभी के कल्याण में देश हित में सम्मान की दृष्टी से विषय का प्रवाह किया है। भारत सरकार कानून से परे सभी के सभी अधिकार सुरक्षित रखें व शांतिपूर्ण चुनाव 18वीं लोकसभा के आयोजन के लिए वह लोकतंत्र के महापर्व की सजावट के लिए अनुरोध है। सरकार सभी वर्ग समुदाय व अन्य के लिए समान रूप से उत्तरदाई है सभी धर्म का सम्मान होगा ऐसी आशा की जाती है।

यह उपरोक्त अपील पत्रकार असमा खान की तरफ से देश वासियों और सरकार से है, किसान समान में आगे आए हैं , लेकिन भारत रत्न से जायद सम्मान एम एस स्वामीनाथन को तब मिलता जब उनकी सिफारिश को अमली जमा पहनाया जाता और किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य मिल जाता।