एक बार फिर गूंजा रोड नही तो वोट नहीं का नारा,ग्रामीणों में आक्रोश

पूर्वी चंपारण -तुरकौलिया,बिहार। वर्षों बाद भी सड़क की दशा न सुधरने से आक्रोशित शंकर सरैया दक्षिणी पंचायत के बनकट शेखटोली गांव के लोगों का गुस्सा शुक्रवार को फूट पड़ा। रोड नहीं तो वोट नहीं का बैनर के साथ आक्रोशित दिखे ग्रमीणों ने बैनर गांव के बाहर लगाकर आरोप लगाया कि सभी पार्टियों ने हमें धोखा दिया है। इस बार अब हमलोगों की बारी है। विकास नहीं तो वोट नहीं करेंगे सिर्फ नोटा का प्रयोग करेंगे। ग्रामीण मो. आरिफ ने कहा कि बनकट शेखटोली गांव की आबादी पांच सौ से अधिक है। यह गांव प्रखंड मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूरी पर अवस्थित है। तुरकौलिया-कोटवा मार्ग से गांव को जोड़ने वाली सड़क की दशा 20 वर्षों से खराब है। इससे आवागमन करने वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सड़क के गड्ढों की वजह से लोग आये दिन गिर कर घायल हो रहे हैं। बरसात के दिनों में गांव से बाहर निकलना दुस्वार हो जाता है। ग्रामीण एजाज अहमद बताते है कि चुनाव के समय जनप्रतिनिधि आश्वासन देकर वोट ठगने का काम करते है लेकिन आजतक आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। इसलिए आज हम लोगों को रोड नहीं तो वोट नहीं का बैनर लगाने को विवश होना पड़ रहा है। बैनर लगाने व बैनर के साथ आक्रोश जताने वालों में मेराज आलम, अलताफ अहमद, सज्जाद हुसैन, सरफराज अहमद, अब्दुल कैश, नसीर आलम, मो. मोख्तार, सदरे आलम, इस्ताक आलम, म. फिरोज, मिनहाज आलम सहित दर्जनों लोग शामिल थे।

आप को ज्ञात होगा की कुछ दिनों पहले ही समस्तीपुर के मोरवा प्रखंड में भी इसी प्रकार रोड नहीं तो वोट नहीं की का नारा जोड़ पकड़ा था यहाँ भी ग्रामीणों की मांग थी की रोजमर्रा और विकास की रीढ़ समझी जारही रोड सदियों से नहीं बन पारही है और ग्रामीण को विवस होकर गड्ढे रहित सड़कों पर ही चलना पड़ता है.

सुशासन बाबू हों या विकास परुष चौकीदार या फिर सामाजिक बदलाव लाने का दम भरने वाले बिहार के लाल सभी ने इतना विकास किया ही है तो जनता में इतना आक्रोश क्यों हैं?क्यों जनता आज़ादी के 70 सालों बाद भी सड़क जैसी बुनिदि सुविधाओं से वंचित है? अर्थसाशत्रियों ने तो न जाने कितनी बार कहा है गाँव या शहरों का विकास सड़क के बिना संभव नहीं है फिर नीति निर्धारक जनता की सड़क की समस्याओं से कैसे अनजान हैं। सुनें समस्तीपुर से मोबाइल वाणी के संवाददाता राजकुमार की रिपोर्ट।